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HR मैनेजर की नौकरी छोड़ भीख क्यों मांगने लगी यह लड़की? बनना चाहती है IAS

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गोरखपुर। असफलताएं कई बार इंसान को उस जगह लाकर खड़ा कर देती हैं, जहां पर वह खुद को भी नहीं पहचान पाता है। वरना जिस युवती ने प्रथम श्रेणी से एमबीए की परीक्षा पास की हो। मल्टीनेशनल कंपनी में एचआर मैनेजर के पद पर काम किया हो वो आज कूड़ा नहीं बीन रही होती। सड़क किनारे भीख नहीं मांग रही होती। जी हां, घर से करीब 1500 किलोमीटर दूर हैदराबाद की एक युवती यूपी के गोरखपुर में कुछ इसी हाल में मिली।

विक्षिप्त हालत में मिली थी युवती

विक्षिप्त हालत में मिली थी युवती

तेलंगाना के वारंगल की रहने वाली रजनी टोपा कुला लॉकडाउन के दौरान बीते 23 जुलाई को विक्षिप्त हालत में तिवारीपुर थाने के पास मिली थी। चिलचिलाती धूप में रजनी के शरीर पर आठ जोड़ी कपड़े थे। बताया जाता है कि वह कूड़ेदान के पास फेंके हुए सूखे चावल बीन कर खा रही थी। इस दौरान उसे देख किसी ने पुलिस को सूचना दी। थाने से दो सिपाही मौके पर पहुंचे। उन्होंने रजनी से बात करने की कोशिश की। रजनी ने सिपाहियों से फरार्टेदार अंग्रेजी बोलने लगी। इस दौरान वह हिंदी भी बोल रही थी, लेकिन उसके शब्द समझ नहीं आ रहे थे।

तीन महीने इलाज के बाद सुधरी हालत

तीन महीने इलाज के बाद सुधरी हालत

युवती की अंग्रेजी सुनकर सिपाहियों ने मामले की जानकारी अपने अधिकारियों को दी। पुलिस अधिकारियों ने युवती को मातृछाया चैरिटेबल फाउंडेशन के सुपुर्द कर दिया। फाउंडेशन के निदेशक आलोक मणि त्रिपाठी के मुताबिक, मनोचिकित्सक डॉ. अभिनव श्रीवास्तव ने संस्थान मे रजनी का इलाज किया। तीन महीने इलाज के बाद अब रजनी की हालत सुधरने लगी है। आलोक मणि त्रिपाठी के ने बताया कि रजनी द्वारा घर का पता बताने पर उन्होंने उसके पिता से संपर्क किया। परिवार में दिव्यांग पिता, बूढ़ी मां और एक भाई है। तीनों ने गोरखपुर आने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मातृछाया की टीम ने शुक्रवार को रजनी को फ्लाइट से हैदराबाद ले जाकर परिवार से मिलवाया।

आईएएस बनने का था सपना, डिप्रेशन में गई रजनी

आईएएस बनने का था सपना, डिप्रेशन में गई रजनी

पिता ने बताया कि रजनी ने वर्ष 2000 में एमबीए की पढ़ाई प्रथम श्रेणी से पास की थी। वह आईएएस अफसर बनना चा​हती थी। उसने दो बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम भी दिया, लेकिन सफल नहीं हुई। इसके वह धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगी। डिप्रेशन से बचने के लिए रजनी ने हैदराबाद में एक मल्टीनेशल कंपनी में एचआर मैनेजर की नौकरी शुरू की, लेकिन डिप्रेशन से निकल नहीं पाई। डिप्रेशन की वजह से रजनी की नौकरी भी छूट गई। इसके बाद वह और बीमार होती गई। रजनी का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा। पिता के मुताबिक, रजनी ने पिछले साल नवंबर में घर से कहीं चली गई थी। बीते 23 जुलाई को उसे पुलिस ने मातृछाया के सुपुर्द किया था।

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English summary
HR manager hyderabad girl becomes waste pickers in gorakhpur
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