आधार कार्ड के सहारे भी होने लगे घपले, राशन स्टोर मालिक गुजरात में गरीबों के डेटा से करोड़ों कमा रहे
गांधीनगर. आधार कार्ड के डेटा के सहारे गुजरात में राशन के अनाज की कालाबाजारी किए जाने का मामला सामने आया है। घपला करने वाले राशन की दुकानों के मालिक गरीबों में वितरित होने वाले अनाज को फर्जी राशन बिलों के तहत बेच रहे थे। शिकायत मिलने पर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने आणंद जिले की 9 राशन दुकानों 12 मालिकों को गिरफ्तार किया है। इन 12 अभियुक्तों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, विश्वासघात का आपराधिक उल्लंघन, मूल्यवान सुरक्षा का फर्जीवाड़ा, दस्तावेजों का उपयोग करने के विविध जुर्मों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही उनके खिलाफ आईटी अधिनियम, आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम के प्रासंगिक अनुभागों के दुरुपयोग की धारा भी लगाई जाएगी।
कम से कम 780 राशन कार्ड वालों के साथ घपला हुआ
संवाददाता के अनुसार, आरोपियों ने आणंद जिले में कम से कम 780 राशन कार्ड मालिकों के आधार नंबर और अन्य डेटा प्राप्त किए थे। अब राज्य में इस तरह के और राशन दुकान मालिकों पर शिकंजा कसने की तैयारी चल रही है, जो उक्त गिरोह के साथ जुड़े हो सकते हैं। साइबर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दुकान मालिकों ने फर्जी राशन बिलों के लिये गरीब परिवार के आधार डेटा का उपयोग किया था। इसके लिए एक गिरोह अहमदाबाद से काम करता था।
एक पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर चौधरी मास्टरमाइंड निकला
पुलिस ने यह भी बताया कि अहमदाबाद के तीन लोगों को पिछले सप्ताह इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। जिनकी पहचान भरत चौधरी, धवल पटेल और दुष्यंत परमार के रूप में हुई। इन तीनों में, राशन की दुकान पर एक पूर्व कंप्यूटर ऑपरेटर चौधरी मास्टरमाइंड था, जबकि धवल और दुष्यंत उंगलियों के निशान का इस्तेमाल करते थे।
राशन कार्ड मालिकों ने यूं हासिल किए उंगलियों के निशान
गरीब परिवारों के आधार डेटा की चोरी करके इन राशन कार्ड मालिकों ने परिवार के सदस्यों की उंगलियों के निशान ले लिये थे। क्लोनिंग के बाद, राशन कार्ड मालिकों के नकली चालान राशन की दुकानों से निकले थे। मालिकों ने राशन के बिलों के आधार पर खाद्यान्न ले लिया और उंचे दामों में बाजार में बेच दिया था।
40 राशन की दुकानों के संपर्क में थे घोटाले बाज
गिरफ्त में लिए गए तीनों आरोपी बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी के लोगों के लिए सब्सिडी वाले खाद्य संसाधनों को उंचे दाम पर बाजार में बेच कर सरकार को धोखा देते थे। यह तीनों घोटाले बाज राज्य में 40 राशन की दुकानों के संपर्क में थे। इसी आधार पर आणंद जिले में विभिन्न स्थानों पर सरकारी सब्सिडी वाली राशन की दुकानें चलाने वाले नौ लोगों को पकड़ा गया है।
गुजरात में 17500 राशन की दुकानें, 1200 पर लगा ताला
राशन दुकानों से रियायती दर पर खाद्यान्नों की खरीद गरीब परिवार करते हैं, लेकिन यहां मालिक ने खुद फर्जी बिलों बनाकर राशन के दाम से खाद्यान्नों की खरीद की और उूंचे दामों में बाजार में बेच दिया है। राज्य में 17500 राशन की दुकानें हैं, जिनमें से 1200 दुकानों को सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग ने छापे मारकर ताला लगा दिया है। फर्जी बिलों की जांच शुरू हो गई है।
इस तरह जुटाए आधार धारकों के फिंगर प्रिंट
राशन दुकान के मालिक अपनी संबंधित दुकानों से राशन कार्ड धारकों की आधार संख्या, राशन कार्ड नंबर और फिंगरप्रिंट की सॉफ्टकॉपी चुरा लेते थे और उसे मुख्य आरोपियों को दे देते थे। गिरोह ने नकली राशन बिल छापने के लिए फिंगर प्रिंट की सॉफ्ट कॉपी को क्लोन करने के लिए रबड़ की सामग्री का इस्तेमाल किया था।
इन स्टोर मालिकों की हुई गिरफ्तारी
इस मामले में अब तक जिन 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनमें से एक ही दिन में नौ लोग गिरफ्तार किए गए। जिनकी पहचान रमेश चंद मोहनानी, दिलीप पटेल, जोइता राम सरगरा, मनोहर सोलंकी, विनोद वाघेला, गंगा वसावा, चेतन तुलसानी, गंगासागर पांडे और प्रफुल्ल ठाकोर के रूप में हुई, जो आणंद में राशन की दुकानों के मालिक थे।