एक रुपए की पर्ची के लिए 2 घंटे तक दौड़ता रहा पिता, बच्चे ने मां की गोद में तोड़ दिया दम
गाजियाबाद। गाजियाबाद के जिला एमएमजी अस्पताल में पिता अपने सवा महीने के बेटे को गोद में लेकर पहुंचा। वह इमरजेंसी की लाइन में लग गया। जब नंबर आया तो डॉक्टर ने पर्ची मांगी, पिता ने बच्चे की तबीयत का हवाला देते हुए कहा, आप इलाज शुरू करें मैं पर्ची बनवा लूंगा, लेकिन डॉक्टर नहीं माने और उन्हें पर्ची लाने की बात कही। बेबस पिता एक रुपए की पर्ची बनवाने के लिए 2 घंटे तक एक काउंटर से दूसरे काउंटर तक दौड़ता रहा, लेकिन जब तक पर्ची बनी तब तक उसका बेटा मां की गोद में ही दम तोड़ चुका था।
हड़ताल पर थे डॉक्टर्स
दरअसल, पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के साथ मारपीट के विरोध में डॉक्टरों ने सोमवार को हड़ताल कर दी थी। जिले के तमाम नर्सिंग होम और निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने कामकाज बंद कर दिया था। इस वजह से सैकड़ों की संख्या में लोग उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचने लगे। डासना मसूरी के बसंतगढ़ी गांव के रहने वाले इरशाद एमएमजी अस्पताल में अपने सवा महीने के बच्चे को लेकर पहुंचे। बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब थी, लिहाजा वह तुरंत इमरजेंसी के बाहर लाइन में लग गए। जब नंबर आया तो डॉक्टर ने बच्चे को भर्ती करने से पहले पर्ची बनवाने को कहा गया, लेकिन महज एक रुपए की पर्ची के लिए उसके मासूम बेटे को इलाज नहीं मिल सका और बच्चे ने दम तोड़ दिया।
पर्ची बनवाने के लिए दौड़ता रहा पिता
इरशाद ने बताया, मेरे बच्चे का शरीर नीला पड़ गया था। इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचा तो इमरजेंसी में डॉक्टरों ने पर्ची के साथ बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में दिखाने को कहा। वहां मरीजों की लंबी लाइन लगी थी। मैंने बच्चे को उसकी मां के साथ लाइन में लगा दिया और खुद पर्चा बनवाने चला गया। हड़ताल की वजह से वहां भी लाइन काफी लंबी थी। करीब आधे घंटे बाद जब वह पर्ची बनवाकर लौटे तो डॉक्टर ने बच्चे की हालत गंभीर होने की बात कहते हुए उसे दोबारा इमरजेंसी में दिखाने के लिए भेज दिया। इमरजेंसी पहुंचे तो डॉक्टर ने बच्चे की हालत बेहद गंभीर बताते हुए किसी दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही।
जिला महिला अस्पताल पहुंचा दंपति
इरशाद ने बताया, हम खुद ही बच्चे को लेकर जिला महिला अस्पताल पहुंचे। बाल रोग विशेषज्ञ की ओपीडी में जाने से पहले हमें एक बार फिर पर्ची बनवाने के लिए बोल दिया गया। मैं पर्ची बनवाने चला गया, लेकिन जब तक वापस लौटा तब बच्चे ने मां की गोद में दम तोड़ दिया था। बच्चे की मौत के बाद मां रुकसाना अस्पताल में ही बेहोश हो गईं। इस मामले में सीएमओ गाजियाबाद डॉ. एनके गुप्ता का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। एमएमजी अस्पताल प्रबंधन से पूछताछ की जाएगी। वहीं, एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. रविंद्र राणा ने कहा कि इस मामले पर डॉक्टरों से पूछताछ की जाएगी। दंपती अगर लिखित में कोई शिकायत देगा तो कार्रवाई की जाएगी।
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