दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी खुलेगी, यहां ढाई लाख में होंगे अब शादी-ब्याह
अहमदाबाद। कोरोना-महामारी के चलते मार्च महीन से बंद पड़ी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी फिर अब पर्यटकों से गुलजार हो सकेगी। पर्यटन विभाग ने यहां शादी-आयाजनों की अनुमति दे दी है। जिसके लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की जमीन पर वेडिंग-डेस्टिनेशन को आकार दिया गया है। पर्यटकों के ठहरने के लिए एक मॉडर्न टेंट सिटी बसाई गई है।
दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के पास होंगी शादी
टेंट सिटी के मैनेजर चेतन वर्मा के मुताबिक, यहां होने वाली शादियों में 50 गेस्ट को आमंत्रित किया जा सकेगा। इसके अलावा शादी में वर-वधू के परिजन ढाई लाख रुपये खर्च कर सकेंगे। इसी रकम से बरातियों को खाना भी खिलाना होगा। बाकी सभी इंतजाम टेंट सिटी में प्रबंधन की ओर से किए जाएंगे। टेंट-सिटी का डेकोरेशन भी खास रखा गया है। यहां आने वाले लोग सरदार पटेल की मूर्ति के साथ अपनी शादी की यादगार तस्वीरें खिंचा सकते हैं।
यह स्टैच्यू को घाटे से उबारने की कोशिश!
संवाददाता ने बताया कि, कोविड-19 के खतरे को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन आदि को ध्यान में रखकर तैयारियां की गई हैं। यहां कोरोना महामारी की वजह से पिछले तीन माह से भी अधिक समय से पर्यटकों की आवाजाही बंद है। ऐसे में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को अपने रख-रखाव के लिए खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। इसी कारण गुजरात सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास बनाए गए टूरिस्ट डेस्टिनेशन को वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर खोला है। सरकार को उम्मीद है कि अगर लोग यहां डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए आएंगे तो इस स्टैच्यू के रखरखाव पर होने-वाला खर्च भी मिल सकेगा।
17 मार्च को सरदार पटेल ट्रस्ट ने की थी यह घोषणा
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए बने सरदार पटेल ट्रस्ट (एसओयू) ने राज्य सरकार के आदेश के बाद इस स्टैच्यू को मध्य मार्च से पर्यटकों के लिए बंद कराया था। पर्यटकों के बुकिंग के बारे में सरदार पटेल ट्रस्ट के अधिकारी ने कहा था कि, जिन लोगों ने पहले ही टिकट बुक कर लिया है, उन्हें भी प्रतिमा और अन्य सुविधाओं तक पहुंचने की अनुमति नहीं होगी। वो लोग कोरोना-लॉकडाउन के कारण दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा नहीं देख पाएंगे। मगर, अब सरकार ने अनुमति दे दी है तो यह खुलने वाली है।
पहली बार हुआ जब उद्घाटन के बाद 2 हफ्ते से ज्यादा बंद रही
वर्ष 2018 में उद्घाटन के बाद से यह पहली बार हुआ है जब 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' दो सप्ताह से अधिक समय तक बंद रही। जबकि, कोरोना वायरस की विपदा से पहले यहां रोज हजारों की तादाद में टूरिस्ट्स आ रहे थे। उद्घाटन के बाद पहले सालभर में 27 लाख लोग स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचे थे। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट के अनुसार, बीते फरवरी महीने में ही यहां रोजाना करीब 8,500 पर्यटक आ रहे थे। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण के पहले 11 दिनों में 1,28,000 से अधिक पर्यटक पहुंचे थे। शुरुआती दिनों के दौरान वीकेंड पर लगभग 50,000 पर्यटक आए थे। रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में न्यूयॉर्क हार्बर पर लिबर्टी द्वीप पर 133 साल पुरानी 92 मीटर लंबी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को देखने के लिए लगभग 10,000 पर्यटक जाते हैं। वहीं, अक्टूबर में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए भी 10 हजार से ज्यादा लोग रोज आए।
हर रोज सरदार पटेल की मूर्ति पर 12 लाख खर्च हुए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के रख-रखाव में हर रोज 12 लाख रुपए खर्च हो थे। पर्यटकों के लिए इसके पास ही सफारी पार्क भी डेवलप किया गया। जहां चिड़ियाघर भी है, जिसे 1300 एकड़ जमीन पर तैयार किया गया है। बीते दिनों शेर, बाघ, तेंदुए, 12 प्रकार के हिरण और मृग, जिराफ, जेब्रा, गैंडे, बाइसन एवं अन्य विदेशी जानवर 17 देशों से यहां सफारी पार्क में लाए गए हैं।
1 नवंबर-2018 से खुली थी आम लोगों के लिए
लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह प्रतिमा (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) 597 फीट ऊंची है। दुनिया में यह सबसे ज्यादा ऊंची प्रतिमा है। पहले स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का नाम चर्चित था, अब लोगों की जुबां पर 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' ज्यादा होती है। अक्टूबर-2018 में इसका अनावरण हुआ था। 1 नवंबर-2018 से यह आम लोगों के लिए खुली। और, जल्द ही यह गुजरात में टूरिज्म का सबसे बड़ा अट्रैक्शन बनकर उभरी।
पटेल के 143वें जन्मदिन के मौके पर हुआ था अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में 31 अक्टूबर को सरदार सरोवर डैम के निकट 'साधू बेट' स्थान पर इस मूर्ति का अनावरण किया। देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री "लौह पुरूष" सरदार वल्लभ भाई पटेल की ये प्रतिमा उन्हीं के 143वें जन्मदिन के मौके पर पब्लिक को सौंपी गई।
2013 में काम शुरू हुआ, 33 महीने में बन गई
31 अक्टूबर, 2013 के दिन इस प्रतिमा की रूपरेखा तैयार हुई. भारत की ही एक बहुराष्ट्रीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (Larsen and Tubro) ने सबसे कम बोली लगाकर इसके निर्माण कार्य व रखरखाव की जिम्मेदारी ली। 33 माह (लगभग ढाई साल) के कम समय में इस प्रतिमा का बुनियादी ढ़ांंचा बना, जो भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड रहा।
7 किलोमीटर दूर से नजर आ जाती है यह
यह प्रतिमा 597 फीट ऊंची है, जो 7 किलोमीटर दूर से नजर आती है। यह इतनी विशाल है कि 30 फीट का तो चेहरा ही बनाया गया। इसमें 3डी टेक्नीक यूज की गई।
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70 फीट लंबे हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट
प्रतिमा के होंठ, आंखें और जैकेट के बटन 6 फीट के इंसान के कद जितने बड़े हैं। 70 फीट लंबे हाथ हैं, पैरों की ऊंचाई 85 फीट से ज्यादा है।
4 धातुओं के मिश्रण से बनी, 85% तांबा
यह प्रतिमा 4 धातुओं के मिश्रण से बनी है, लेकिन सबसे ज्यादा 85% तांबा इस्तेमाल हुआ है। ऐसे में इसमें जंग लगने का भी डर नहीं है। एक लिफ्ट भी लगाई है, जिससे प्रतिमा के हृदय तक जा सकेंगे।
17 KM लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी
यहां से लोगों को सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का नजारा दिख सकता है। अपनी तरह की पहली और सबसे बड़ी प्रतिमा के लिए मटेरियल जुटाने पर भी बहुत मेहनत हुई।
6 लाख लोगों को लोहा-तांबा जुटाने में लगाया गया
जब ये तय हुआ कि सरदार पटेल की सबसे बड़ी प्रतिमा बनेगी तो सवाल ये था कि इतना लोहा कहां से जुटाएं? इसके लिए गुजरात सरकार ने "सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट" बनाया, जिसके तहत देशभर में 36 दफ्तर खुले और करीब 6 लाख लोगों को लोहा-तांबा इकट्ठा करने में लगा दिया गया।
5 हजार मैट्रिक टन लोहा किसानों से मिला
किसानों से ही लगभग 5 हजार मैट्रिक टन लोहा दान में मिला। 57,00,000 किलो तो स्टील ही था। मटेरियल मिलते रहने पर इस मूर्ति को बनाने में 3400 मजदूरों, 250 इंजीनियरों ने कम से कम 42 महीने काम किया। लागत 2990 करोड़ रुपए आई।
प्रतिमा के पास ही ये सुविधाएं भी हैं
सरकार ने पर्यटकों को लुभाने के लिए कई नई सुविधाएं शुरू कीं। हाल ही 5 किलोमीटर तक रिवर राफ्टिंग के अलावा बटरफ्लाई पार्क, जंगल सफारी पार्क और चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क आदि की सुविधा शुरू हुई। साथ ही गुजरात पर्यटन निगम पर्यटकों को रहने के लिए टेंट प्रदान करने लगा।
30 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर हुआ काम
प्रतिमा बनने में ही 3000 करोड़ खर्च हो गए थे। मगर, अब भी यहां हजारों करोड़ खर्चेंगे। दुनिया का प्रतिष्ठ पर्यटन स्थल बनाने के लिए सरकार ने यहां 30 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स शुरू कराए। यहां कई और गार्डन, रास्ते, होटल्स, सफारी पार्क एवं अन्य मनोरंजक पार्क स्थापित होने लगे। नर्मदा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी तैयारियां हो गई हैं, आदिवासियों को अपनी जमीन छोड़ने ही होगी।
टाइम की टॉप-100 ग्रेट साइट्स में मिली जगह
इसी साल मशहूर अमेरिकी पत्रिका टाइम ने विश्व के महानतम स्थानों की सूची में 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को भी शामिल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए इस पर ट्वीट भी किया था। बीते दिनों मोदी ने यह भी बताया कि रोजाना कितने पर्यटक 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देखने आ रहे हैं।