नोटबंदी के चलते लाश को करना पड़ा कफन का इंतजार, अंतिम संस्कार में हुई देरी
एक बुजुर्ग की सुबह साढ़े सात बजे मौत हो गई लेकिन रुपए ना होने की वजह से अन्तिम संस्कार होने मे समस्या हुई।
गाजियाबाद। नोटबंदी की मार ने लोगो की कमर तोड़ कर रख दी है। गरीब लोग किस कदर परेशान हैं इसका एक ताजा मामला गाजियाबाद के न्यू आर्य नगर में सामने आया। एक बुजुर्ग की सुबह साढ़े सात बजे मौत हो गई लेकिन रुपए ना होने की वजह से अन्तिम संस्कार होने मे समस्या हुई। जब यह बात एक एनजीओ संचालिका संध्या त्यागी को पता चला तो वो अपने अन्य साथियो के साथ बैक ऑफ इंडिया नवयुवक मार्केट पहुंच गई और बैँक मैनेजर अजय कुमार जैन से मदद करने के लिए आग्रह किया।
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बैंक मैनेजर ने बताया कि उनके यहां शुक्रवार से नई करेंसी नही आई है। लेकिन जब मैनेजर ने कविनगर के एक व्यापारी नवीन गुप्ता से यह बात बताई तो वह तुरंत मदद के लिए तैयार हो गए। उन्होंने बैंक पहुंच कर दस हजार रुपये की मदद के साथ ही मैनेजर अजय कुमार जैन ने भी इंसानियत का परिचय देते हुए सात हजार रुपये की मदद की। तब जाकर लाश का अन्तिम संस्कार हिंडन घाट पर किया जा सका। मृतक का नाम मुन्ना लाल शर्मा है।
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बीते 13 नवंबर को ऐसा ही एक मामला मेरठ में सामने आया था। यहां बैंक खुलने का इंतजार एक लाश कर रही थी ताकि बैंक खुलने के बाद उसे कैश मिले और कफन नसीब हो। मेरठ के लालकुर्ती की हंडिया मुहल्ला निवासी 70 वर्षीय बेला की मौत हो गई थी। परिवार दाह संस्कार के लिए पैसे जुटाता, इससे पहले उसे नई नोटों का भूत डराने लगा। लाश के दाह संस्कार के लिए भी कोई नगदी बदलने को तैयार नहीं था। आखिरकार सब्र टूटा तो मुहल्ले वालों ने बैंक में हंगामा कर दिया।
पहली किस्त के आठ हजार रुपए तत्काल मृतक के परिजनों के लिए भेजे गए। इसके बाद मुहल्ले के हाजी इकबाल ने पड़ोसी धर्म एवं मानवता का संदेश बुलंद करते हुए बैंक में पहुंचकर अपने पास से चार हजार रुपए का चेंज कराया। दाह संस्कार के लिए जुटाए गए 16 हजार रुपए से अंत्येष्टि की प्रक्रिया छह घंटे देरी से शुरू की जा सकी।