यूपी का यह सरकारी स्कूल हुआ चर्चित, कॉन्वेंट जैसी सुविधा में पढ़ रहे गांव के बच्चे
गोण्डा: सुविधाओं में निजी स्कूलों पर भी भारी पड़ा ये सरकारी स्कूल, इंग्लिश मीडियम हो गए हैं गांव वाले बच्चे
गोंडा। उत्तर प्रदेश में गोंडा जिले के इटियाथोक ब्लाक अंतर्गत संचालित हर्रैया झुमन स्कूल इन दिनों चर्चा में है। यह प्राथमिक विद्यालय अब कांन्वेंट स्कूलों पर भी भारी पड़ रहा है। जिसकी वजह है यहां सभी साजो-सामान व सुविधाओं का होना और साथ ही इंग्लिश मीडियम शिक्षकों द्वारा बच्चों को पढ़ाया जाना। कुछ माह पहले तक यह विद्यालय जीर्णशीर्ण अवस्था में था, मगर बाद में मॉडल स्कूल की तरह दमक उठा।
कायाकल्प
योजना
लागू
हुई,
अधिकारियों
ने
ध्यान
दिया
जानकारी
के
मुताबिक,
इटियाथोक
ब्लाक
के
हर्रैया
झुमन
में
कक्षा
5वीं
तक
के
विद्यालय
का
हालत
काफी
खराब
थे।
भवन,
परिसर
और
ग्राउंड
ठीक
नहीं
थे।
लोग
प्रधान
को
कोसते
थे।
फिर
ग्राम
प्रधान
सहजराम
तिवारी
ने
इसी
विद्यालय
की
स्थिति
सुधारने
की
कोशिश
की।
2018
के
शिक्षण
सत्र
के
आरम्भ
में
ये
विद्यालय
इंग्लिश
मीडियम
में
सलेक्ट
हुआ,
इसके
बाद
तो
सरकार
की
कायाकल्प
योजना
भी
लागू
हो
गई।
धीरे-धीरे
ऐसी
व्यवस्थाएं
हुईं
जो
आपको
किसी
मॉडर्न
स्कूल
में
ही
देखने
को
मिलेंगी।
एडीओ पंचायत फूलचंद्र श्रीवास्तव का इस स्कूल के बारे में कहना है कि यहां बच्चों को संस्कारित किया जा रहा है और प्रकृति की कद्र करने की शिक्षा और विभिन्न विषयों के साथ-साथ बच्चों को नैतिक शिक्षा एवं खेल की शिक्षा भी मिल रही है।
बच्चों
के
बैठने
के
लिए
डेस्क
बेंच
और
टाटपट्टियां
इस
स्कूल
में
विद्यार्थियों
के
बैठने
की
समुचित
व्यवस्था
है।
टाटपट्टी
एवं
जमीन
पर
बैठने
वाले
विद्यार्थी
बेंच
पर
बैठते
हैं।
इसके
लिए
प्रधान
ने
50
सेट
डेस्क
बेंच
लगवाईं।
प्रधान
का
कहना
है
कि
जब
विद्यालय
अंग्रेजी
माध्यम
का
हो
चुका
है
तो
सुविधाएं
भी
यहाँ
अच्छी
होनी
चाहिये।
बच्चे
जब
डेस्क
बेंच
पर
बैठकर
पढेंगे,
तो
उनके
अंदर
से
हीनभावना
निकल
जायेगी।
वे
अधिक
सचेष्ट
होकर
पढ़ाई
करेंगे।
ये
शिक्षक
हैं
यहां
तैनात
अगस्त
2018
के
अंतिम
सप्ताह
में
सहायक
अद्द्यापक
सुभाष
चन्द्र
शुक्ल,
राजकुमार,
उधौराम
गुप्ता
तथा
अशोक
कुमार
मौर्य
की
यहाँ
नियुक्ति
हुई।
सहायक
अध्यापक
सुभाष
चन्द्र
शुक्ल
ने
मॉडल
विद्यालय
के
लिये
आवश्यक
वस्तुओं
की
सूची
बनाकर
एक
प्रस्ताव
ग्राम
प्रधान
के
समक्ष
रखा,
जिसे
स्वीकार
करते
हुए
प्रधान
सहजराम
तिवारी
ने
विचारों
पर
अमल
कर
उसे
साकार
किया।
स्कूल में कबड्डीकोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट और खो-खो के मैदान हैं। गांव के एक बुजुर्ग पहलवान बच्चों को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाने भी आते हैं। जिससे बच्चो में सहयोग, समूह भावना एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का भी विकास होता है। यहां के प्रधान को आदर्श ग्राम प्रधान का पुरस्कार भी मिला है, इसके अतिरिक्त अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। स्कूल में दो डस्टबिन भी हैं। पीने के पानी और वॉशरूम की भी अच्छी व्यवस्था है।
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