बुलेट ट्रेन के रूट पर आने वाले हजारों पेड़ कटेंगे, NHSRCL ने किया 1 के बदले 10 पौधे लगाने का वादा
अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद से महाराष्ट्र में मुंबई के बीच दौड़ने वाली हाईस्पीड (बुलेट) ट्रेन के रूट पर आने वाले हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं। इस रूट पर 60 हजार से ज्यादा पेड़ हैं। जिनमें से 25 हजार पेड़ों को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) ने ट्रांसप्लांट किए जाने की बात कही है। यानी, इन पेड़ों को तकनीक के जरिए उनके मूल स्थान से उखाड़कर दूसरी जगह गाड़ा जाएगा। साथ ही जो पेड़ काटे जाएंगे, उनमें से हर एक की भरपाई के लिए 10 नए पौधे लगाने का वादा भी किया गया है। इस काम के लिए एनएचआरसीएल द्वारा स्थानीय प्रशासन को 25 हजार रुपए चुकाए जाएंगे, जिससे अधिकाधिक संख्या में पौधारोपण हो सके।
60 हजार पेड़ों में से 25 हजार ट्रांसप्लांट होंगे: एनएचआरसीएल
एनएचआरसीएल के अधिकारियों ने बताया कि बुलेट ट्रेन के रूट पर पड़ने वाले 60 हजार से ज्यादा पेड़ों में से करीब 4 हजार अहमदाबाद जिले की सीमा में हैं। जबकि, बुलेट के रूट के लिए गुजरात के कुल 8 जिलों में भू-अधिग्रहण हो रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, जमीन अधिग्रहण पूरा होने के बाद रूट पर आने वाले वृक्ष हटाने के काम शुरू किया गया। ज्यादातर जिलों में किसान जमीन अधिग्रहण के मुआवजे से संतुष्ट हो गए हैं।
भूमि अधिग्रहण के बाद हटाए जा रहे पेड़, खरे ने कहीं ये बातें
इससे पहले एनएचआरसीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर अचल खरे ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में आ रही अड़चनों का जिक्र किया था। जिसमें खरे ने यह भी बताया था कि बुलेट कब तक रूट पर दौड़ सकती है। उन्होंने कहा था कि देश की पहली हाईस्पीड ट्रेन 2023 के अंत तक दौड़ सकती है। इस हाई स्पीड रेल की रफ्तार 320 किमी प्रति घंटा होगी। इसमें सफर करने के लिए करीब 3000 रुपये चुकाने होंगे। महज 2:07 घंटे में इसके जरिए 508 किमी की दूरी तय की जा सकेगी।
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रूट के लिए कुल 1,380 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होगा
वहीं, भूमि अधिग्रहण के बारे में खरे ने कहा कि परियोजना के लिए आवश्यक कुल 1,380 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें से अभी 360 हेक्टेयर भूमि गुजरात में अधिग्रहीत कराई जाएगी। गुजरात में निजी भूमि मालिकों को मुआवजे के रूप में 1,800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। गुजरात में हमें 5400 निजी भूखंडों का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है। 2,600 भूखंडों के लिए सहमति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और भुगतान किए गए हैं।"
किस जिले से कितनी भूमि अधिग्रहित की जानी है?
गुजरात के राजस्व मंत्री नितिन पटेल के अनुसार, विगत 3 वर्षों में बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए, राज्य के 8 जिलों में 74,62,493 वर्ग मीटर भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया चली। जिसके तहत आणंद में 47,7672 वर्ग मीटर, खेड़ा में 1093987 वर्ग मीटर, वडोदरा में 951783 वर्ग मीटर, भरूच में1283814 वर्ग मीटर, सूरत में 1411997 वर्ग मीटर, नवसारी में 862088 वर्ग मीटर और वलसाड में 109,389 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। यानी गुजरात में कुल 746 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित करने की प्रक्रिया चल रही है।
बुलेट के रूट पर चार बड़े निर्माण कार्य होंगे
खरे के अनुसार, इस मार्ग पर चार बड़े निर्माण कार्य पैकेज के लिए निविदाएं जारी की गई हैं और निर्माण कार्य मार्च 2020 में शुरु होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि अनुमान के अनुसार पूरी परियोजना में 1.08 लाख करोड़ रुपए लागत आएगी और इस परियोजना को दिसंबर 2023 तक पूरा किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट से 25,000 लोगों को रोजगार का दावा
लोगों को रोजगार मुहैया कराने का वादा करते हुए खरे ने यह भी कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत 25,000 लोगों को रोजगार दिया जाएगा। 3500 लोगों को परिचालन और रखरखाव चरण के दौरान एनएचएसआरसीएल द्वारा नियोजित किया जाएगा। साथ ही, अप्रत्यक्ष रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। अनुमान यह है कि अप्रत्यक्ष रोजगार प्रत्यक्ष रोजगार से चार गुना होगा।
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राहत और पुनर्वास (आर एंड आर) के लिए 17,000 करोड़ खर्चेंगे
बुलेट ट्रेन अहमदाबाद के साबरमती से मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के बीच चलेगी। आज रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों ने कालुपूर और साबरमती में लल्टी मोडल ट्रान्सपोर्ट हब की योजना के साथ साबरमती औऱ सरसपुर में स्टेशन के लिये डिजाइन का अनावरण किया है। इस आयोजन के मौके पर अधिकारियों ने बताया कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए राहत और पुनर्वास (आर एंड आर) के लिए लगभग 17,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
गुजरात के 8 जिलों में हो रहा भू—अधिग्रहण
खरे ने आगे कहा, "गुजरात के आठ जिलों में, जहां भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें से वडोदरा में 70% और अहमदाबाद में 60% कार्य पूरा हो चुका है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि अब तक हुए सभी अधिग्रहण सहमति से हुए हैं।"
महाराष्ट्र में 17 गाँव बचे जहां अधिग्रहण होना है
महाराष्ट्र में किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के बारे में बताते हुए खरे ने कहा, 'महाराष्ट्र में पालघर और ठाणे में 97 गाँव बुलेट ट्रेन के रूट पर हैं। उन 97 गांवों में से केवल 17 गाँव ही बचे हैं, जहाँ अभी संयुक्त माप सर्वेक्षण चल रहा है। इसके अलावा एनएचआरसीएल प्रस्तावित बुलेट ट्रेन मार्ग पर आने वाले 5 तेल के कुओं के लिए ओएनजीसी को मुआवजे के रूप में 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
सितंबर 2017 में रखी गई थी बुलेट ट्रेन की आधारशिला
14 सितंबर 2017 के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ बैठक की थी। तब जापान के सहयोग से 1.08 लाख करोड़ की अहमदाबाद-मुंबई बुलट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी गई थी। इस परियोजना को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा था। अहमदाबाद और मुंबई के बीच 508 किलोमीटर की इस परियोजना के लिए, गुजरात, दादरा नागरेली और महाराष्ट्र में कुल 1380 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।
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जापान ने 88,000 करोड़ का कर्ज देने का वादा किया
मोदी-शिंजो की मुलाकात में तय हुआ कि जापान सरकार इस सुपर-स्पीड ट्रेन के लिए भारत को 88,000 करोड़ रुपये का ऋण देगी। तब से इस परियोजना के लिए गठित नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दिसंबर 2018 तक सभी जमीन अधिग्रहण करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन सरकार द्वारा अपेक्षित रूप से काम नहीं किया गया। लिहाजा 45 फीसदी भूमि-अधिग्रहण ही हो सका।