दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा फाउंड्री निर्माता भारत मंदी से थर्राया, कारों की बिक्री घटी; रोजगार हुए कम
गांधीनगर। दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा फाउंड्री निर्माता भारत मंदी के चलते बड़ा नुकसान झेल रहा है। यहां 12 मिलियन टन का वार्षिक उत्पादन होता था और करीब 25 लाख लोग प्रत्यक्ष रूप से ऐसे उद्योगों में जुड़े हुए थे। मगर, मंदी की मार चलते अब देश भर में ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़ी फाउंड्रीज ने काम के घंटे कम कर दिए हैं और ऑर्डर 50 प्रतिशत से ज्यादा घट गए हैं। उत्पादन में कमी के कारण, फाउंड्री के कच्चे माल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है। निर्माता ऑर्डर के बराबर ही कच्चा माल खरीद रहे हैं। जानकारों का मानना है कि जो कारों की बिक्री में गिरावट आई है, उसका सीधा असर फाउंड्रीज पर पड़ा है।
कंपनियां अब केवल चार दिन काम करती हैं
संवाददाता के अनुसार, अहमदाबाद में भी फाउंड्री इकाइयों ने काम के घंटे कम कर दिए हैं। जो कारखाने दिन में 11 घंटे काम करते थे, अब केवल आठ घंटे ही काम करते हैं। कई आॅर्डर रद्द किए जा रहे हैं। अहमदाबाद की लगभग 15 प्रतिशत कंपनियां सप्ताह में केवल चार दिन काम करती हैं और अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो कारखाने बंद हो जाएंगे और लाखों लोग बेरोजगार भी हो सकते हैं।
अन्य जिलों के उद्योग बंद हो सकते हैं
देश और गुजरात में कार उत्पादन और बिक्री में गिरावट से गुजरात में फाउंड्री उद्योग को कड़ा झटका लगा है। उत्पादन कम होने से काम के घंटे भी कम हो गए हैं और लोगों की नौकरियां जा रही हैं। बिक्री में मंदी के कारण, राज्य में कार निर्माताओं ने अपना उत्पादन कम कर दिया है। यदि 2020 में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में सुधार नहीं होता है, तो राजकोट और अन्य जिलों के संस्थापक उद्योग बंद हो सकते हैं।
मंदी का सीधा असर फाउंड्री उद्योग में
देश भर में ऑटोमोबाइल की बिक्री 2019-20 वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों में काफी कम हो गई है। मारुति सुजुकी सहित कार कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया है। 1 अप्रैल, 2020 से देश में BS-6 वाहनों का प्रभाव भी अनिवार्य होने जा रहा है। द. इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन फाउंड्रीमेन के अध्यक्ष संजय श्रॉफ ने कहा कि, ऑटोमोबाइल उद्योग में मंदी का सीधा असर फाउंड्री उद्योग में देखा जा रहा है।
भारत के कुल फाउंड्री उत्पादन का लगभग 35%
इस साल भारत का फाउंड्री प्रोडक्शन 30 प्रतिशत घटने की आशंका है, जो पिछले वित्त वर्ष में 12 मिलियन टन था। हालांकि, रेलवे और पंपों में अच्छी मांग के कारण, भारत दुनिया में फाउंड्री उत्पादन में दूसरा स्थान बनाए रखने में सक्षम होगा। ऑटोमोटिव फाउंड्री भारत के कुल फाउंड्री उत्पादन का लगभग 35% है और इनके सामने कई चुनौतियां हैं।