PM मोदी एशिया के सबसे लंबे रोप-वे प्रोजेक्ट की 24 को करेंगे लॉचिंग, CM रूपाणी खुद गिरनार अंबाजी मंदिर आएंगे
अंबाजी धाम। गुजरात में एशिया के सबसे लंबे रोप-वे का 24 अक्टूबर को उद्घाटन होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत गिरनार पर्वत की तलहटी से विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर तक सिग्नल केबल वर्क इंस्टॉलेशन हो रहा है। कुछ ही दिन में यह काम पूरा हो जाएगा। जिसके बाद गिरनार की तलहटी से अंबाजी तक की दूरी मात्र 7.5 मिनट में ही तय की जा सकेगी। मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को 9999 सीढियां नहीं चढ़नी पड़ेंगी और ऊंचाई से लोग गिरनार की सुन्दरता का लुत्फ भी उठा सकेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी करेंगे रोप-वे प्रोजेक्ट का उद्घाटन
संवाददाता के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 24 अक्टूबर को गिरनार रोप-वे की ई-लॉचिंग करेंगे।प्रशासन इसके लोकार्पण के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहा है। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी खुद गिरनार रोप-वे से होते हुए अंबाजी मंदिर जाएंगे। जिले के कलक्टर डॉ. सौरभ पारधी ने बताया कि, ''रोप-वे के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ही सबसे पहले रोप-वे में सवार होकर अंबाजी मंदिर में माता के दर्शन करेंगे। इस दौरान वे राज्य के विकास, लोगों के स्वास्थ्य-सुख, शांति की कामना करेंगे।''
दिनकर योजना का भी लोकार्पण होगा
रोप-वे प्रोजेक्ट के उद्घाटन कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री जवाहर चावडा, ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल, प्रभारी मंत्री जयेश रादडिया, यात्राधाम विकास बोर्ड के चेयरमैन व मंत्री विभावरी दवे समेत अन्य गणमान्य लोगों के मौजूद रहने की बात भी कही जा रही है। कार्यक्रम को लेकर डीआईजी मनिन्दर सिंह पवार के निर्देशन में एस.पी. रवि तेजा वासम शेरट्टी तैयारियों में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि, रोप-वे की ई-लॉचिंग के अलावा नरेंद्र मोदी इसी दिन दिनकर योजना का भी लोकार्पण करेंगे।
अंबाजी पहुंचने के लिए अभी चढ़नी पड़ती हैं 9999 सीढियां
अंबाजी का देवस्थान देश के 51 शक्ति पीठ में से एक है। गिरनार की पहाड़ी से अंबाजी के मंदिर की दूरी 900 मीटर है। अभी अंबाजी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी का उूंचा-नीचा व घुमावदार रास्ता नापना पड़ता है। जिसमें भी लगभग 10 हजार सीढ़ियां हैं। ऐसे में रोप-वे बनने से यह काफी सुविधाजनक हो जाएगा।
सोने से सुशोभित है मंदिर का गुंबद
इस मंदिर परिसर में अंबाजी माता की प्रतिमा के दर्शन किए जाते हैं। मंदिर के गुंबद को सोने से सुशोभित किया गया है। साल में लगने वाले मेले के दौरान यहां 25 लाख से अधिक तीर्थयात्री आते थे। परिसर की देख-रेख गुजरात तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा भी की जाती है। एलईडी स्क्रीन को चाचर चौक में प्रदर्शित किया जाता है, ताकि यात्रीगण बाहर से भी माता के दर्शन कर सकें।