गुजरात सरकार का बड़ा फैसला, कर्मचारियों को नौकरी से हटाने या सैलरी ना देने पर 1 साल सजा
अहमदाबाद। देश में लागू 21 दिन के लॉकडाउन की वजह से सभी फैक्ट्रियां-कारखाने, मॉल, सिनेमा और ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था बंद हैं। ऐसे में हजारों कामगार और प्रवासियों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। राज्य सरकार ने नौकरीपेशा लोगों की शिकायतों पर ध्यान देते हुए एक बड़ा ऐलान किया है। सरकार ने नॉटिफिकेशन जारी कर कहा है कि, कर्मचारियों को नौकरी से हटाने या सैलरी ना देने पर मालिकों को 1 साल तक की सजा हो सकी है। लॉकडाउन की अवधि तक कोई फैक्ट्री या उनके मालिक कामगारों को नौकरी से नहीं निकालेंगे और ना उनका वेतन रोकेंगे। अगर किसी ने सरकार के नियमों का पालन नहीं किया तो कार्रवाई होगी।
डिजास्टर
मैनेजमेंट
एक्ट
के
तहत
होगी
कार्रवाई
मुख्यमंत्री
कार्यालय
के
सचिव
अश्वनी
कुमार
ने
कहा,
"लॉकडाउन
के
दौरान
कोई
भी
मालिक
या
कंपनी
अपने
कर्मचारियों
या
मजदूरों
की
छंटनी
नहीं
कर
सकती
है।
कंपनियों
को
उन्हें
वक्त
पर
और
पूरी
सैलरी
देनी
होगी।
जो
लोग
इसे
नहीं
मानेंगे
उनके
खिलाफ
डिजास्टर
मैनेजमेंट
एक्ट
के
तहत
कड़ी
कार्रवाई
होगी।"
उन्होंने
कहा
कि,
राज्य
सरकार
के
इस
फैसले
से
विभिन्न
फैक्ट्रियों
में
काम
करने
वाले
18
लाख
मजदू्रों,
रजिस्टर्ड
ठेकेदारों
के
25
लाख
मजदूर
और
दुकानों
में
काम
करने
वाले
12
लाख
कर्मचारियों
को
राहत
मिलेगी।
वर्क
फ्रॉम
होम
वालों
पर
भी
यही
आदेश
लागू
अश्वनी
कुमार
ने
यह
भी
कहा
कि
इस
दौरान
घरों
में
काम
करने
वालों
को
भी
पूरी
सैलरी
मिलनी
चाहिए।
ऐसे
में
लॉकडाउन
के
दौरान
उन्हें
भी
नौकरी
से
नहीं
निकाला
जा
सकता।
एक
अन्य
अधिकारी
ने
ट्वीट
करके
बताया
कि
डिजास्टर
मैनेजमेंट
एक्ट
के
सेक्शन-51
के
तहत
उन
लोगों
को
एक
साल
की
सजा
हो
सकती
है
जो
अपने
कामगारों
को
नौकरी
से
निकालते
या
सैलरी
नहीं
देते
हैं।
'कर्मचारियों को न तो नौकरी से निकालें और न ही वेतन काटें', सरकार का प्राइवेट सेक्टर को आदेश