खेलते वक्त 6 साल के बच्चे की नाक में फंसा बेटरी सेल, 5 महीने की तड़पाहट के बाद यूं निकाला बाहर
राजकोट। गुजरात में राजकोट के एक बच्चे की नाक में बेटरी सेल फंस गया था। जिससे उसकी नाक की दाईं ओर से दुर्गन्धयुक्त गहरा पीला तरल पदार्थ निकलता था और बाईं ओर से नाक बंद हो जाती थी। उसे सांस लेने में भी दिक्कत होती थी और नाक में दर्द भी होता था। परिजनों द्वारा जुकाम समझकर उसे बार-बार दवाई दी जाती रही, मगर फर्क नहीं पड़ा। इसी तरह करीब 5 महीने तक वह दुख सहता रहा। अंत में नाक-कान विशेषज्ञ के पास बच्चे को ले जाया गया। तब समस्या की वजह पता चली। उसके बाद शल्य क्रिया के जरिए सेल को नाक से निकाला गया।
राजकोट का मामला
मामला राजकोट निवासी हितेश के बेटे का है। उनका बेटा आर्यन चौहाण (6 वर्ष) करीब 5 माह पहले बैटरी सेल से खेल रहा था। उसने सेल को नाक में घुसा लिया। परिजनों को यह बात पता नहीं चली। आर्यन को दिक्कतें होने लगीं। घटना के करीब 5 माह बाद तक आराम न होने पर परिजन उसे नाक के विशेषज्ञ के पास ले गए। यह विशेषज्ञ थे कान, नाक, गला के (ईएनटी) शल्य चिकित्सक डॉ. हिमांशु ठक्कर। जो कि, राजकोट में विद्यानगर मेन रोड पर दांत व कान, नाक, गले के अस्पताल रहते हैं।
फिर एक्स-रे में पता लगा
डॉ. हिमांशु ठक्कर से मिलने के बाद परिजनों को एक्स-रे में पता लगा कि बच्चे के नाक में दाईं ओर मेटल की कोई वस्तु फंसी है। फिर बच्चे से पूछताछ की गई। वहीं, परिजनों ने भी करीब 5 महीने पहले खेलते समय बेटरी सेल नाक में जाने की शंका जताई। डॉ. हिमांशु ने देर किए बिना दूरबीन की मदद से तत्काल शल्य क्रिया कर नाक में फंसा बेटरी सेल बाहर निकाला।
पत्नी-पत्नी में इलाज के खर्च को लेकर हुआ झगड़ा, दोनों 1 माह के बच्चे को वेंटिलेटर पर ही छोड़ गए
इस तरह बाहर निकाला सेल
डॉ. हिमांशु बोले कि, पांच महीने से बच्चे के सामने विकट परिस्थिति थी। उस बच्चे की उम्र मात्र 6 वर्ष है और बेटरी सेल सरीखी काफी जोखिमी वस्तु से निकलने वाला जहरीला केमिकल नाक के परदे व अंदर की चमड़ी को नुकसान करता है। इस बात पर आश्चर्य होता है कि वो कैसे ये झेलता रहा। नाक के अंदर के आस-पास की चमड़ी से चिपकने के चलते सेल को बाहर निकालने में भी परेशानी हुई। बहरहाल वह बच्चा ठीक है।