मास्क न लगाने वालों से काम कराने पर गुजरात हाईकोर्ट के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
अहमदाबाद। मास्क नहीं लगाने वालों को कोरोना सेंटर में 5 से 15 दिनों तक सेवा कराने के हाईकोर्ट (गुजरात उच्च न्यायालय) के आदेश के खिलाफ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बीते रोज ही गुजरात उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा था कि, मास्क नहीं पहनने वालों से सिर्फ जुर्माना वसूलना काफी नहीं है। बल्कि बिना मास्क वालों से सेवा करवाने के लिए सरकार किसी संस्था को जिम्मेदारी सौंपे। चीफ जस्टिस विक्रम नाथ बोले कि, यह एक अहम मुद्दा है, मास्क लगाना सभी के लिए जरूरी है।
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बता दिया जाए कि, गुजरात उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की तरफ से कोरोना की स्थिति पर कहा गया था कि 108 एंबुलेंस सेवा और 104 सेवा को मिलने वाले फोन कॉल, अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या, मरीजों को दिए जाने वाले ऑक्सीजन और इंजेक्शन की कमी को देखें तो बीते तीन दिनों में हालात सुधरे हैं। सरकार ने यह भी कहा था कि, सोमवार तक स्थिति और बेहतर हो जाएगी। सरकार ने उच्च न्यायालय में बताया कि, सूबे में सख्ती से नियम लागू करने के लिए चौराहों पर पुलिस तैनाती कर रखी है। मगर, गुजरात उच्च न्यायालय सरकार की बातों से संतुष्ट नहीं हुआ।
उच्च न्यायालय के मुख्य जज ने कहा कि, बिना मास्क पकड़े जाने वाले लोगों से कोविड सेंटर्स पर सामुदायिक सेवा कराई जाए। उन्होंने कहा कि, मास्क नहीं पहनने वालों को गुजरात में कोरोना सेंटर्स पर 5-6 घंटे सेवा करनी पड़ेगी। लोगों को ऐसे 5 से 15 तक रखा जाएगा। इस आदेश को कोविड-नियम का उल्लंघन करने वालों के लिए अनिवार्य करने के लिए कहा गया। यह सब एक कोरोना सेंटर में सेवा करवाने की अर्जी पर हुआ। और, राज्य सरकार से नॉटिफिकेशन जारी करने को कहा गया।