रेशमा पटेल पहली बार चुनावी रण में, एक ही साथ लड़ रही हैं लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव
lok sabha elections 2019 News, गांधीनगर। भाजपा से इस्तीफा देकर पहली बार चुनाव लड़ रहीं पाटीदार लीडर रेशमा पटेल अब एक नहीं दो-दो चुनाव एकसाथ लड़ रही हैं। जी हां, लोकसभा चुनाव 2019 के लिए नामांकन भरने के अलावा उन्होंने गुजरात में होने वाले उपचुनाव के लिए भी दावा ठोक दिया है। बता दें कि, 23 अप्रैल को पोरबंदर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों के लिए वोटिंग होनी है। रेशमा ने लोकसभा के लिए पोरबंदर और विधानसभा के लिए मानावदर सीट से भाग्य आजमाने का फैसला लिया है। मानावदर विधानसभा सीट पोरबंदर जिले में ही है।
पहली ही बार में एक साथ दो चुनाव लड़ रहीं रेशमा
पहली ही बार में एक साथ दो चुनाव लड़ने के बारे में रेशमा कहा कहना है कि मेरे लिये दोनों चुनाव लडना आसान है, क्योंकि मेरी लोकसभा सीट पोरबंदर है। इसके साथ जुड़ी विधानसभा सीट मानावदर है जो पोरबंदर लोकसभा क्षेत्र का ही हिस्सा है। तो मुझे चुनाव प्रचार में कोई आपत्ति नहीं है। मैं आसानी से चुनाव प्रचार कर रही हूं। मेरा सबसे ज्यादा प्रचार सोशल मीडिया पर होता है। मेरे लिये ये प्लस पॉइंट है कि, मेरे मतदाता एक ही क्षेत्र के हैं।'
लोकसभा चुनाव में निर्दलीय तो विधानसभा के लिए एनसीपी की उम्मीदवार बनीं
बता दें कि, रेशमा पटेल को न तो कांग्रेस ने टिकट दिया था और न ही भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था। उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने अपना विधानसभा उम्मीदवार बनाया है। जबकि, वह लोकसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ रही हैं। इसके लिए उन्हें ट्रैक्टर चलाने वाला किसान का चिन्ह मिला है, जबकि विधानसभा में बतौर एनसीपी उम्मीदवार, उनके पास घड़ी का चिन्ह है।
दावा- गुजरात में थर्ड फ्रंट भी जीतेगा चुनाव
रेशमा पटेल ने दावा करते हुए कहा कि मैं ये दोनों सीटों से चुनाव जीतने जा रही हूं। मैं एक सामान्य परिवार से आती हूं और पहली बार चुनाव लड़ रही हूं। मैं थर्ड फ्रंट की उम्मीदवार हूं। गुजरात में लोग कहते हैं कि थर्ड फ्रंट को कामयाबी नहीं मिलती है, लेकिन मैं यह साबित करना चाहती हूं कि थर्ड फ्रंट इस चुनाव में जीतेगा। अगर मैं जीत गयी तो मुझे एक सीट छोड़नी होगी। मेरे सलाहकार मेरी बैठक के बारे में निर्णय लेंगे।'
रेशमा ने आगे कहा, 'दो सीटों से चुनाव लड़ने की परंपरा पुरानी है। पहले कोई भी उम्मीदवार किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकता था, लेकिन 1996 में एक उम्मीदवार अधिकतम दो सीटों से चुनाव लड़ सकता है, अब ऐसा प्रावधान सभी के पास है। यदि उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव जीतता है, तो 10 दिनों में उसको एक सीट खाली करनी होती है।'
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हार्दिक पटेल के साथ लिया था पाटीदार आरक्षण आंदोलन में हिस्सा
रेश्मा पटेल पाटीदार आरक्षण आंदोलन के समय फायर ब्रांड महिला युवा नेता थीं। वह हार्दिक पटेल की सबसे करीबी साथी मानी जाती हैं। उनके भाषणों से भाजपा सरकार में हाय-तौबा मच गई थी। रेश्मा पटेल ने नरेंद्र मोदी, आनंदीबेन पटेल औऱ विजय रुपाणी पर सीधे टिप्पणियां कीं थीं। जिसके चलते पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। हालांकि, इस साल 15 मार्च को रेशमा ने भाजपा को अलविदा कह दिया। उनके तीन दिन पहले 12 मार्च को हार्दिक पटेल भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अब दोनों भाजपा के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं।