डीडीयू दलित छात्रा डेथ केस: विभाग में लटकी लाश से उठे कई सवाल? पुलिस आश्वासन पर तीसरे दिन हुआ अंतिम संस्कार
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश में सीएम सिटी कहे जाने वाले गोरखपुर के प्रतिष्ठित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (डीडीयू) में बीएससी थर्ड ईयर की दलित छात्रा प्रियंका की मौत मामले ने तूल पकड़ लिया है। शनिवार को परीक्षा देने विश्वविद्यालय गई छात्रा का शव उसी दिन होम साइंस डिपार्टमेंट के स्टोर रूम में फांसी के फंदे से लटका मिला था। पुलिस इस मामले को पहले खुदकुशी बताती रही लेकिन परिजनों ने इसे हत्या बताया। परिजनों की मांग और तहरीर पर पुलिस को हत्या का मुकदमा दर्ज करना पड़ा। परिजन अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रियंका के शव का अंतिम संस्कार नहीं होने दे रहे थे। डीएम और एसएसपी के आश्वासन पर परिजनों ने सोमवार को अंतिम संस्कार कर दिया। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
प्रियंका
की
हत्या
या
आत्महत्या?
सिक्युरिटी
गार्ड
की
नौकरी
करने
वाले
विनोद
कुमार
की
20
वर्षीय
बेटी
प्रियंका
को
उसका
भाई
मनीष
शनिवार
को
सुबह
की
पाली
की
परीक्षा
के
लिए
बाइक
से
विश्वविद्यालय
छोड़ने
आया
था।
प्रियंका
की
लाश
दोपहर
में
गृह
विज्ञान
विभाग
के
स्टोर
रूम
में
ट्यूबलाइट
स्टैंड
के
फंदे
से
लटकी
मिली।
घटना
के
बारे
में
डीडीयू
के
मुख्य
नियंता
प्रो.
सतीश
चंद्र
पांडेय
ने
कहा
कि
विभागाध्यक्ष
ने
उनको
घटना
की
सूचना
दी
जिसके
बाद
वे
दोपहर
12.30
बजे
स्टोर
रूम
में
पहुंचे।
कैंट
थाने
की
पुलिस
को
मौके
पर
बुलाया
गया।
पुलिस
ने
शिनाख्त
के
बाद
प्रियंका
के
पिता
और
भाई
को
भी
वहां
बुलाकर
उनके
सामने
ही
आगे
कार्रवाई
की
और
लाश
को
पोस्टमॉर्टम
के
लिए
भेजा।
दबाव
पड़ने
पर
पुलिस
ने
किया
हत्या
का
केस
दर्ज
छात्र
नेता
मनीष
ओझा
के
मुताबिक,
जिन
परिस्थितियों
में
प्रियंका
की
लाश
फंदे
से
लटकी
थी,
उससे
कई
सवाल
खड़े
होते
हैं।
स्टोरा
रूम
खुला
था,
प्रियंका
के
सिर
में
चोट
के
निशान
थे,
उसके
कपड़े
पर
मिट्टी
लगी
थी
और
उसके
पैर
जमीन
से
सटे
थे।
ऐसा
लग
रहा
था
जैसे
किसी
ने
प्रियंका
की
हत्या
को
आत्महत्या
दिखाने
का
प्रयास
किया
था।
छात्र
नेता
ने
कहा
कि
पुलिस
इसको
खुदकुशी
बता
रही
थी।
इस
मामले
में
छात्र
नेताओं
और
राजनीतिक
दलों
के
कूदने
के
बाद
पुलिस
ने
यू
टर्न
लेते
हुए
पिता
की
तहरीर
पर
गृह
विज्ञान
विभागाध्यक्ष
और
कर्मचारियों
के
खिलाफ
हत्या
का
मुकदमा
दर्ज
किया।
भाई
ने
कहा-
बहन
पढ़ने
में
बहुत
तेज
थी
भाई
मनीष
ने
बताया
कि
31
जुलाई
को
प्रियंका
को
विश्वविद्यालय
छोड़ने
गया
था।
दोपहर
में
पुलिस
ने
फोन
किया
कि
बहन
की
मौत
हो
गई
है।
मनीष
ने
बताया
कि
प्रियंका
पढ़ने
में
बहुत
तेज
थी,
वह
आत्महत्या
नहीं
कर
सकती
है
और
इसकी
कोई
वजह
भी
नहीं
है।
मनीष
ने
विभाग
के
कर्मचारियों
पर
शक
जताया
और
इस
मामले
में
जांच
की
मांग
की।
प्रियंका
के
पिता
विनोद
कुमार
ने
कहा
कि
उनकी
बेटी
की
हत्या
हुई
है,
उसने
आत्महत्या
नहीं
की
है।
परिजनों
ने
पुलिस
से
पांच
सवालों
के
जवाब
मांगे
हैं
और
उनकी
पांच
मांगें
हैं
जिनको
लेकर
वे
प्रियंका
के
शव
का
अंतिम
संस्कार
नहीं
करने
देने
पर
अड़े
रहे।
आखिर
में
जिलाधिकारी
और
पुलिस
अधिकारी
के
आश्वासन
पर
वे
अंतिम
संस्कार
करने
के
लिये
तैयार
हुए।
परिजनों
के
पांच
सवाल
और
पांच
मांगें
जिस
दुपट्टे
से
प्रियंका
की
लाश
फंदे
से
लटकी
मिली
वह
उसका
नहीं
था,
फिर
किसका
था,
कौन
उसके
आसपास
मौजूद
था?
प्रियंका
के
कपड़े
पर
मिट्टी
कैसे
लगी?
प्रियंका
की
घड़ी
कहां
गायब
हुई?
प्रियंका
का
चप्पल
ट्यूबलाइट
स्टैंड
से
दूर
क्यों
मिला?
प्रियंका
के
सिर
में
चोट
कैसे
लगी?
परिजनों
ने
कहा
कि
उनको
इन
सवालों
के
जवाब
चाहिए।
साथ
ही
उन्होंने
मांग
की
कि
प्रियंका
के
शव
का
दोबारा
पोस्टमॉर्टम
हो,
परिवार
को
एक
करोड़
का
मुआवजा
मिले।
परिजनों
ने
सरकारी
नौकरी,
न्यायिक
जांच
और
परिवार
की
सुरक्षा
की
भी
मांग
की।
डीएम
और
एसएसपी
ने
परिजनों
को
आश्वासन
दिया
कि
उनकी
मांगों
पर
विचार
किया
जाएगा।
परिवार
को
सुरक्षा
दी
गई
है।
विश्वविद्यालय
में
भी
फोर्स
की
तैनाती
की
गई
है।
फर्रुखाबाद की पूजा बनी अंकित, फिर की गोरखपुर की लड़की से शादी...अब थाने पहुंचा मामला
गृह
विज्ञान
विभाग
में
नहीं
लगे
हैं
सीसीटीवी
कैमरे
पुलिस
इस
घटना
की
जांच
करने
लगी
तो
पता
चला
कि
गृह
विज्ञान
विभाग
में
सीसीटीवी
कैमरे
नहीं
लगे
हैं।
एसपी
सिटी
सोनम
कुमार
ने
बताया
कि
घटनास्थल
की
वीडियोग्राफी
कराई
गई
है।
मौके
पर
पुलिस
ने
भी
जांच
की
है।
लाश
का
पोस्टमॉर्टम
कराया
गया
है।
पिता
की
शिकायत
पर
इस
मामले
में
हत्या
का
केस
दर्ज
किया
गया
है।
फोरेंसिक
और
सर्विलांस
टीम
के
सहयोग
से
पुलिस
इस
केस
की
तह
तक
पहुंचने
में
लगी
है।
डीडीयू
के
मुख्य
नियंता
प्रो.
सतीश
चन्द्र
पाण्डेय
ने
कहा
कि
विश्वविद्यालय
प्रशासन
पुलिस
की
मदद
कर
रहा
है।
साथ
ही,
विश्वविद्यालय
में
भी
इस
घटना
की
जांच
के
लिए
चार
सदस्यीय
टीम
बना
दी
गई
है।