जंगल हो रहे कम तो गांव-शहरों में घुसने लगे शेर-तेंदुए, यहां 3 जिलों में इंसानों पर हमले के 441 मामले
गांधीनगर। एशियाई शेरों के लिए चर्चित गिर के जंगल लगातार कम हो रहे हैं। भोजन की तलाश में जंगली जानवर मानव बस्तियों में आने लगे हैं। ये जानवर इंसानों पर हमले भी कर देते हैं, जिनमें शेर, तेंदुए और मगरमच्छ जैसे जीव शामिल हैं। वन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के तीन जिलों में विगत पांच वर्षों के दौरान जंगली जानवरों द्वारा लोगों पर हमले के 441 मामले सामने आए हैं। इन हमलों में 50 लोगों की जान चली गई, जबकि 436 गंभीर रूप से जख्मी हो गए। वन विभाग की रिपोर्ट से यह बात भी स्पष्ठ हुई कि गिर सोमनाथ, जूनागढ़ और अमरेली जिलों में जंगली जानवरों की इंसानों से ज्यादा मुठभेड़ हुई।
खाने की तलाश में गांव-शहरों में घुसकर पशुओं को बना रहे निशाना
एक अधिकारी ने बताया कि खाने की तलाश में जंगली जानवर गांव-कस्बों में आते रहे हैं। अब तो बड़े शहरों में भी आने लगे हैं। जून के महीने में तो शेरों ने आधी रात को शहर में घुसकर गायों का शिकार कर लिया था। इसी तरह अमरेली में एक किसान ने शेर का सामने करते हुए गाय के बछड़े को उसके चंगुल से छुड़ाया था। सामान्यत: जंगली जानवर गांव-कस्बों में पालतू पशुओं का शिकार करने के लिए घुसते हैं। मगर, कहीं-कहीं तेंदुए इंसानों की भी जान ले-लेते हैं। तेंदुए द्वारा बच्चों का शिकार किए जाने की घटनाएं होती रही हैं।
इन जिलों में हुए हिंसक पशुओं के सर्वाधिक हमले
जिलेवार इंसानों पर हमले की बात करें तो गुजरात में गिर सोमनाथ में पांच साल में 133 मामले, जूनागढ़ में 152 मामले और अमरेली में 156 मामले दर्ज किए गए हैं। इन तीन जिलों में कुल 441 मामले वन विभाग में दर्ज किए गए हैं। कभी-कभी सिंहों और तेंदुए का मनुष्यों पर सामूहिक हमला होता है। कई बार खेत पर भी हमले भी होते हैं।
सरकार पीड़ित व्यक्ति के परिजनों को देती है 4 लाख रुपए
राज्य में सरकार ने नियम बनाया हुआ है कि हिंसक पशु के कारण अगर कोई मनुष्य मर जाता है तो उसके परिजनों को 4 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी। अगर किसी व्यक्ति को चोट लगी है, तो 40 से 60% विकलांगता के लिए 59,100 रुपये, 60% से ज्यादा विकलांगता के लिये दो लाख रुपये और एक सप्ताह से कम समय के लिए, यदि कोई व्यक्ति अस्पताल में है, तो उसे 4300 रुपये दिए जाते हैं। सरकार की यह दर 2016 से लागू है, जिसके बाद कोई वृद्धि नहीं की गई है।
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अब ये इंतजाम भी कराएगी सरकार
हिंसक प्राणियों द्वारा मनुष्यों पर हो रहे हमले से चिंतित राज्य सरकार के वन विभाग के अधिकारियों ने जंगल में हिंसक प्राणियों के लिये गोश्त यानी कि खुराक की सुविधा करने का प्रबंध शुरू किया है। अगर शेर-तेंदुओं को जंगल में शिकार मिलेगा तो बहुत मुमकिन है कि वे मानव बस्तियों में नहीं आएंगे।