गुजरात में 800 से ज्यादा हिंदुओं ने धर्मांतरण के लिए दिए आवेदन, सरकार ने 689 को दी मंजूरी
गांधीनगर। गुजरात में पिछले 2 वर्षों में धर्मांतरण की मांग से जुड़े मामलों में इजाफा हुआ है। पिछले दो वर्षों में ऐसे 911 आवेदन आए, जिनमें से सरकार ने 689 लोगों को महजब बदलने की अनुमति दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मांतरण की मांग करने वाले लोगों में ज्यादातर हिंदू समुदाय से हैं। यहां 800 से अधिक हिंदुओं ने धर्मांतरण की मांग की। जबकि, शेष आवेदन अन्य महजबों से आए। गुजरात में धर्मांतरण के मामलों को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार की कुछ विशेष योजनाओं का लाभ लेने के लिये लोग अपना महजब बदल लेते हैं।
लालच देकर धर्म बदलवाने के खिलाफ सरकार ने बनाया कानून
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 900 से ज्यादा आवेदनों में से 35 मुसलमानों ने भी धर्मांतरण की मंजूरी मांगी थी। हालांकि, गुजरात में धर्मांतरण से जुड़े मामले नए नहीं हैं, यहां सालों से ऐसा होता रहा है। एक समय था जब मिशनरी डांग और आदिवासी जिलों में धर्मांतरण के लिए सक्रिय थी। लोगों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता था, उसके बाद गुजरात सरकार ने धर्मांतरण नियमन के लिए एक कानून बनाया था। कानून के बाद अनुमति मिलने के बाद धर्म परिवर्तन किया जा सकता है। इस कानून की जो शर्तें हैं उनका पालन करना पडता है और कुछ एफिडेविट भी करनी होती है।
विभिन्न इलाकों में 35 मुसलमानों ने भी मंजूरी मांगी
कानून के चलते, अगर गुजरात में किसी को धर्म परिवर्तन करना है तो राज्य के गृह विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता है। पिछले दो वर्षों में राज्य के गृह विभाग ने 911 लोगों में से 689 लोंगो को धर्म परिवर्तन करने की इजाजत दी है। धर्म परिवर्तन की मांग कर रहे 863 हिंदू व्यक्ति थे। इनके साथ राज्य के विभिन्न इलाकों में 35 मुसलमानों ने भी मंजूरी मांगी थी।
जूनागढ़ में 152 लोगों ने धर्मांतरण के लिए मंजूरी मांगी
इसके अलावा, राज्य सरकार को खोजा और बौद्ध धर्म के लोंको का भी आवेदन मिला था। हिंदुजा में सबसे ज्यादा आवेदन आदिवासी संप्रदायों के हैं। राज्य के सूरत जिले के 474 हिंदुओं ने धर्म परिवर्तन की अनुमति मांगी थी, जो राज्य में सबसे बड़ा आंकड़ा है। कई मामलों में, यह देखा गया है कि परिवार सरकारी लाभ लेने के लिए अन्य धर्म में परिवर्तित हो जाते हैं। सूरत के बाद जूनागढ़ जिला है, जहां 152 लोगों ने धर्मांतरण के लिए मंजूरी मांगी। आनंद जिले के 61 हिंदुओं ने मांग की थी।
धर्मांतरण को रोकने के लिए 2008 में बनाया था कानून
देश में धार्मिक स्वतंत्रता है, इसलिए कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को प्राप्त कर सकता है। हालांकि, गुजरात में इसका दुरुपयोग किया गया था। इसाइ मिशनरियों ने राज्य के आदिवासी जिलों में परिवारों के लिए अभियान शुरू किया था, जिन्हें जबरन धर्मांतरण में तबदिल किया जा रहा था। इस तरह के अभियान के सामने, गुजरात सरकार ने 2008 में धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाया था, जिसका पालन प्रत्येक व्यक्ति को करना पडता है।
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