भारतीय सेना के लिए वर्दी-बैग, पैराशूट और बुलेटप्रूफ जैकेट का कपड़ा अब सूरत में बनेगा, मिला पहला ऑर्डर
सूरत। भारतीय सेना के लिए स्वदेशी उत्पाद बढ़ाने की कोशिश में गुजरात के सूरत शहर का योगदान तेजी से बढ़ता जा रहा है। फाैज की वर्दी, जूते, पैराशूट, बैग और बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने का जो कपड़ा (डिफेंस फैब्रिक) हम अभी दूसरे देशों से मंगवाते थे, वो भी अब सूरत की टेक्सटाइल इंडस्ट्री में बन रहा है। डिफेंस फैब्रिक यहां डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए ही तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि, सेना ने अपनी स्वीकृति दे दी है और यहां सेना से 10 लाख मीटर डिफेंस फैब्रिक तैयार करने का पहला ऑर्डर भी मिल गया है।
सूरत में बन रहा फौज का विशेष कपड़ा
जानकारी के अनुसार, सेना के लिए डिफेंस फैब्रिक के निर्माण को लेकर सूरत के कपड़ा उद्यमियों की डीआरडीओ एवं सीआईआई के दक्षिण गुजरात संगठन के पदाधिकारियों से सितंबर में वर्चुअल बैठक हुई थी। जहां लक्ष्मीपति समूह के एमडी संजय सरावगी ने कहा कि, वे डीआरडीओ की गाइडलाइन पर यह कपड़ा तैयार कराएंगे। दिवाली से पहले ही डिफेंस फैब्रिक का सैंपल टेस्टिंग के लिए भेज दिया गया था। फिर सेना के अप्रूवल मिलने के बाद 5-7 बड़े उत्पादकों की मदद से डिफेंस फैब्रिक बनाने पर काम शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि, तय सौदे के मुताबिक यह अगले दो महीनों में तैयार कर देना है।
आत्मनिर्भर भारत का प्रयास
इस पहल को प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत कैंपेन से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि, अभी तक डिफेंस फैब्रिक को चीन, ताइवान या काेरिया से मंगाते थे। समय की मांग और महंगाई काे देखते हुए डीआरडीओ स्वदेशी चीजें विकसित करने पर जोर दे रहा है। इसी प्रयास के तहत सूरत की टेक्सटाइल मिल को डिफेंस फैब्रिक निर्माण का पहला ऑर्डर मिला है।
देश का 65% कपड़ा यहां तैयार होता है
मालूम हो कि, भारतीय सेना और पुलिस के लगभग 50 लाख से ज्यादा जवानों के लिए हर साल 5 करोड़ मीटर कपड़ा लगता है। और, सूरत तैयार हो रहे खास कपड़े से यह जरूरत काफी हद तक पूरी हो जाएगी। क्योंकि, यह माना जाता है कि सूरत में देश की जरूरत का 65% कपड़ा तैयार होता है।