गुजरात में सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण, जिसने दिया था यह आइडिया उसी को भूली सरकार!
gujarat News, गांधीनगर। हाल ही सरकार ने सवर्ण जातियों को 10 पर्सेंट आरक्षण दिए जाने की घोषणा की, जो कि गुजरात में बहुत पहले ही हो जाती, यदि के.जी. वंजारा नाम के अफसर की बात मान ली गई होती। जी हां, सवर्णों की आर्थिक जातियों को 10 पर्सेंट आरक्षण देने के लिये गुजरात सरकार को इसी अफसर ने आइडिया दिया था। मगर, सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उन्हें कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया।
गुजरात सरकार ने सबसे पहले आरक्षण को लागू कराया
जानकारी के अनुसार, के.जी. वंजारा का उद्देश था राज्य में चल रहे पाटीदार आरक्षण आंदोलन को समाप्त किया जाए। गुजरात सरकार यदि ये सुझाव मान लेती तो भाजपा निसंदेह विधानसभा चुनाव में बड़े फायदे में रहती। जानकारों का कहनस है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण के बिल को राष्ट्रपति ने मंजूरी देने के बाद गुजरात सरकार ने सबसे पहले आरक्षण को लागू कराया है।
सभी बिन अनामत जातियों के लिए की पैरवी
भारत में बिन-आरक्षित जातियों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक मोदी सरकार द्वारा पारित किया गया, लेकिन वास्तव में यह आइडिया गुजरात के अफसर ने तीन साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अफसर को दिया था। वर्ष 2015-16 में, समाज कल्याण विभाग के निदेशक, के.जी. वंजारा ने बिन अनामत जातियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का एक प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल सरकार को दिया था। उस समय, गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन जोरों पर था, वंजारा ने कहा था कि बिन अनामत में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा था कि सिर्फ पाटीदारों को ही नहीं, बल्कि सभी बिन अनामत जाति के लोगों को भी आरक्षण देना चाहिए।
कौन हैं के. जी. वंजारा
वंजारा समाज कल्याण विभाग के निदेशक हैं। 15 सालों से एक ही स्थान पर काम कर रहे हैं। सरकार के कानूनी कार्यों के अलावा, वे गुजरात में विभिन्न जातियों के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं। अब तीन साल की देरी के बाद, भारत सरकार ने गुजरात के अफसर के.जी. वंजारा की पैटर्न के अनुसार आर्थिक रूप से बिन अनामत वर्गों को आरक्षण दिया है।
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