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​​INS विराट को ​टूटने से बचाने की योजना को सरकार ने ​किया खारिज, अब कबाड़ ही बनेगा

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भावनगर। दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट कैरियर ​​आईएनएस विराट को ​टूटने से बचाने की योजना को देश के ​​रक्षा मंत्रालय ​ने खारिज कर ​दिया है​​। अब यह तोड़कर कबाड़ ही बनाया जा सकता है। बता दिया जाए कि, मुंबई की एक कंपनी (एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड) इसे म्यूजियम बनाना चाहती थी और अभी जिस बड़े बिजनेसमैन के पास यह पोत भावनगर के अलंग शिप यार्ड में पड़ा है.. उससे खरीदने के लिए सरकार की एनओसी (जरूरी परमिशन) चाहिए। इसी के लिए कंपनी बॉम्बे हाईकोर्ट चली गई। मगर, सरकार के मंत्रालय ने ​वहां दिए अपने जवाब में ​साफ कह दिया कि ​विराट ​को म्यूजियम में बदलने के लिए ​​​​एनओसी नहीं दी जा सकती।​ बहरहाल, कंपनी सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर सकती है।

यहां शुरू से समझिए इस मामले को

यहां शुरू से समझिए इस मामले को

आईएनएस विराट को भारतीय नौसेना से रिटायर किए जाने के बाद इसी साल गुजरात के बड़े बिजनेसमैन (जिसके ग्रुप को श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइकिलिंग इंडस्ट्रीज कहा जाता है) ने कबाड़ के भाव खरीद लिया। ग्रुप ने कहा कि, हम इसे तोड़कर विभिन्न काम में लेंगे। चूंकि, आईएनएस विराट के नाम कई रिकॉर्ड रहे हैं और ये भारतीय नौसेना के लिए काफी मददगार साबित हुआ था, इसलिए मुंबई के अन्य कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने इसे तोड़ने से बचाने के लिए इसे खरीदकर म्यूजियम में तब्दील करने की बात कही। मगर, इसे खरीदने के लिए अब सरकार से एनओसी जरूरी है, ऐसे में यह मामला अदालत पहुंच गया।

'म्यूजियम इसलिए बनना चाहिए विराट को'

'म्यूजियम इसलिए बनना चाहिए विराट को'

वहीं, इससे पहले श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइकिलिंग इंडस्ट्रीज के मालिक ने कहा था कि, हम यूं तो आईएनएस विराट को कबाड़ नहीं बनाना चाहते। मगर, कोई खरीददार नहीं मिला तो हम इसके कलपुर्जे अलग-अलग कर काम में लेंगे। वहीं, जब एन्विटेक मरीन कंसलटेन्ट्स प्रा. लि. इसे खरीदने के ​तैयार हुई तो उसे एनओसी नहीं मिली। तब उसकी ओर से हाईकोर्ट में ये कहा गया है कि आईएनएस विराट सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाला युद्धपोत है। यह ब्रिटिश नेवी में एचएमएस हर्मिश के रूप में वर्ष 1959 से लेकर 1984 तक अपनी सेवा दे चुका है। इसके बाद इसे भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया। इसलिए इस युद्धपोत का इस तरह अंत नहीं होना चाहिए। हम इसे खरीदकर म्यूजियम में बदलना चाहते हैं, इसलिए परमिशन दी जाए।

खाली खोखे की तरह यहां खड़ा है पोत

खाली खोखे की तरह यहां खड़ा है पोत

बताते चलें कि, आईएनएस विराट अब एक खाली खोखे की तरह है और इन दिनों वह गुजरात में भावनगर जिले के अलंग में दुनिया के सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड से कुछ दूरी पर मौजूद है। बीते 28 सितंबर को इसका औपचारिक तौर पर समुद्र में विसर्जन किया गया। इस विमानवाहक पोत को नीलामी में खरीदने वाले व्यापारी मुकेश पटेल ने बताया कि, अलंग के गहरे समुद्री क्षेत्र में आईएनएस विराट के विसर्जन का 28 सितंबर को काम शुरू किया गया। विसर्जन से पहले कस्टम, गुजरात मैरिटाइम बोर्ड (जीएमबी), गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) और एईआरबी सहित प्राधिकरण की जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया गया था।

अदालत पहुंचा भारत के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट को म्यूजियम में तब्दील करने का मामलाअदालत पहुंचा भारत के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट को म्यूजियम में तब्दील करने का मामला

यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर था

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करीब 76 साल पुराने आईएनएस विराट को विसर्जित होते देख इस पर तैनात रहे जांबाजों ने कहा- अगर हमारा यह पोत म्यूजियम में तब्दील होता तो इतिहास जिंदा रहता। उनका कहना सही भी है, क्योंकि इस विमान वाहक पोत से भारतीय नाैसेना की कई यादें जुड़ी हैं। इसमें ऐसी कई खासियतें भी थीं, जिनके रहते हमारी समुद्री सीमा दुश्मन से सुरक्षित रही। यह दुनिया का पहला ऐसा एयरक्राफ्ट कैरियर भी है, जिसके नाम पर सबसे ज्यादा नेवल ऑपरेशन्स में शामिल होने का रिकॉर्ड है।

दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट का विसर्जन आज, सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी की गईंदुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर INS विराट का विसर्जन आज, सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी की गईं

भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों में सेवा दी

भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों में सेवा दी

आईएनएस विराट दुनिया का इकलौता ऐसा पोत माना जाता है, जो भारतीय और ब्रिटिश नेवी, दोनों सेनाओं का हिस्सा रह चुका है। यह भारत का दूसरा एयरक्राफ्ट करियर था। इससे पहले इंडियन नेवी में आईएनएस विक्रांत था। विक्रांत रिटायर हो गया। जिसके बाद आईएनएस विराट भी रिटायर हो गया। बता दें कि, साल 2017 में इसे रिटायर करने के बाद कोच्चि में सबसे पहले इसके इंजन, जनरेटर निकाले गए थे। जिसके बाद आज का दिन है, जब काफी सारे लोग इसके विसर्जन के अंतिम गवाह बने।

चलता-फिरता शहर था यह

चलता-फिरता शहर था यह

आईएनएस विराट करीबन 226 मीटर लंबा है। इसकी चौड़ाई 49 मीटर है। आमजन के लिए यह एक प्रकार से चलता-फिरता शहर था। जिसमें लाइब्रेरी, जिम, एटीएम, टीवी और वीडियो स्टूडियो, अस्पताल, दांतों के इलाज का सेंटर और मीठे पानी का डिस्टिलेशन प्लांट जैसी सुविधाएं भी थीं।

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'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य'

'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य'

दुनिया के सबसे पुराने एयरक्राफ्ट करियर में से एक 'आईएनएस विराट' जब भारतीय नौसेना में सेवा दे रहा था। तब इस विमान वाहक पोत का ध्येय वाक्य 'जलमेव यस्य, बलमेव तस्य' था। जिसका मतलब होता है- 'जिसका समंदर पर कब्जा है, वही सबसे बलवान है।'

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English summary
Govt Not gives NOC To Save 'life' Of INS Viraat, a Company Wants To Build its Museum
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