दूध बेचकर गुजरात में ये महिला कमा रही साल में 1 करोड़ रु. से ज्यादा, डेयरी वाले भी रह गए भौंचक्के
पालनपुर। गुजरात में बनासकांठा जिले की वडगाम तहसील के नगाणा गांव की एक महिला के दूर-दूर तक चर्चे हो रहे हैं। यहां नवलबेन चौधरी नाम महिला दूध की बिक्री से हर महीने 9 लाख रुपए कमा लेती है। हर रोज वह बनास डेयरी को 750 लीटर दूध भेजती है। ताज्जुब की बात ये है कि उसके पास न तो मैनेजमेंट की डिग्री है, न ही अधिक पढ़ी-लिखी है। बस सूझ-बूझ से अपने 190 मवेशियों को मैनेज कर रही हैं।
हर महीने 9 लाख कमाती हैं नवलबेन
इतना ही नहीं, नवलबेन ने गांव के लोगों को खुद रोजगार भी मुहैया कराया है। वह काम पर रखे हुए 10 लोगों को 10-10 हजार रुपए वेतन चुकाती हैं। उनके 190 मवेशियों में 45 गाय, 150 भैंस शामिल हैं। नवलबेन के प्रबंधन के तौर-तरीके का ही असर है कि, अब गुजरात में कई महिलाएं दूध का व्यवसाय करने लगी हैं। जिनमें अकेले नवलबेन की सालाना कमाई 80 लाख रुपए से ज्यादा की हो जाती है।
चारों बेटे भी मां के काम में हाथ बंटा रहे
नवलबेन के 4 बेटे हैं। वे सभी अच्छे-खासे पढ़े-लिखे हैं। इसके बावजूद वे सभी पशुपालन व दूध के व्यवसाय में अपनी मां का सहयोग करते हैं और कंधे से कंधा मिलाकर मदद कर रहे हैं। चारों अपना पारिवारिक व्यवसाय नहीं छोड़ना चाहते। इस तरह आप समझ सकते हैं कि, दूध का व्यवसाय कितना बढ़िया जम गया है।
गुजरात में बनेगी अब गधों की डेयरी, सरकार देगी दुधारू पशु का दर्जा, सबसे महंगा मिलेगा इनका दूध
साल में 2.21 लाख किलो दूध उत्पादन
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ) के मातहत बनासकांठा जिले में बनास डेयरी चलती है। जिसे नवलबेन प्रतिदिन 750 लीटर दूध बेचती हैं। इस तरह वह वहां के अधिकारियों व प्रबंधकों से भी कई गुना ज्यादा कमाई कर लेती हैं। एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के मुताबिक, वो साल में 2.21 लाख किलो दूध का उत्पादन करती हैं।
'आत्मनिर्भर भारत' में योगदान दे रही हूं'
नवलबेन को बनास डेयरी की ओर से बनासकांठा जिले में दूध की कमाई के मामले में प्रथम स्थान दिया गया है। पशुपालन व दूध की बिक्री से प्रतिदिन 30 हजार रुपए और वर्ष में एक करोड़ 10 लाख रुपए कमाने वाली नवलबेन कहती हैं कि, मैं भी 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार कर रही हूं।
इस तरह मुख्य व्यवसाय बन गया पशुपालन
जब ब्याह हुआ था तो ससुराल नगाणा गांव में मात्र 15-20 पशु थे। फिर नवलबेन की मेहनत व सूझबूझ से ससुराल में पशुपालन का व्यवसाय ही उस परिवार का सबसे बड़ा जरिया बन गया। दिलचस्प बात यह भी है कि, यहां पिछले पांच वर्षों में एक लाख से अधिक महिलाएं पशुपालन के साथ दूध के व्यवसाय से जुड़ी हैं। जिनमें से कई महिलाओं ने अन्य 5-10 महिलाओं को जोड़ा है।