गुजरात में वायरस से मर रहे शेर, सरकार अमेरिका से मंगवाएगी एक हजार वैक्सीन
अहमदाबाद। गुजरात एशियाई शेरों में पाए गए एक खतरनाक वायरस को नष्ट करने के लिए अब अमरीका से एक हजार वैक्सीन की खरीद की जा रही है। वन विभाग एवं केंद्रीय जांच दल की पड़ताल के मुताबिक, कई शेरों की मौत कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के कारण हुई। अभी भी ऐसे कई जंगली जानवर वायरस से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसे में इनकी अकाल मौतों की रोकथाम करने एवं बेहतर उपचार के लिए सरकार विदेशी दवाएं मंगवा रही है।
2018 में शेरों में मिला खतरनाक वायरस
कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) से कुछ शेरों के ग्रस्त पाए जाने पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अक्टूबर 2018 में शेरों के बचाव के लिए सीडीवी वैक्सीन का सुझाव दिया था। क्योंकि, उसी साल के दो महीने के दौरान इस खतरनाक वायरस से करीब 27 एशियाई शेरों की मौत हुई थी। तब भी 1300 वैक्सीन अमरीका से मंगाए गए थे। जिनमें से 1100 इस्तेमाल की गई थीं।
इस साल अब तक 85 एशियाई शेर मर गए
एक रिपोर्ट में बताया गया कि, गुजरात में इस वर्ष के शुरुआती पांच महीनों में अब तक 85 एशियाई शेरों की मौत हो चुकी है। जिनमें से 59 की मौत गिर ईस्ट डिवीजन में हुई। इसी इलाके में वर्ष 2018 के दौरान करीब 27 शेरों की मौत हुई थी। अब इस साल यानी 2020 में काफी शेरों की मौत हो जाने के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली से एक जांच दल गुजरात भेजा। यह दल शेरों की मौत की वजहें जानने के लिए आया था।
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2019 में मरे थे 134 शेर, 2018 में 112
पिछले वर्ष गुजरात में 134 शेरों की लाशें मिली थीं। उससे पहले वर्ष 2018 में 112 मौतें दर्ज की गई थीं। इन मौतों को लेकर संभावना जताई गई कि कुछ शेरों की मौत सीडीवी की वजह से ही हुई। इसलिए राज्य सरकार एहतियातन एक हजार वैक्सीन आयात कर रही है।
8 सालों में गई 500 से ज्यादा शेरों की जान
फरवरी 2019 में वनइंडिया ने एक खबर में बताया था कि, गुजरात में 8 सालों के अंदर 529 शेरों की मौत हो चुकी है। अकेले वर्ष 2016 में ही 114 शेरों की जान गई। यह भी तब, जबकि यहां सासन गिर के जंगल एशियाई शेरों के लिए दुनिया में सबसे सेफ प्रश्रय स्थल माने जाते हैं, फिर भी बड़ी संख्या में शेर यहां भी बेमौत मरते हैं। ये मौंतें होने के कारण तो बहुत से रहे, लेकिन शेरों को संरक्षित करने के लिए सरकार एवं वन विभाग के प्रयास नाकाफी ही रहे।
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केंद्र सरकार ने दिल्ली से भेजा जांच दल
वन विभाग के अनुसार, इस वर्ष मारे गए कई शेरों के सैंपल गुजरात बायोटेक्नोलोजी रिसर्च सेंटर (जीबीआरसी) में भेजे गए हैं। जहां जांच हो रही है। वहीं, इसी साल लॉकडाउन के दिनों में भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और वन व पर्यावरण मंत्रालय के विशेषज्ञों ने गुजरात पहुंचकर जांच-पड़ताल की थी।