पाकिस्तान में जुल्मों से बचने के लिए गुजरात भाग आए थे ये 7 सिंधी, अब मिली भारतीय नागरिकता
अहमदाबाद. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के लागू होने पर जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच गुजरात में पाकिस्तान मूल के 7 लोगों को शुक्रवार को भारतीय नागरिकता दे दी गई। केन्द्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि कच्छ में शरणार्थियों को इंडियन सिटीजनशिप का सर्टिफिकेट सौंपा गया है। ये शरणार्थी कई साल पहले पाकिस्तान से आए, अब हिंदुस्तानी हो गए हैं। 7 शरणार्थियों में एक महिला भी शामिल है। समारोह के दौरान सभी का सिंदूर से तिलक करके स्वागत किया गया। इस दौरान वहां सैकड़ों की तादाद में शरणार्थी मौजूद थे। इन शरणार्थियों के बीच जाकर मनसुख मंडाविया ने भोजन भी किया। आतिशबाजी भी हुई।
पाकिस्तान के 7 सिंधियों को अब भारतीय नागरिकता मिली
संवाददाता के अनुसार, जिन लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई, वे सोढ़ा परिवार के हैं। इनमें रामसिंह सोढ़ा पाकिस्तान के सिंध प्रांत के पूर्व विधायक थे। वह 2007 से कच्छ के नखत्राणा में रह रहे हैं। उनका कहना है कि हमारा सालों का इंतजार अब खत्म हो गया। अभी तक हमारी बात नहीं सुनी जा रही थी। सरकार ने आज जो किया, भारतीय होने का हक पाकर हमें बहुत अच्छा लग रहा है। नागरिकता देने का मोदी सरकार का निर्णय हमारे जैसे बहुत से शरणार्थियों के लिए आशीर्वाद जैसा है।''
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया बोले— नया सवेरा लाया सीएए
केन्द्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा, नागरिकता संशोधन कानून पारित होने पर देश भर में खुशी का माहौल है। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लिये गये ऐतिहासिक फैसलों में से एक है। यह कानून लोगों के जीवन में नया सवेरा लेकर आया है। अब गुजरात में रह रहे हजारों पाकिस्तानी शरणार्थियों के भारतीय नागरिक बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। कुछ लोगों द्वारा हमारे इस कदम का विरोध भी किया जा रहा है। हिंसा फैलाई जा रही है, उन पर सख्ती होगी।
गुजरात के इन इलाकों में रह रहे हैं पाक से आए शरणार्थी
पाकिस्तान से वर्ष 1952 से ही शरणार्थियों का आना जारी है। वहां के सिंध से आए सिंधी, लोहाणा, कोली, थरपाकर, बादिन थट्टा, महेश्वरी आदि समुदाय के हजारों लोग शरणार्थी के रूप में अहमदाबाद, गांधीनगर, कच्छ, बनासकांठा, पाटण, मोरबी में रह रहे हैं।
'560 मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी'
संसद में केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, बीते 5 साल में 560 मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी गई है।
संप्रग सरकार ने 13 हजार सिख—हिंदुओं को नागरिकता दी थी
इससे पहले यूपीए सरकार ने 5 वर्षों के दौरान 13 हजार सिख-हिंदुओं को भारतीय नागरिकता दी थी। कांग्रेस के शासनकाल में नागरिकता कानून आया था। जिसके चलते पाक, बांग्लादेश से आने वाले प्रताड़ित तबके को भारतीय नागरिकता देने की घोषणा हुई थी।
मोदी सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन किया
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी को नागरिकता देने को लेकर नागरिकता कानून में संशोधन किया है। अब बाहर से आने वाले गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देना काफी आसान हो गया है।