पिता घर छोड़ चला गया, 4 माह पहले मां की भी मौत हो गई, 4 मासूमों का दुखड़ा सुन पुलिस के आए आंसू, दिया रहना-खाना
राजकोट। गुजरात में राजकोट जिले की पुलिस के कर्मियों की आंखें उस वक्त आसूंओं से भर आईं, जब उन्होंने चार अनाथ बच्चों की कहानी सुनी। बच्चों ने बताया कि, उनका पिता घर छोड़कर कहीं चला गया था। मां ही उन्हें पाल रही थी। चार माह पहले मां की भी मौत हो गई। तब से खाने-पीने के लाले पड़े हैं और कोई संभालना वाला नहीं है।
चार बेसहारा बच्चे ब्रिज के नीचे रह रहे थे
पुलिसकर्मियों के मुताबिक, चाइल्ड हैल्प लाइन के प्रतिनिधि नीरद भट्ट ने शहर के मालवीयानगर थाने पर पहुंचकर यह सूचना दी थी कि, राजकोट के मवड़ी चौकड़ी ओवरब्रिज के नीचे एक होटल के सामने करीब एक सप्ताह से चार मासूम बच्चे अकेले रह रहे हैं। पुलिसकर्मी जब बच्चों के पास पहुंचे तो उन्होंने सारी बातें बताईं। बच्चों ने बताया कि जब से मां नहीं है तब से वे चारों कुछ समय जामनगर रोड पर भीख मांगकर खाते थे। फिर किसी व्यक्ति ने रिक्शे के जरिए उन्हें मवड़ी चौकड़ी पर ओवरब्रिज के नीचे छोड़ दिया, जहां करीब 8 दिन से रह रहे थे।
सुनकर पुलिसकर्मियों की आंखों से निकले आंसू
बच्चों ने अपनी मां का नाम ऊषा बताया और कहा कि, जब वह हमारे पास थीं तो हम भगवतीपरा पुल के नीचे रहते थे। पिता लंबे समय से घर नहीं आते और मां ही भरण-पोषण करती थी। चार महीने पहले मां ऊषा मौत हो गई। बच्चों की दयनीय स्थिति देखकर पुलिसकर्मियों की आंखों से आंसू बह निकले। बाद में उन बच्चों के बारे में शहर पुलिस आयुक्त मनोज अग्रवाल, संयुक्त आयुक्त खुरशीद अहमद, जोन 2 के उपायुक्त मनोहरसिंह जाड़ेजा, दक्षिण विभाग के सहायक आयुक्त जे.एम. गेडम को सूचित किया गया।
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बच्चों ने अपने नाम और उम्र बताई
बच्चों की सूचना मिलने पर उक्त इलाके के थाने के निरीक्षक के.एन. भुकण के निर्देशन में सर्वेलन्स स्क्वॉड के उप निरीक्षक वी.के. झाला व टीम के साथ थाने के बाल कल्याण अधिकारी (चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर) सहायक उप निरीक्षक काजलबेन माढक बच्चों के लेने आए। बच्चों ने अपनी पहचान तेजल रामुभाई वाणिया-देवीपूजक (8 वर्ष), अजय रामुभाई (5 वर्ष), पायल रामुभाई (3 वर्ष) व विजय रामुभाई (डेढ़ वर्ष) के तौर पर बताई।
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बालाश्रम में कराई गई स्थायी व्यवस्था
शहर पुलिस आयुक्त मनोज अग्रवाल के निर्देश पर फिर उन बच्चों के रहने-खाने की स्थायी व्यवस्था करने हेतु बच्चों को ओवरब्रिज से ले जाया गया। थाने के निरीक्षक भुकण एवं डी स्टॉफ के उप निरीक्षक झाला व टीम के अलावा थाने के स्टॉफ की ओर से बच्चों को नहलाया गया और थाने में अच्छे कपड़े पहनाए गए। खिलौने देकर भरपेट भोजन करवाया गया। उसके बाद बच्चों को एक बालाश्रम में ले गए।
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