MP के समर्थक मोदी-शाह को ट्वीट कर बोले- वाद नहीं विवाद नहीं, रादड़िया के सिवाए दूसरी बात नहीं
Gujarat News, पोरबंदर। लोकसभा चुनाव के लिए गुजरात में भाजपा के टिकट बंटवारे पर स्थानीय नेताओं में बहस छिड़ी हुई है। नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेता को टिकट दिलाने पर अड़े हैं। ऐसे ही पोरबंदर लोकसभा सीट के लिए रमेश धडुक को मौका मिलने की चर्चाएं होने लगीं तो गुजरात से बीजेपी के सांसद विट्ठल रादड़िया के समर्थक गुस्सा हो गए। समर्थकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को भी आड़े हाथों ले लिया। समर्थकों ने दोनों को ट्वीट कर कहा- "वाद नहीं विवाद नहीं रादड़िया के सिवा दूसरी बात नहीं"
बता दें कि, विट्ठल रादड़िया के समर्थक रादड़िया परिवार को टिकट देने की मांग कर रहे हैं। जिसके लिए सोशल मीडिया पर भी आवाज उठाई जा रही है। कई तरह के मैसेज शेयर किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट पर कमेंट करते हुए कई यूजर्स ने रादड़िया को मौका दिए जाने की मांग की। वहीं, अन्य यूजर ने अमित शाह के ट्वीट पर कमेंट करके चेतावनी दे डाली कि अगर पोरबंदर लोकसभा सीट का उम्मीदवार चुनने में गलती हुई तो परिणाम राजकोट, जामनगर और जूनागढ़ सीट पर भी भुगतना पड़ेगा, क्योंकि यहां भी विठ्ठल रादड़िया का असर है।
कुछ
इस
तरह
के
मैसेज
शेयर
किए
जा
रहे
हैं
"रादड़िया
के
अलावा
किसी
और
को
टिकट
मिला
तो
खून
में
भाजपा
होने
के
बावजूद
बीजेपी
का
विरोध
किया
जाएगा।"
"रादड़िया
परिवार
के
अलावा
किसी
को
टिकट
मिलने
का
मतलब
शेर
विठ्ठल
रादड़िया
पर
पीछे
से
वार
करना
माना
जाएगा।"
"गुजरात
का
कोई
भी
दादा,
इस
बाप
(विठ्ठल
रादड़िया)
से
तुलना
नहीं
कर
सकता
है।"
कुछ
समर्थकों
ने
यह
भी
कहा-
रादड़िया
नहीं
तो
भाजपा
भी
नहीं
वहीं,धोराजी
में
विठ्ठल
रादड़िया
के
कुछ
समर्थकों
ने
यह
तक
कह
दिया
कि
अगर
उन्हें
टिकट
नहीं
तो
भाजपा
भी
नहीं।
पार्टी
को
चैलेंज
करते
ये
पोस्टर
सोशल
मीडिया
में
वायरल
हो
रहे
हैं।
जिनमें
कहा
जा
रहा
है
कि
भाजपा
की
पोरबंदर
सीट
पर
भूल
पोरबंदर,
जूनागढ़,
जामनगर,
सूरत
समेत
सौराष्ट्र
को
भी
ले
डूबेगी।
इसके अलावा भी वॉट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर समेत सोशल मीडिया पर विठ्ठल रादड़िया के समर्थन में कई अलग-अलग मैसेज वायरल हो रहे हैं। रादड़िया या उसके परिवार को पोरबंदर सीट पर टिकट देने की मांग की जा रही है। ऐसे ही भाजपा पर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, आमतौर पर भाजपा का हाईकमांड ऐसे दबावों के आगे नहीं झुकता। ऐसे में इस बार क्या निर्णय लिया जाएगा, यह आगे पता चल पाएगा।
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