बिना टेक्नोलॉजी के तिब्बत का मैप बनाने वाले नैन सिंह को गूगल ने किया याद
नई दिल्लीः हर बार गूगल खास अवसर पर डूडल तैयार करता है आज यानि 21 अक्टूबर को गूगल ने याद किया नैन सिंह को। नैन सिंह वो शख्स हैं जिन्होंने बिना किसी आधुनिक उपकरण के पूरे तिब्बत का नक्शा तैयार किया था। उनका नाम अंग्रेजी हुकूमत भी बड़े सम्मान से लेती है।
नैन सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 1830 में कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले के मिलम गांव में हुआ था। उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। वो अपने पिता के साथ तिब्बत रहने चले गए। उनके पिता व्यापारी थे, जिसके कारण नैन सिंह को कई जगहों पर आना जाना पड़ा। उन्होंने तिब्बती भाषा भी सीखी। इतना ही नहीं नैन सिंह को हिंदी, तिब्बती, अंग्रेजी और फारसी का अच्छा ज्ञान था।
कहा जाता है कि नैन सिंह से ऐसे समय में तिब्बत का मैप बनाया जब किसी भी विदेशी के आने पर मनाही थी और पकड़े जाने पर मौत की सजा दी जाती थी, लेकिन वो छिपकर वहां पहुंच गए और रस्सी, कंपस, थरमॉमिटर और कंठी के जरिए पूरा तिब्बत नाप दिया और मैप तैयार कर दिया।
कहा जाता है कि नैन सिंह ने सबसे पहले ल्हासा की स्थिति और ऊँचाई पता की थी और तिब्बत से बहने वाली मुख्य नदी त्सांगपो के बहुत बड़े भाग का मानचित्रण भी बनाया। अंग्रेजों को नैन सिंह जी जरुरत उस वक्त पड़ी जब 19 वीं शताब्दी में वो भारत का नक्शा तैयार कर रहे थे।
अंग्रेजों पर पूरे भारत का नक्शा तो बना लिया था लेकिन वो तिब्बत का नक्शा नहीं बना पा रहे थे क्योंकि वहां किसी भी विदेशी के जाने की मनाही थी। इस समस्या से निपटने के लिए अंग्रेजों ने किसी भारतीय की खोज करनी शुरू की।
साल 1863 में ऐसे दो लोग मिल ही गए। एक थे उत्तराखंड निवासी 33 साल के नैन सिंह और दूसरे थे उनके चचेरे भाई मानी सिंह। अंग्रेजों ने दोनों से बात करके उन्हें देहरादून में सर्वे ऑफ इंडिया में प्रशिक्षण दिया गया। दोनों को मैप का तरीका बताया गया।
नैन सिंह वो पहले शख्स थे, जिन्होंने दुनिया को बताया कि ल्हासा की समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है। कहा जाता है कि उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी के साथ लगभग 800 किलोमीटर पैदल यात्रा की थी।