लॉकडाउन: पीड़ा से तड़पती महिला की रात ढाई बजे डॉक्टर ने कराई प्रसूति, नहीं ली कोई फीस
अहमदाबाद. यहां नरोडा की एक गर्भवती महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। उसके पति और पिता ने दो गायनेक डॉक्टरों से प्रार्थना की, मगर उन्होंने मना कर दिया। उसके बाद एक अन्य डॉक्टर डॉ. मोहिल पटेल से बात की गई। तब डॉ. मोहिल पटेल ने महिला को रात ढाई बजे अस्पताल में भर्ती कर डिलीवरी कराई। लॉकडाउन की घड़ी में इस तरह डॉ. मोहिल ने नवजात को मौत के मुंह से बाहर लाकर उसे जिंदगी दी।उसने अपने इस कर्तव्य के लिए महिला के परिजनों से कोई चार्ज भी नहीं लिया।
संवाददाता के अनुसार, अहमदाबाद शहर में लॉकडाउन के चलते ज्यादातर हॉस्पिटल बंद हैं। ऐसे में रात में जब महिला के पेट में दर्द शुरू हुआ तो वो तड़पने लगी। यह घटना कठवाड़ा क्षेत्र के निवासी महेश ठाकोर की पत्नी आरती के साथ हुई। कल दोपहर से ही उसकी प्रसव पीड़ा शुरु हो गई थी। जिसके चलते आरती का पति और पिता नरोडा-निकोल के अस्पतालों में चक्कर काटने लगे। उन्होंने दो निजी गायनेक डॉक्टर्स का संपर्क कर उनसे मिन्नतें कीं, लेकिन दोनों ने इलाज करने से इंकार कर दिया। इस दौरान महिला के पति महेशभाई को किसी तरह डॉ. मोहिल पटेल का नंबर मिला और रात 12 बजे उनके कॉल करते ही डॉ. मोहिल ने उन्हें तुरंत अपने अस्पताल बुलाया।
वहां आरती की सोनोग्राफी समेत के परीक्षण के बाद में रात ढाई बजे उसकी डिलीवरी कराई। इस दौरान माता के पेट की गंदगी नवजात के मुंह से शरीर में चली गई। जिसके चलते डॉ. मोहिल ने एनेस्थेटिस डॉ. नीरव पटेल और पीडियाट्रिशियन डॉ. भौमिक पटेल की मदद से नवजात के शरीर से गंदगी को बाहर निकाला और इस नवजात को दो घंटे तक आईसीयू में रखा। बाद में माता-बच्चा के स्वस्थ होने पर दोनों को डिस्चार्ज किया गया।
इस बारे में डॉ. मोहिल ने कहा कि, मेरे माता-पिता ने मुझे लोगों की सेवा करने के लिए ही इस पेशे में भेजा है। जब मुझे पता लगा कि, यह श्रमजीवी परिवार कोई खर्च उठाने में समर्थ नहीं है, तब मैंने अपने एकाउंटेंट से कह दिया कि इनसे कोई चार्ज न लिया जाए। इधर, महेशभाई ने कहा कि, हमारे पूरे परिवार की जान हलक में अटक गई थी, लेकिन डॉ. मोहिल भगवान बनकर आए और मेरी पत्नी समेत नवजात बेटी को भी नया जीवन प्रदान किया। उनका यह उपकार में जिंदगीभर नहीं भूलुंगा।
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