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गुजरात की एकलव्य: बिना किसी कोच की मदद के किसान की बेटी ने किया कमाल

गुजरात की एकलव्य: बिना किसी कोच की मदद के किसान की बेटी ने किया कमाल

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पोरबंदर. गुजरात में पोरबंदर से लगभग 35 किलोमीटर दूर परवाड़ा गाँव की रहने वाली 21 साल की रम्भी सीदा ने 'खेल महाकुंभ 2019' में जो कमाल कर दिखाया है, उसकी कहानी से हर कोई सीख सकता है। रंभी सीदा ने बिना किसी कोच की मदद के अपनी मेहनत के बल पर शॉट पुट के खेल में न केवल महारत हासिल की, बल्कि सरकार के राज्य स्तरीय खेल आयोजन में पहला पुरस्कार भी जीता है। उन्हें साढ़े पांच किलो की लोहे की गेंद फेंक प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान मिला। इस​के लिए, उन्हें 21,500 रुपये का पुरस्कार सौंपा गया है।

बिना कोच खुद ही 21 साल की लड़की ने कमाल कर दिया

बिना कोच खुद ही 21 साल की लड़की ने कमाल कर दिया

रम्भी सीदा का परिवार, पिछड़े इलाके से ताल्लुक रखता है और आर्थिक रूप से उतना सुदृढ़ नहीं है। फिर भी रंभी के सपनों ने उड़ान भरी। अपनी मन की करते हुए, उन्होंने गांव का नाम रोशन कर दिया। रम्भी कहती हैं कि, मैं खेतों में ही मिट्टी के डेले फेंका करती थी। अपने सेलफोन पर यूट्यूब से वीडियो देखा करती थी, उसी के सहारे 'शॉट पुट' खेल सीखा। शॉट पुट के अलावा डिस्कस थ्रोइंग भी सीखा।''

खेत में रहकर ही शॉट पुट और डिस्कस थ्रोइंग की तैयारी की

खेत में रहकर ही शॉट पुट और डिस्कस थ्रोइंग की तैयारी की

''मैंने वीडियोज में विभिन्न मूव और तकनीकें देखीं। मैंने उनमें ध्यान लगाते हुए मेहनत की। सुबह और शाम को अपने खेत में महीनों तक लगातार अभ्यास किया। फिर, सरकार के राज्य स्तरीय खेल आयोजन में हिस्सा लिया। जहां साढ़े पांच किलो की लोहे की बॉल फेंकी और मैं शीर्ष पर रही।''

पहले भी हासिल कर चुकी हैं इन खेलों में पुरस्कार

पहले भी हासिल कर चुकी हैं इन खेलों में पुरस्कार

रम्भी बताती हैं कि, वर्ष 2017 में खेल महाकुंभ में डिस्कस थ्रो में उन्होंने दूसरा पुरस्कार जीता था, वर्ष 2018 में वह इन खेलों में तीसरे स्थान पर रही थीं और उन्हीं खेलों में विश्वविद्यालय स्तर की प्रतियोगिताओं में पहला और दूसरा पुरस्कार भी हासिल किया।'

पिता ने कहा, मुझे अपनी बेटी पर गर्व है

पिता ने कहा, मुझे अपनी बेटी पर गर्व है

रम्भी के पिता देवसी सीदा कहते हैं, "मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। वह बचपन से ही खेल में रुचि रखती है, विशेष रूप से, डिस्कस थ्रो और शॉट पुट में। मैंने बचपन से उसे प्रोत्साहित किया है। मुझे खुशी है कि खेल महाकुंभ जैसे इवेंट ने उसकी उपलब्धियों को पहचान लिया है।"

एकलव्य सी कहानी है रम्भी सीदा की

एकलव्य सी कहानी है रम्भी सीदा की

गांव वाले भी उनकी मेहनत को एकलव्य सा संघर्ष बताते हैं, जो बिना गुरु ही धनुर्विद्या में अर्जुन से ज्यादा निपुण हो गए थे। उसी प्रकार, रंभी ने खेतों से ही 'शॉट पुट' में महारत पाने की राह तय की। वह आगे राष्ट्रीय, फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों में हिस्सा ले सकती हैं।

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English summary
success story of 21-year-old Rambhi Seeda; a Gujarati girl, who wins first prize in shot put at Khel Mahakumbh 2019
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