जॉब लगवाने के नाम पर 1500 लोगों को ठग चुके है यह भाई-बहन, खुद को नौकरी नहीं मिलने के बाद खोली 'ठग कंपनी'
Ghaziabad News, गाजियाबाद। साइबर सेल व नगर कोतवाली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का खुलासा किया है जो एयरलाइंस कंपनी, नामी बैंक और अस्पताल में जॉब लगवाने के नाम पर ठगी करता था। गैंग का खुलासा करते हुए पुलिस ने ठगी करने वाले भाई-बहन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से 20 मोबाइल, 225 रेज्यूम, 10 ट्रेनिंग लेटर समेत अन्य सामान बरामद किया है। पुलिस के मुताबिक, अभी तक की जांच में सामने आया है कि ये लोग 1500 से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके हैं।
सीओ प्रथम अभय कुमार मिश्र ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस ने प्रियंका, उसके भाई निखिल और अनूप को गिरफ्तार किया है। प्रियंका और निखिल बुलंदशहर जिले के खुर्जा थाना क्षेत्र किसवागढ़ी गांव रहने वाले है। बताया कि इस गैंग की सरगना प्रियंका थी और वह अपने भाई निखिल और साथी अनूप निवासी इंदिरा कॉलोनी साहिबाबाद के साथ मिलकर क्लाउड-9 सोसायटी में 'ठग कंपनी' यानि कॉलसेंटर चला रहे थे। इसमें 13 लोग कॉलर के रूप में काम कर रहे थे। यह ठग कंपनी अलग-अलग लोगों के माध्यम ये लोगों का डेटा लेती थी।
सीओ प्रथम ने बताया कि गैंग लीडर प्रियंका और निखिल दोनों काफी पढ़े लिखे हैं। प्रियंका बीएड के साथ एलएलबी किए हुए है। तो वहीं, निखिल एमबीए पास है। प्रियंका 2017 से इस गिरोह को चला रही है। निखिल ने इस दौरान पुलिस पूछताछ में बताया कि एमबीए करने के बाद उसे जॉब मिलने में काफी दिक्कत हो रही थी। इस दौरान उसने एक प्लेसमेंट कंपनी को जॉइन किया। वहां छोटे-छोटे टाइअप से लोगों की जॉब लगवाने की फीस मिलती थी। इसके बाद 2017 में इन्होंने खुद की एजेंसी शुरू की और जॉब पोर्टल क्विकर से टाइअप कर शुरुआत में कुछ लोगों की जॉब भी लगवाई।
इस दौरान उन्होंने देखा कि जिन लोगों की जॉब नहीं लगती उनके रुपए अगर नहीं लौटाए जाते तो भी वे लोग कुछ नहीं करते हैं। इसके बाद दोनों भाई-बहन ने चंद समय में करोड़पति बनने के लिए ठगी का रास्ता चुना और इसमें 12वीं पास अनूप को भी अपने गिरोह में शामिलकर लिया। सीओ प्रथम ने बताया कि गैंग क्विकर पर नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते थे। आवेदकों की डिटेल लेकर उन्हें नौकरी का झांसा दिया जाता था। इंटरव्यू के नाम पर उनसे खातों में तीन हजार से 10 हजार रुपए अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए जाते थे।
देशभर
में
फैला
था
जाल
आरोपितों
ने
बताया
कि
उनके
कॉल
सेंटर
से
देश
के
किसी
भी
हिस्से
में
कॉल
की
जाती
थी।
वह
दिल्ली-एनसीआर
के
साथ
राजस्थान,
छतीसगढ़,
मध्यप्रदेश,
महाराष्ट्र,
पंजाब,
बिहार,
उत्तर
प्रदेश,
झारखंड
के
बेरोजगार
लोगों
को
भी
कॉल
कर
ठगते
थे।
2
लाख
रुपए
महीने
से
ज्यादा
ऑफिस
खर्च
साइबर
सेल
प्रभारी
सुमित
ने
बताया
कि
कॉलसेंटर
का
महीने
का
किराया
ही
करीब
20
हजार
रुपए
था।
इसके
अलावा
यहां
जॉब
करने
वाले
को
लड़के-लड़कियों
को
यह
लोग
10
हजार
रुपए
प्रति
महीना
की
सैलरी
भी
देते
थे।
गैंग
हर
महीने
ऑफिस
पर
2
लाख
रुपए
तक
खर्च
कर
रहा
था।
इसके
अलावा
ये
लोग
ठगी
के
पैसे
मंगाने
के
लिए
बैंक
अकाउंट
भी
किराये
पर
लेते
थे।
किराये
के
अकाउंट
के
लिए
भी
महीने
के
20-30
हजार
रुपए
दिए
जाते
थे।
पुलिस
किराये
पर
अकाउंट
देने
वालों
का
भी
पता
कर
रही
है।