भगोड़ा नित्यानंद 'कैलासा' में अब खोलेगा खुद की बैंक, वीडियो जारी कर किए ऐसे-ऐसे दावे
अहमदाबाद। युवतियों को बंधक बनाने एवं उनके अपहरण का आरोपी विवादास्पद गुरू नित्यानंद स्वामी फिर सुर्खियों में है। उस भगोड़े ने कैरेबियाई देश इक्वाडोर के एक टापू पर अपना देश बसा लेने का दावा किया था। जिसे उसने 'कैलासा' नाम दिया। अब उसका कहना है कि, गणेश चतुर्थी पर 'हिंदू रिजर्व बैंक ऑफ कैलासा' लॉन्च की जाएगी।
विवादास्पद गुरू नित्यानंद का नया दावा
यूट्यूब पर पब्लिश किए गए एक वीडियो में नित्यानंद ने दावा किया कि, अपनी केंद्रीय बैंक के लिए एक अन्य देश के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो 'हिंदू निवेश और रिजर्व बैंक' की मेजबानी करेगा। इसी वीडियो में नित्यांनद को आगे कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘पूरी आर्थिक नीतियां, 300-पृष्ठ का दस्तावेज़, पूरी तरह से डिजाइन, मुद्रा के साथ तैयार है। आर्थिक रणनीति जो हम करने जा रहे हैं, आंतरिक मुद्रा का उपयोग और बाहरी विश्व मुद्रा विनिमय सभी लीगल तौर पर किया गया है।
अक्टूबर में भाग गया था भारत छोड़कर
मालूम हो कि, पिछले साल इस विवादास्पद गुरू ने ‘कैलासा' के नाम से वेबसाइट भी लॉन्च की थी। जिसकी वेबसाइट के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल हिंदू राष्ट्र है। उस देश के राष्ट्रीय पशु, पक्षी, प्रतीक, वृक्ष और फूल के साथ पहले से ही ऋषभ ध्वाजा नामक एक ध्वज भी है। जिसकी तीन आधिकारिक भाषाएं भी हैं- अंग्रेजी, संस्कृत और तमिल।
एक खास बात यह भी पता चली है कि,‘कैलासा' की वेबसाइट स्पैनिश संस्करण में भी है, जो महामारी के इस कठिन समय में दुनिया भर के देशों के साथ अपने देश की एकजुटता को व्यक्त करता है।
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पुलिस एवं एजेंसियां नहीं पकड़ सकीं
वहीं, अहमदाबाद एवं बेंगलुरू पुलिस इस बात का पता नहीं लगा सकी हैं कि नित्यानंद रह कहां रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में पुलिस ने यही माना कि, नित्यानंद की लोकेशन इक्वाडोर के पास मिलती है। मगर, इस बारे में पुष्टि नहीं हुई कि उसने अलग देश भी बसा रखा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, नित्यानंद द्वारा कोई देश बसा लेने की बातों में दम नहीं है। हां, उसे वापस भारत लाए जाने के मुद्दे पर सरकार भी चुप्पी साधे हुए है।
तमिलनाडु में हुआ था जन्म
विभिन्न पोर्टल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, नित्यानंद मूलत: तमिलनाड़ु का निवासी है। यहां उसका जन्म 1978 में तिरुवन्नामलाई नामक स्थान पर हुआ था। बचपन में लोग उसे ए. राजशेखरन कहते थे। जैसे-जैसे बड़ा हुआ वह ढोंग करने लगा। उसने खुद को ‘परमशिव' का अवतार तक कह दिया। कहता था कि मेरे पास तीसरी आंख है और मैं भविष्य भी देख सकता हूं। इसी तरह के दावे कर-करके उसने अपने फॉलोअर्स की अच्छी खासी संख्या कर ली।
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ऐसे-ऐसे आरोप लगे उस पर
नित्यानंद ने देश-विदेश के कई स्थानों पर 'नित्यानंद ध्यानपीतम'की शुरुआत की। अहमदाबाद और बेंगलुरू में आश्रम परिसर बनवाए। जिनमें अनुयायियों से चंदा मांगा जाता था। साथ ही अनुयायियों के लड़के-लड़कियों से काम कराया जाता था। फिर रेप का भी आरोप नित्यानंद पर लगा। जिसके बाद नित्यानंद ने खुद को नपुंसक बता डाला। मगर, जब अहमदाबाद स्थित उसके आश्रम से कई लड़कियां गायब हुईं तो फिर नित्यानंद पर उंगली उठने लगी।
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दो बहनें भी घर से भागीं
कुछ समय बाद पता चला कि, वो 2 सगी बहनें भी विदेश पहुंचा दी गई हैं। उसी दौरान नित्यानंद के भी देश से भाग निकलने की कहानी सामने आई। तब से कोर्ट उन्हें पेश होने के लिए कहता रहा है। मगर, किसी ने भी कोई हाजिरी नहीं दी। ऐसा देखा जा रहा है कि, पिछले साल विदेश भाग जाने के बाद से नित्यानंद के सपोर्टर्स उसके वीडियो और स्पीच को सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रसारित करते हैं।