रोचक: जिस सीट पर मोदी 5.70 लाख वोटों से जीते, वहां महज 17 वोटों से जीते थे यह कांग्रेसी नेता
Gujarat News in Hindi, गांधीनगर। गुजरात में वडोदरा लोकसभा सीट का इतिहास दिलचस्प रहा है। यहां कांग्रेस के सांसद रहे सत्यजीत गायकवाड और भाजपा से नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह जीतें दर्ज कीं, वो अपने आपमें अनोखी हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन दोनों उम्मीदवारों का रिकॉर्ड शायद ही टूटे। जहां 2014 में नरेंद्र मोदी 5.70 लाख वोटों से जीते थे, वहीं 1996 में सत्यजीत गायकवाड महज 17 वोटों के अंतर से जीत पाए थे। यानी सबसे कम मतों के अंतर से जीत का रिकॉर्ड सत्यजीत रहा और अब तक सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत नरेंद्र मोदी को मिली है।
जहां लोग सत्यजीत की जीत को आश्चर्य के तौर पर देख रहे थे, वहीं नरेंद्र मोदी की जीत को कई ने चमत्कार बताया। वडोदारा में 2014 का चुनाव लड़ने से पहले मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री उन्हें अच्छी टक्कर देंगे, लेकिन नतीजों के बाद जितनी बढ़त यहां नरेंद्र मोदी को मिली, उतनी अभी तक किसी उम्मीदवार को नहीं मिल पाई है।
बता दें कि, नरेंद्र मोदी की जीत के साथ ही 1998 के बाद यह भाजपा की यह लगातार पांचवी जीत थी। कांग्रेस के सत्यजीत गायकवाड 1996 के लोकसभा चुनाव में वडोदरा से चुनाव जीते थे, लेकिन उनकी जीत सिर्फ 17 मतों से हुई थी। तब उन्होंने भाजपा के जीतेन्द्र सुखडिया को हराया था।
वैसे वडोदरा में 1962 से चुनाव हो रहे हैं। 1991 के हिंदुत्व के माहौल में भाजपा की उम्मीदवार रामायण फेम सीता दीपिका चिखालिया विजेता बनीं थी। उन्होंने कांग्रेस के रतनसिंह गायकवाड को हराया था। उस टाइम जनता दल के प्रकाश ब्रह्मभट्ट भी चुनावी मैदान में थे, जो 28000 मत ले गये थे। दीपिका को 2.76 लाख मत मिले थे और कांग्रेस के उम्मीदवार को 2.41 लाख मत मिले थे।
2014 में कांग्रेस ने मधुसुदन मिस्त्री को चुनाव लड़वाया था, लेकिन उनको नरेंद्र मोदी के सामने उन्हें केवल 2.75 लाख मत मिले थे। मोदी को 8.85 लाख मत मिले थे। मोदी ने जब वडोदरा सीट को खाली कर दिया, तब हुए उपचुनाव में भाजपा ने रंजन भट्ट को यहां उतारा था। उनको 5.26 लाख मत मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार नरेंद्र रावत को हराया था। रावत को 1.97 लाख मत मिले थे।
यह भी दिलचस्प रहा है कि वडोदरा कांग्रेस का ही गढ़ रही। 1952 के पहले चुनाव में निर्दलिय उम्मीदवार इंदुभाई अमीन जीते थे। उसके बाद 1957 से 1984 तक के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी होते रहे। कांग्रेस ने चार बाद फतेसिंह गायकवाड को टिकट दिया और इन्होंने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था। 1989 में हुए चुनाव में जनता दल से प्रकाश ब्रह्मभट्ट चूनाव जीते थे। 1998 से 2014 के बीच हुए चुनावों में भाजपा के उम्मीदवार चुनाव में सफल हुए हैं।
पश्चिम बंगाल में सीपीआई (एम) के उम्मीदवार अनिल बसु के पास भारत में लोकसभा उपचुनाव में 5.92 लाख वोटों का रिकॉर्ड है। मोदी ने यह रिकॉर्ड नहीं तोड़ा था लेकिन उनके करीब पहुंच गये थे। अब वडोदरा सीट में कांग्रेस की कड़ी परीक्षा है। भाजपा ने अपने सांसद रंजन भट्ट को यहां से उतारा है।
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