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आजादी के बाद इस सीट पर जो अब तक जीता, उसी की बनी केंद्र में सरकार

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गांधीनगर। गुजरात की वलसाड लोकसभा सीट ऐसी है कि जहां से जो उम्मीदवार चुनाव जीतता है उसी की दिल्ली में सरकार बनती है। ये कोई जादू नहीं है लेकिन बरसों पुरानी परंपरा है। 2014 में भाजपा का उम्मीदवार जीता था, तो दिल्ली में भाजपा की मोदी सरकार आई थी। अब 2019 में भाजपा के उम्मीदवार ने वलसाड सीट से चुनाव जीता है और दूसरी बार भाजपा की मोदी सरकार केंद्र में आने वाली है।

वलसाड सीट का जादू

वलसाड सीट का जादू

वलसाड की एक परंपरा है कि जो उम्मीदवार विजेता होता है वही पार्टी को केंद्र में लाभ मिलता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस बैठक पर नजर बनाए हुए थे। गुजरात में सबसे ज्यादा वोटिंग भी इसी संसदीय क्षेत्र से हुई है और इसका नतीजा भाजपा के पक्ष में गया है। 2004 और 2009 में वलसाड सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार चुने गए थे और केंद्र में कांग्रेस समर्थित यूपीए सरकार बनी थी।

इस सीट का अनोखा इतिहास

इस सीट का अनोखा इतिहास

वलसाड की खासियत यह है कि 1962 से जिस पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता है, उस पार्टी की केंद्र में सरकार बन जाती है। कांग्रेस का उम्मीदवार जीता तो कांग्रेस ने सरकार बनाई है। अगर जनता दल का उम्मीदवार जीता, तो जनता दल ने सरकार बनाई है और भाजपा का उम्मीदवार जीता तब भाजपा ने सरकार बनाई है। कांग्रेस के राहुल गांधी ने इस बार वलसाड सीट से चुनाव प्रचार की शुरुआत की। कांग्रेस के सुनहरे दिनों के दौरान, 1957 से 1977 तक वलसाड से नानूभाई पटेल और उत्तम पटेल जीते थे। अर्जुन पटेल ने 1989 में जनता दल से जीत हासिल की थी तब केंद्र में जनता मोर्चा की सरकार थी। 1996-1999 के कार्यकाल में भाजपा के मनुभाई चौधरी इस सीट से जीते औऱ केंद्र में भाजपा समर्थित एनडीए सरकार का उदय हुआ था।

इस बार कांग्रेस नहीं जीत पाई

इस बार कांग्रेस नहीं जीत पाई

2004 और 2009 में केंद्र में एनडीए सरकार थी तब वलसाड से कांग्रेस उम्मीदवार किशन पटेल जीते थे। पिछले साल बीजेपी के केसी पटेल ने चुनाव जीता था औऱ केंद्र में मोदी सरकार थी। वलसाड सीट पर जीत कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक साबित हुई है। इंदिरा गांधी 1980 में धरमपुर के लाल डूंगरी मैदान में इंदिरा गांधी, 1984 में राजीव गांधी और 2004 में सोनिया गांधी वलसाड के धरमपुर स्थित लाल डूंगरी मैदान में जनसभाओं को संबोधित किया था। राहुल गांधी ने 2019 में यही से चुनाव प्रचार शुरू किया था लेकिन इस बार वलसाड सीट कांग्रेस नहीं जीत पाई।

आदिवासी मतदाताओं से भरी है वलसाड सीट

आदिवासी मतदाताओं से भरी है वलसाड सीट

वलसाड सीट आदिवासी मतदाताओं से भरी है। ढोडिया और कुकना की दो उप जातियों की राजनीति लोकसभा में नहीं पाई जाती है। वलसाड जिले के शहरी क्षेत्रों में भाजपा बुलंद है जबकि ग्रामीण समुदाय में कांग्रेस की पकड है। इस बार वलसाड की बैठक में भाजपा के केसी पटेल ने कांग्रेस के जीतू चौधरी को 2,28,000 वोटों से हराया है। इस सीट पर 52,000 स्थानीय मुस्लिमों के अलावा 40000 परप्रांतिय मुस्लिमों के बावजूद कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव हार गया हैं।

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English summary
Party won in Valsad lok sabha seat made govt in center
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