'लालपरी' के लिए जान की फिक्र भी नहीं करते मछुआरे, लांघ जाते हैं बॉर्डर, कैद कर लेता है पाकिस्तान
Gujarat News, गांधीनगर। जब-तब खबरें आती रहती हैं कि पाकिस्तान ने इतने भारतीय मछूआरे कैद कर लिए, या इतनों को अपने समुद्री इलाके में जासूसी के शक में पकड़ लिया गया। ऐसे में जबकि, भारत की एयरस्ट्राइक के बाद से गुजरात से सटे समुद्री क्षेत्र में हाईअलर्ट रखा गया है तो एक बार फिर लोगों के जेहन में सवाल उठ रहे होंगे कि देश के मछुआरे आखिर कैसे पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों के हत्थे चढ़ जाते हैं।
इस बारे में पूछे जाने मछुआरों की यूनियनें 'लालपरी' का जिक्र करती हैं। अब लालपरी क्या है, जिसके लिए मछुआरे खुद की जान की परवाह किए बगैर समुद्र में काफी दूर तक निकल जाते हैं? तो इसका जवाब भी कुछ विशेषज्ञों ने दिया।
जानिए, क्या है लालपरी
लालपरी दरअसल बहुत ही दुर्लभ किस्म की मछली हैं, जिन्हें दुनियाभर में 'जापानीज थ्रेडफिन ब्रीम' के नाम से जाना जाता है। गुजरात के मछुआरे इन्हें लालपरी कहते हैं। इनका रंग हल्का गुलाबी होता है। ये मछलियां भारत के पश्चिमी तट में और अधिकतर गुजरात तट पर पायी जाती हैं। इससे भी ज्यादा भारी मात्रा पाकिस्तानी जलक्षेत्र में बताई जाती है। इन मछलियों के लिए ही मछुआरे वहां तक पहुंच जाते हैं।
बरती जा रही चौकसी
अब दोनों देशों के बीच तनाव को देखते हुए सरकार ने मछुआरों को चेतावनी दी है कि वे अपने देश के जलक्षेत्र में ही रहें। क्योंकि, मछलियां क्रीक क्षेत्र में बहुतायत मिलती हैं तो मछुआरों की समस्या देखते हुए भी भारतीय सुरक्षा बलों और एजेंसियों ने इस इलाके को ब्लॉक कर दिया है। पाकिस्तान की घुसपैठ के अंदेशे को देखते हुए यहां व्यापक स्तर चौकसी बरती जा रही है।
लालपरी की 90 फीसद मात्रा पाकिस्तानी जल क्षेत्र में
वहीं, कुछ जानकारों के अनुसार, लालपरी की तकरीबन 90 फीसद संख्या पाकिस्तानी जल क्षेत्र में पाई जाती हैं। इसलिए मरीन पुलिस और कोस्टगार्ड के निर्देशों को ठुकरा कर गुजरात के मछुआरे भारत की समुद्री सीमा पार कर जाते हैं और लालपरी को खिंचकर लाते हैं। लालपरी प्राप्त करना मछुआरों के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य होता है, क्योंकि उन्हें मछुआरों को बहुत पैसा मिलता है। यूरोपीय देशों में लालपरी मछली की सबके अधिक मांग है। मगर, इसमें उन्हें बहुत रिस्क उठाना पड़ जाता है। पाकिस्तानी कोस्ट गार्ड उन्हें कैद कर लेते हैं।
पाकिस्तानी मरीन सिक्योरिटी बना लेती है अपना शिकार
कुछ समझौतों के तहत दोनों देशों ने समय-समय पर मछुआरों को मुक्त भी किया है। अब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव है, तो मछुआरों पर निगरानी बढ़ गई है।पाकिस्तान का मुख्य निशाना भारतीय मछुआरे हैं। जब मछली पकड़ने के लिए ये मछुआरे तटीय सीमा पार करते हैं तो पाकिस्तान मरीन सिक्योरिटी उनको बहुत आसानी से निशाना बना लेती हैं।
433 गुजराती मछुआरे पाकिस्तानी जेलों में कैद
आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के 433 मछुआरे अभी भी पाकिस्तानी जेलों में कैद हैं। दोनों देशों के बीच हुए समजौते के बाद पिछले दो वर्षों में 687 मछुआरों को पाकिस्तानने मुक्त किया, वैसे भारत ने भी बहुत से पाकिस्तानी मछुआरे छोड़े।
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