गुजरात: जलसंकट से गांवों में हाहाकार, 15 दिन में एक बार ही पानी उपलब्ध करा पा रही सरकार
Water crisis in Gujarat | News in Hindi, गांधीनगर। मई की शुरूआत के साथ ही गुजरात में सौराष्ट्र, कच्छ एवं उत्तरी हिस्से के गांवों में पानी की कमी के चलते हाहाकार मच गया है। यहां उत्तर गुजरात के 200 से ज्यादा गाँव ऐसे हैं, जहां लोगों को 15 दिनों में एक बार ही पानी मिल पा रहा है। पानी की विकट समस्या के बावजूद सरकार अभी भी अधिकारियों के साथ बैठकों में व्यस्त नजर आ रही है। सरकार ने नर्मदा डैम एवं सरोवर का पानी प्यास से बेहाल इलाकों में पहुंचाने का वादा किया था, मगर वह ज्यादातर स्थानों के लिए अभी कोई ठोस कदम नहीं उठा पाई है। हालांकि, मुख्यमंत्री रुपाणी भी यह साफ कह चुके हैं कि नर्मदा का पानी जुलाई के अंत तक लोगों की जरूरतें पूरी कर सकता है। मगर, इसे सभी जगहों पर नहीं पहुँचाया जा सकता है।
पानी की कमी से जूझ रहे लोग भड़के
पानी नहीं मिलने के चलते गांव बदहाल हो चले हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं सरकार के खिलाफ आए दिन विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं। कुछ गांवों में महीने में केवल एक बार ही पानी नसीब हो रहा है। बीते कुछ दिनों से उत्तरी गुजरात में पानी का मिलना लगभग मुश्किल हो गया है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बोरवेल का पानी नीचे चला गया है। ऐसे में फ्लोराइड युक्त पानी ही मौजूद रह गया, जो कि बहुत नुकसानदेह है। अंदरूनी गांवों की हालत इतनी दयनीय है कि लोग गंदा पानी पी रहे हैं। पानी के लिए लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। बोरवेल के पानी के लिए महिलाओं को खेतों में ले जाया जा रहा है।
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सरकार ने 200 गांवों में पहुंचाए टैंकर
वहीं, राज्य सरकार उत्तर गुजरात के करीब 200 गांवों में टैंकरों से पानी की आपूर्ति करने में जुटी है। हालांकि, टैंकर खाली होने के बाद दूसरी बार नहीं आ पाता। ऐसे में पानी की कमी दूर नहीं हो पा रही है। कुछ लोगों का कहना है कि कांग्रेस के शासन में सूखे के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी ने ट्रेन के वेगनों से पानी पहुंचाया था। ऐसे में वे लोग अमरसिंह चौधरी का शासन याद कर रहे हैं। उनका कहना है कि तीन साल के सूखे के दौरान लोगों का दुख आज की स्थिति जैसा नहीं था। इस सरकार के पास पानी वितरित करने के लिये उचित योजना का अभाव है।
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यहां गांवों में मिल पा रहा है 15 दिन में पानी
उत्तर गुजरात के महेसाणा में 15 गाँव, बनासकांठा में 100 गाँव और साबरकांठा में 70 गाँवों में 15 दिनों में एक बार पानी मिलता है। कुछ गाँव ऐसे हैं जिन्हें दूसरे गाँवों या खेतों में से पानी लाना पड़ता है। गांव के सभी वाहनों का उपयोग पानी पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उत्तर गुजरात में सभी नदियां सूखी हो चुकी हैं।
मंत्री-विधायकों पर यूं फूट रहा आमजन का गुस्सा
राज्य के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जहां पानी की हालत खराब है, ऐसे गांवो में सरकार ने टैंकर भेजे हैं। ये ऐसे इलाके हैं, जहाँ नर्मदा नहरों के ज़रिए पानी नहीं पहुँचाया जा सकता। गुजरात में अभी पानी के लिये रेलवे वेगनों की आवश्यकता है औऱ सरकार टैंकर दौडा रही है। उत्तर गुजरात के 10 से ज्यादा गावों के मुखियाओं ने मंत्रियों और भाजपा के विधायकों पर गांव में प्रवेश निषेध कर दिया है।
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