2 साल में 207 बार टूटीं नर्मदा प्रोजेक्ट वाली नहरें, सरकार बोली- चूहे हैं बड़ी वजह, फिर किसान..
गांधीनगर। गुजरात का 75% पानी नर्मदा परियोजना वाली नहरों से मिलता है। मगर, ये नहरें पिछले दो सालों में 200 से ज्यादा बार टूटी हैं। नहरों के टूटने से अथवा सूराख होने की वजह से लाखों लीटर जल व्यर्थ बह गया। न तो यह पानी खेतों में सिंचाई में इस्तेमाल हो पाया और न ही गांवों में सप्लाई हो सका। अब विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने नर्मदा की नहरों के टूटने पर सफाई दी है। सरकार ने बड़ी वजह बताया है चूहों का आतंक! जी हां, सरकार की मानें तो चूहों की वजह से नहरें ज्यादा टूटीं। नहरों के पास बड़ी संख्या में चूहे होने के चलते उनकी बिलों की वजह से नहरों के भूमि-किनारे पोले हो जाते हैं।
दो साल में 207 बार टूटीं नर्मदा प्रोजेक्ट की नहरें
नर्मदा प्रोजेक्ट पर बोले हुए विभागीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में नहरें तूटने की 124 घटनायें हुईं। जबकि, 2018 में 83 बार नहरें टूटीं। हजारों लीटर पानी नहर टूटने से बह गया, जो कोई काम नहीं आया है। खेती भी बिन पानी तबाह हो गई, वहीं कुछ गांवों में बेजां पानी भर गया था। नहरों के मरम्मत के लिये सरकार ने दो साल में 77.86 लाख रुपए खर्च किए।
कहीं पानी व्यर्थ बहा, तो कहीं नहीं मिला बूंद भी
यह आंकड़े देखें तो ये बात सामने आती है कि गुजरात में एक तरफ किसानों को नर्मदा नहरों का पानी नहीं मिल रहा है, वहीं कई जगह नहरें टूटती हैं तो पानी व्यर्थ ही बह जाता है। कई बार बारिश का पानी ज्यादा आने की वजह से नहरें टूटी हैं। हालांकि, सरकार ने नर्मदा नहरों के टूटने के लिये कई कारणों में से एक कारण चूहे भी बताए हैं।
यह है नर्मदा विभाग का बयान
नर्मदा विभाग के स्टेटमेंट के मुताबिक, पानी लेने के लिये कुछ किसान नहरों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। वे पानी की पाइप लगाने के लिये नहरों को खोद के पाइप बिछा देते हैं। नर्मदा की नहरों में आरसीसी वर्क है, लेकिन उसके पीछे तो मिट्टी है। अगर लेयर कमजोर पड़ जाता है तो नुकसान नहरों को होता है। वहीं, चूहों को भी कसूरवार मानते हुए नर्मदा विभाग का कहना है कि चूहे अंदरूनी जमीन को खोद रहे हैं इसलिये नहरों का आरसीसी वर्क कमजोर पड़ जाता है, फिर पानी का बहाव शुरू हो जाता है और आखिरकार नहरें टूट जाती हैं और पानी खेतों में चला जाता है।'
गुजरात: 10,796 किमी छोटी नहरें अधूरी
विधानसभा में ही राज्य सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया कि राज्य को अभी भी 10,795.81 किमी छोटी एवं विभिन्न नहरों को पूरा करना है। नर्मदा की नहरों से 18.45 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के टारगेट में से सरकार 16.51 लाख हेक्टेयर में सिंचाई मुहैया करा पाई है। बता दें कि, देवर के विधायक शिवभाई भूरिया ने नहरों को लेकर सवाल किया था। तब सरकार ने नर्मदा नहर नेटवर्क पर चर्चा के दौरान यह माना कि छोटी और उप- नहरों का अधिकतम काम अभी पूरा होना बाकी है।