नर्मदा विवाद ने पकड़ा तूल, गुजरात से बोली मध्य प्रदेश सरकार- 'शेर दो हमें, हम तुम्हें पानी देंगे'
गांधीनगर। गुजरात और मध्य प्रदेश के बीच नर्मदा के पानी के बंटवारे और पनबिजली उत्पादन पर विवाद थम नहीं रहा है। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में एक मंत्री ने तर्क दिया है कि गुजरात को नर्मदा का पानी मिल सकता है, तो मध्य प्रदेश को गुजरात से शेर क्यों नहीं मिल सकते। दोनों राज्यों के बीच विवाद में अब ये नया मोड़ आया है।
मध्य प्रदेश सरकार नहीं मान रही नियम
गुजरात औऱ मध्यप्रदेश के बीच पानी के लिये टकराव शुरू हो चुका है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का कहना है कि, गुजरात को हम अतिरिक्त पानी नहीं दे सकते हैं। जबकि, गुजरात सरकार मानती है कि, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसा नहीं कह सकते हैं, क्योंकि पानी का बंटवारा नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी (एनसीए) ने तय किया है।
'सासण गिर के शेर कुनो में क्यों नहीं आ सकते'
पिछले एक महीने से दोनों राज्यो में नर्मदा के पानी के मुद्दों पर बहस शुरू हुई। पानी के बंटवारे और बीजली उत्पादन के मुद्दों के बीच मध्यप्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार के ट्वीट से विवाद और गहरा गया। उमंग सिंघार ने ट्वीट किया था कि गुजरात सरकार सासण गीर के शेरों को मध्यप्रदेश के कुनो तक भेजने में उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना कर रही है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत एक संघीय संरचना है और जब नर्मदा का पानी मध्यप्रदेश से गुजरात तक जा सकता है, तो सासण गिर के शेर कुनो में क्यों नहीं आ सकते?''
गुजरात के उपमुख्यमंत्री ने चेताया
गुजरात सरकार ने मध्यप्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार के बयान को गैर जिम्मेदाराना करार दिया है और कमलनाथ से माफी मांगने को कहा है। गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि, गुजरात के शेरों का मामला शीर्ष अदालत में लंबित है औऱ मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, लेकिन नर्मदा के पानी को रोकने की धमकी देने वाले मंत्री का बयान संघीय ढांचे में अस्वीकार्य है।'
'पानी को गैरकानूनी तरीके से रोक नहीं सकता'
नितिन पटेल ने कहा कि अगर ऐसा है तो, कुछ राज्य बसों या ट्रेनों को अपने क्षेत्र से गुजरने की अनुमति नहीं देंगे, जबकि अन्य माल को गुजरने की अनुमति नहीं देंगे। कोई भी राज्य गुजरात के पानी को गैरकानूनी तरीके से रोक नहीं सकता है। इसमें शामिल सभी चार राज्य सरदार सरोवर परियोजना के लिए हक्कदार हैं।'
नर्मदा से प्रभावित कई परिवारों का पुनर्वास होना बाकी
गुजरात और मध्य प्रदेश की सरकार पिछले महीने से टकराव की स्थिति में हैं। गुजरात सरकार ने पहले नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) से सरदार सरोवर बांध को भरने के लिए 138.68 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) की अनुमति मांगी थी। मध्य प्रदेश द्वारा इसका विरोध किया गया था, यह कहते हुए कि कुछ गाँव पानी में डूब जाएंगे। यहाँ तक कि नर्मदा परियोजना से प्रभावित कई परिवारों का पुनर्वास होना बाकी है।
मध्य प्रदेश ने एनसीए के फैसले का विरोध किया
सरदार सरोवर परियोजना के रिवर बेड पॉवर हाउस में एक और फ्लैशप्वाइंट हाइडल पावर जेनरेशन है। एनसीए ने इस साल अप्रैल में आरबीपीएच में बिजली उत्पादन को रोकने के लिए गुजरात के अनुरोध को मंजूरी दी थी, ताकि जलाशय को क्षमता से भरा जा सके। आरबीपीएच का संचालन करने के लिए मुख्य नहर में पानी छोड़ने की आवश्यकता होती है। मध्य प्रदेश सरकार ने एनसीए के फैसले का कड़ा विरोध किया।
मध्य प्रदेश लाए गए गुजराती शेर कुछ ही दिनों में मर गए थे
मध्य प्रदेश के कानून और विधायी मामलों के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि, गुजरात उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद मध्य प्रदेश में शेरों के स्थानांतरण की अनुमति नहीं दे रहा है। हम शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे और नए सिरे से आदेश जारी करने का अनुरोध करेंगे। पिछले 15 वर्षों से गुजरात सरकार इस मामले में नहीं बढ़ी है। जबकि, गुजरात का रवैया है कि, गुजरात में पहले भी मध्यप्रदेश में छह शेरों को भेजा था, लेकिन सभी शेर कुछ ही दिनों में मर गये थे। गुजरात के शेरों को मध्यप्रदेश का वातावरण रास नहीं आ रहा है।
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