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इंडिया की पहली बुलेट ट्रेन पर संकट के बादल, भूमि अधिग्रहण के विरोध में गुजरात के किसान

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Gujarat News, गांधीनगर। देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह है गुजरात में किसानों का भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। किसानों को अपनी जमीन जाने का डर है, इसलिए सरकार भी कदम फूंक फूंक कर रख रही है। परियोजना के तहत बुलेट ट्रेन की पटरियां गुजरात में अहमदाबाद से शुरू होकर महाराष्ट्र में मुंबई तक बिछाई जानी हैं।

190 गांवों में किया जाएगा भूमि अधिग्रहण

190 गांवों में किया जाएगा भूमि अधिग्रहण

अब तक 190 गांवों में से 100 गांवों की भूमि अधिग्रहण के लिए अंतिम निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, बाकी के गांवों में किसानों से बात चल रही है। यह सहमति पिछले साल दिसंबर में ही हो जानी थी, मगर ऐसा नहीं हो सका। किसान संगठनों का यह भी कहना है कि किसानों को उनकी जमीनों के बदल उचित मूल्य नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी होने तक परियोजना भी कोई ठोस उन्नति नहीं कर पाएगी।

विलंब का मुख्य कारण किसानों का विरोध

विलंब का मुख्य कारण किसानों का विरोध

हालांकि, एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण जल्दी करने की कोशिश कर रहे हैं। हम किसानों को भी समझा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 19 के अनुसार, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास (गुजरात सुधार) अधिनियम, 2016 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकारों के अनुसार निर्देश जारी किए जाते हैं। भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में विलंब का मुख्य कारण किसानों का विरोध है। हम गुजरात के अलावा महाराष्ट्र में भी किसानों के विरोध का सामना कर रहे हैं।

किसानों को 50 प्रतिशत बोनस दिया जा रहा

किसानों को 50 प्रतिशत बोनस दिया जा रहा

हालांकि, लोकसभा चुनावों के कारण सरकार ने अभी ऐसा रवैया अपनाया है कि किसानों पर दबाव नहीं बढायें, क्योंकि उसकी असर चुनाव पर पड़ेगा। बुलेट ट्रेन की परियोजना के लिये किसानों को जमीन के सामने 50 प्रतिशत बोनस भी दिया जा रहा है। सरकार उस किसान को 80 प्रतिशत अग्रिम भुगतान भी कर रही है, जो किसान अपनी जमीन देता है।

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दक्षिण गुजरात के किसान कर रहे विरोध

दक्षिण गुजरात के किसान कर रहे विरोध

दक्षिण गुजरात के किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे है। सरकार और नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन ने कहा है कि इस परियोजना के तहत, कुल संपत्ति के अतिरिक्त भूमि पर खेती करने वाले किसान को 50 प्रतिशत अधिक भुगतान किया जाएगा। वहीं, गुजरात के किसान लंबे समय से अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन परियोजना में भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने के मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

सरकार ने कोर्ट में कही ये बात

सरकार ने कोर्ट में कही ये बात

सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय में कहा कि किसानों को 50 प्रतिशत अधिक मुआवजे का भुगतान किया जाएगा। राजस्व मंत्री कहते हैं कि सरकार ने 508 किलोमीटर के मार्ग के माध्यम से आने वाले 196 गांवों का अधिग्रहण करने के लिए गांव की 4 गुना और शहर की भूमि की लागत का 2 गुना देने का फैसला किया है।

कितने दायरे में है परियोजना?

कितने दायरे में है परियोजना?

बुलेट ट्रेन महाराष्ट्र के 155.76 किमी लंबे गलियारे से होकर गुजरती है। रेलवे को गुजरात के 348.04 किलोमीटर और दादरा नगर क्षेत्र में 4.3 किलोमीटर तक जमीन मिल रही है। निगम को गुजरात के 298 गाँवों में 148 हेक्टेयर और महाराष्ट्र में 104 गाँवों से 350 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना है। एक अधिकारी ने बताया कि यह परियोजना 2023 तक पूरी हो सकती है। भूमि अधिग्रहण के अलावा अन्य प्रक्रियाओं में लगने वाले समय के कारण, इस परियोजना निर्धारित समय पर पूरा नहीं होने की शंका है।

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English summary
Here's the latest on India's first bullet train project
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