गुजरात: सबसे बड़े सिविल हॉस्पिटल में डॉक्टरों को पानी के लिए बाल्टी लेकर खड़ा होना पड़ रहा
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में एशिया का सबसे बड़े सिविल अस्पताल माने जाने वाले अहमदाबाद सिविल मेडिकल कॉलेज का मेडिकल स्टाफ पानी की कमी से जूझ रहा है। पानी के लिए उन्हें बाल्टी लेकर लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। यह हालत तब हैं, जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस हॉस्पिटल का रिनोवेशन करा चुके हैं। यहां जन-स्वास्थ्य के लिए कई नई सुविधाएं भी शुरू की गईं, मगर अब पानी की किल्लत मची हुई है। ऐसे में कुछ लोग गुजरात मॉडल को दोष देने लग गए हैं।
600
से
ज्यादा
स्टूडेंट-डॉक्टर्स
को
नहीं
मिल
पा
रहा
पानी
जानकारी
के
अनुसार,
अहमदाबाद
सिविल
अस्पताल
में
मेडीकल
कॉलेज
के
हॉस्टल
में
रहने
वाले
छात्रों
के
लिए
पानी
का
बोरवेल
बनाया
गया
है।
यहां
600
से
अधिक
छात्र
रहते
हैं।
इन
छात्रों
में
जो
रेजिडेंट
डॉक्टर्स
हैं,
उनका
आरोप
है
कि
उनको
पिछले
चार
दिनों
से
पानी
नहीं
मिल
रहा
है।
छात्रावास
में
पानी
की
मोटर
जलने
के
बाद
पानी
की
व्यवस्था
को
दुरुस्त
नहीं
किया
गया
है।
साथ
ही
यह
भी
कहा
गया
कि
अहमदाबाद
नगर
निगम
उन्हें
पानी
नहीं
दे
रहा।
पुरुषों
के
साथ
महिलाएं
भी
हाथ
में
बाल्टी
लिए
खड़ी
हो
जाती
हैं
ऐसे
में
यहां
नहाने,
धोने
और
पीने
के
उपयोग
के
लिए
भी
पानी
नहीं
रह
गया।
यह
स्थिति
राज्य
के
किसी
भी
ग्रामीण
क्षेत्र
में
हो
तो
समझ
में
आता
है,
लेकिन
अहमदाबाद
जैसे
विकसित
शहर
में
भी
यही
हाल
होना
सिस्टम
पर
कई
सवाल
खड़े
कर
रहा
है।
फिर
डॉक्टरों
को
पानी
लेने
के
लिए
लाइन
में
खड़ा
होना
पड़ता
है।
जब
इस
हॉस्टल
में
पानी
का
टैंकर
लाया
जाता
है,
तो
स्टूडेंट्स-डॉक्टर
बाल्टी
हाथ
में
पकड़कर
कतार
में
खड़े
हो
जाते
हैं।
हॉस्टल
में
पुरुषों
के
साथ
महिला
रेजिडेंट
डॉक्टर
भी
हैं,
इसलिए
महिला
और
पुरुष
दोनों
पानी
के
लिए
कतार
में
खड़े
होते
दिखे
हैं।
कुछ डॉक्टर्स ने कहा कि गुजरात सरकार नर्मदा परियोजना का पानी 400 किलोमीटर दूर कच्छ औऱ राजस्थान बोर्डर के गांवों तक पहुंचा रही है। हालांकि, सबसे बड़े सिविल अस्पताल में पानी की कमी दूर नहीं की जा रही। अब जबकि लोकसभा चुनाव हो रहा है, तो उम्मीदवारों को सिविल अस्पताल आना चाहिए और डॉक्टरों की समस्या देखनी चाहिए। समाधान करना चाहिए।'
वहीं, कुछ डॉक्टरों ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल कहते हैं कि गुजरात की स्वास्थ्य सुविधाएं पूरे देश में अनुकरणीय हैं, लेकिन अगर नितिन पटेल सिविल में जाते हैं, तो उन्हें यह पता चलेगा कि गुजरात के स्वास्थ्य की निगरानी करने वाले डॉक्टरों को पानी नहीं मिल रहा है और उनको टैंकर के सामने कतार में खड़ा होना पड़ रहा है।'