केशुभाई पटेल: गुजरात के 2 बार रहे मुख्यमंत्री, 6 बार रहे विधायक, 2012 में आखिरी चुनाव जीतने के 2 साल बाद दे दिया था इस्तीफा
अहमदाबाद। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल का आज सुबह निधन हो गया। वह 92 वर्ष के थे। दो बार सूबे के मुख्यमंत्री रहे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उन्हें दिग्गज नेता माना जाता था। कई सालों से उनकी तबियत खराब थी। इसके बावजूद इसी साल उन्हें सोमनाथ न्यास का एक वर्ष तक के लिए अध्यक्ष बना दिया गया। पिछले दिनों ही खबर आई कि उन्हें कोरोना हो गया है। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ समय पहले उनकी बायपास सर्जरी भी हुई थी। आज उन्होंने दम तोड़ दिया। केशुभाई के इस तरह आखिरी सांस लेने पर प्रदेश के भाजपा नेता शोक-संवेदनाएं जताने लगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र ने भी दुख जताया। एक समय ऐसा था जब मोदी और केशुभाई पटेल काफी करीबी रहे। केशुभाई के राजनीतिक सफर पर यहां डालते हैं एक नजर।
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दो बार रहे सीएम, दोनों बार पूरा नहीं कर पाए कार्यकाल
केशुभाई पटेल गुजरात के वो नेता थे, जो जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे। गुजरात के वह दो बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन राजनीतिक तख्तापलट की वजह से दोनों ही बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। एक बार उन्होंने वर्ष 1995 शपथ ली और फिर 1998 में भी मुख्यमंत्री रहे। फिर वर्ष 2001 में उनकी जगह नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कहा जाता है कि, मोदी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। हालांकि, सत्ता उनके बीच नाराजगी की भी वजह मानी गई। मोदी उन्हें फोन करके हाल पूछते थे। इस साल जब केशुभाई पटेल 1 साल के लिए सोमनाथ न्यास का अध्यक्ष बने, तो बैठक में मोदी भी शामिल हुए।
1977 में लोकसभा पहुंचे थे केशुभाई पटेल
केशुभाई पटेल पहली बार 1977 में राजकोट से लोकसभा के लिए चुने गए थे। बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद उन्होंने बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में हिस्सा लिया। जहां 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे। ऐसा भी दौर आया जब अपनी पार्टी से नाराजगी के चलते केशुभाई ने गुजरात परिवर्तन पार्टी भी बनाई। भाजपा को गुजरात में सत्ता दिलाते हुए वह खुद मुख्यमंत्री बने। उन्हीं के समय में नरेंद्र मोदी सियासत में आगे बढ़े। तख्तापलट की खबरों के बीच जब उन्होंने इस्तीफा दिया, भाजपा ने मोदी को मौका दिया। मोदी ने केशुभाई पटेल के साथ लंबे वक्त तक काम किया और वह अक्सर केशुभाई पटेल का आशीर्वाद लेने के लिए जाते थे।
मोदी ने कहा था- असल कमान उनके ही हाथ
वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो केशुभाई की तारीफ करते हुए कहा था कि, गुजरात की असल कमान केशुभाई के हाथ में ही है। मोदी ने उन्हें बीजेपी का रथ हांकने वाला सारथी करार दिया था। ऐसा देखा भी गया। क्योंकि, वर्ष 1980 में, जब जनसंघ पार्टी को भंग कर दिया गया था तो केशभाई ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ आयोजक बने। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ चुनाव अभियान का आयोजन किया। फिर उनके नेतृत्व में ही भाजपा को 1995 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। केशुभाई पटेल 1978 और 1995 के बीच कलावाड़, गोंडल और विशावादार से विधानसभा चुनाव जीते थे।
2012 में उन्होंने आखिरी चुनाव लड़ा
केशुभाई पटेल कुल छह बार गुजरात विधानसभा के सदस्य रहे। वर्ष 2012 में जब मोदी दुबारा गुजरात के मुख्यमंत्री बने, उससे पहले ही केशुभाई ने भाजपा छोड़ दी और अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाई- गुजरात परिवर्तन पार्टी। वर्ष 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में केशुभाई को विसावदर से चुना गया था, लेकिन बाद में बीमार होने के कारण उन्होंने 2014 में इस्तीफा दे दिया। उधर, 2014 में मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए।
इसी साल दोबारा सोमनाथ न्यास के अध्यक्ष बने थे
वर्ष 2020 में केशुभाई पटेल को एक वर्ष के लिए दोबारा श्री सोमनाथ न्यास का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसके सदस्य थे। ऐसे में मोदी खुद बैठक में पहुंचे। आडवाणी भी इसके सदस्य रहे हैं। न्यास, गिर सोमनाथ जिले में स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का प्रबंधन देखता है। जब केशुभाई को न्यास का अध्यक्ष चुना गया था, उन्हीं दिनों खबरें आई थीं कि उनकी तबियत ठीक नहीं है।