5 सालों में गुजरात में पौने 10 लाख पेड़ काट डाले गए, फिर चढ़ सकती है 51,000 की बलि
Gujarat News in hindi, गांधीनगर। गुजरात में सरकार की अनुमति मिलने पर पिछले 5 सालों में करीब 10 लाख पेड़ काट डाले गए। इन पेड़ों में से 6.51 लाख पेड़ों को केवल साउथ गुजरात में काटा गया। अब बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए फिर 51,000 वृक्षों के कटने की आशंका है। क्योंकि, जहां से मेट्रो रूट निकल रहा है वहां आस-पास बड़ी संख्या में पेड़-पौधे मौजूद हैं। यह प्रोजेक्ट साउथ गुजरात में पेड़ों की अधिकता वाली भूमि पर अप्रूव्ड हुआ है।
सरकार के तर्क- विकास कार्यों के लिए कटवा रहे हैं इतने पेड़
सरकार के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्यभर में 9.74 लाख से अधिक पेड़ बीते 5 वर्षों में कटे हैं। यहां पेड़ों की कटाई के लिये सरकार लगातार मंजूरी देने लगी है। 2013 में 1,94,119 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई। जिसके बाद 2017 में सीमा को बढ़ाकर 2,07,974 कर दिया गया। जो कि 7.14 पर्सेंट की वृद्धि थी। सरकारी अधिकारियों ने बाकायदा कहा है कि पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। हम ये कटाई विकास योजनाओं के लिये कर रहे हैं।
इन जिलों में सबसे ज्यादा काटे गए पेड़
गुजरात में जिन इलाकों में सबसे ज्यादा पेड़ों की बलि चढ़ी उनमें वलसाड, नवसारी, सूरत और डांग जिले प्रमुख हैं। कटाई से जुड़े अधिकांश परमिट इन्हीं जिलों के लिए दिए गए। जो राज्य भर में दिए गए परमिटों की संख्या का 46 प्रतिशत है। वलसाड उन जिलों की सूची में सबसे ऊपर है। इस जिले में 1,41,145 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी। दक्षिण गुजरात के अन्य जिले जैसे नवसारी में 1,16,559, सूरत में 1,03,896 और डांग में 84,963 पेड़ काटे गये।
ढांचागत परियोजनाओं के लिए अहमदाबाद में भी कटाई
आने वाले दिनों में विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं के लिए गुजरात में बहुत से पेड़ काटे जाने वाले हैं। अहमदाबाद के एसजी-राजमार्ग पर पहले से ही पेड़ की कटाई चल रही है, जहां सरखेज और चिलोदा के बीच फोर लेन के ट्रैक को छह लेन तक विस्तारित किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए कम से कम 5,000 से अधिक पेड़ों को काटने की आवश्यकता बताई गई है।
'हटाए जा रहे पेड़ों को दूसरी जगह नहीं लगा पाएंगे'
साउथ गुजरात में बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की वजह से 51,000 से अधिक पेड़ कटने के पीछे सरकार का कहना है कि पेड़ों को दूसरी जगह ट्रांसप्लांट की योजना बनाई गई थी। लेकिन ये योजना मंहगी पडती है और दूसरी जगह ये पेड़ जीवित नहीं रह पाते।
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एक पेड़ को ट्रांसप्लांट करने में 50 हजार का खर्च आ रहा
एक अधिकारी ने बताया कि एक पेड़ को ट्रांसप्लांट करने का खर्चा 50 हजार से ज्यादा होता है। साथ ही पेड़ की सर्वाइवल की मात्रा केवल 15% होती है। अब देखा यह जाएगा कि गुजरात में सरकार पेड़ों की वृद्धि के लिए और जंगल बचाए रखने के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। क्योंकि, अभी पेड़ तो यहां हजारों की संख्या में कटने हैं।