विश्वामित्री नदी परियोजना पर अमल होता तो वडोदरा बाढ़ से बच जाता, 48 घंटे बाद भी आधा शहर पानी में
वडोदरा। गुजरात में वडोदरा, वलसाड, नवसारी और राजकोट जिलों में भारी वर्षा हो रही है। वडोदरा शहर में पिछले दिनों तीनों से हुई बारिश से तो विश्वामित्री नदी का जलस्तर बहुत बढ़ गया। जिसकी वजह से बाढ़ आ गई। फिर, शहर में कहीं-कहीं तो छतों तक जलभराव देखने को मिला। शुक्रवार की सुबह 9 बजे तक विश्वामित्री नदी का जल स्तर 33 फीट दर्ज किया गया था। वहीं, आजवा डैम का जल स्तर भी 212.20 फीट हो गया। बारिश के 48 घंटे बाद भी करीब आधा शहर जलमग्न रहा। जिसके बाद देर रात से विश्वामित्री नदी का जल स्तर घटने लगा।
यदि विश्वामित्री नदी के लिए परियोजना होती तो बाढ़ नहीं आती
संवाददाता के अनुसार, नदी और बांध का पानी शहर के घरों में घुस रहा है। यदि सरकार विश्वामित्री नदी परियोजना पर ध्यान देती तो शायद ही ऐसे हालत देखने को मिलते। बहरहाल, गुजरात सरकार वडोदरा की आपदा को निपटने के लिये मीटिंग्स आयोजित कर रही है। मगर, कई जानकारों का मानना है कि ये आयोजन 15 साल पहले किए होते तो वडोदरा की जनता को ये दिन नहीं देखने पड़ते। बाढ़ जैसे हालातों के बीच सरकार को विश्वामित्री में रिवरफ्रंट बनाने का काम भी रोकना पड़ा है।
70 करो़ड़ रुपये का प्रोजेक्ट सरकार ने ठुकरा दिया था
पंद्रह साल पहले शहरी विकास विभाग के एक अधिकारी ने सरकार के समक्ष एक प्रस्ताव रखा था, जिसमें कहा गया था कि शहर से निकलती विश्वामित्री नदी के पानी को महिसागर नदी में डायवर्ट किया जाय तो वडोदरा शहर में मॉनसून के मौसम में भारी बारिश होने के बावजूद बाढ़ का खतरा पैदा नहीं होगा। प्रस्ताव में कहा गया था कि, विश्वामित्री नदी के पानी को डायवर्ट करने के लिये 70 करोड़ रुपये का खर्च होना था, लेकिन यह खर्च सरकार को नहीं करना था। निजी कंपनियां और संस्थाएं ये काम करने को तैयार थीं। यानी, सरकार को मुफ्त में योजना साकार करना था।
विश्वामित्री का पानी महिसागर नदी में डायवर्ट हो
विश्वामित्री का पानी अगर महिसागर नदी में डायवर्ट हुआ होता तो, काफी कम समय में बारिश का पानी समुद्र में चला जाता। शहरी विकास के अधिकारी ने 2004 में यह प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा था, लेकिन सरकार ने प्रस्ताव के बारे में कोई भी सूचना नहीं दी औऱ प्रस्ताव फाइलों में बंद पड़ा रहा।
आखिर में बाढ़ की नौबत आ गई
वडोदरा में 20 इंच से भी ज्यादा बारिश हुई। ऊपरी इलाकों में तेज बारिश के साथ एकत्रित हुए पानी ने विश्वामित्री औऱ आजवा सरोवर को इतना भर दिया कि ज्यादा पानी शहर के इलाकों में घुसने लगा। आखिर में बाढ़ की नौबत आ गई।
5000 से ज्यादा लोगों को स्थानांतरित किया गया
शहर में 5000 से ज्यादा लोगों को स्थानांतरित किया गया है। एनडीआरएफ की 15 कंपनियां राहत औऱ बचाव कार्य में जुटी हैं। स्थानीय प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती यह भी है कि जब तक नदी से शहर में आ घुसे मगरमच्छ वापस नहीं होते हैं, तब तक सड़कों पर खतरा बना रहेगा। सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक वीडियो चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें आप देख सकते हैं कि लोग कितनी मुश्किलों में फंसे हैं।
..तो आज वडोदरा शहर में बाढ़ नहीं आती
शहरी विकास विभाग के अधिकारी ने 15 साल पहले जो प्रस्ताव रखा था उस वर्ष भी काफी वर्षा हुई थी और वडोदरा में बाढ़ की स्थिति आई थी। अधिकारी ने कहा था कि अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती, तो आज वडोदरा शहर में बाढ़ जैसी आपदा नहीं आती। क्योंकि अतिरिक्त पानी को समुद्र की ओऱ ले जाना था।
सरकार ने वो प्रस्ताव ठुकराया और रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया
तब सरकार ने प्रस्ताव को तो ठुकरा दिया, लेकिन विश्वामित्री नदी पर रिवरफ्रंट बनाने का निर्णय लिया। सरकार ने रिवरफ्रंट के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन वडोदरा का यह सपना पूरा नहीं हो सकता है। अहमदाबाद में साबरमती नदी पर सरकार ने जो रिवरफ्रंट बनाया है, वह वड़ोदरा में विश्वामित्रि नदी पर बनाना चाहती थी। हालांकि, पर्यावरण के कुछ मुद्दों के कारण सरकार विश्वामित्री नदी पर रिवरफ्रंट नहीं बनाएगी।
विश्वामित्री नदी पर रिवरफ्रंट के लिए करोड़ों खर्च हो गए
वडोदरा में रिवरफ्रंट बनाने के लिए भाजपा के नगर निगम के अधिकारियों और मेयर ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन वड़ोदरा नगर निगम को विश्वामित्री रिवरफ्रंट डवलपमेंट प्रोजेक्ट में पर्यावरण के मुद्दे पर मंजूरी नहीं मिली है।
अतंत: रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट को स्थगित करना पड़ा
गौरतलब है कि विश्वामित्री रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की दोषपूर्ण प्रक्रिया के कारण, शहर की संस्थाओं और जाने-माने लोगों ने वडोदरा नगर निगम और और नगर निगम के नियुक्त अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए सरकार के विभिन्न विभागों को पत्र लिखे थे, जो वड़ोदरा के लोगों के पैसे और समय के लिए जिम्मेदार थे। आखिरकार, सरकार को विश्वामित्री नदी पर रिवरफ्रंट बनाने की परियोजना को स्थगित करना पडा है।
सरकार 15 साल पुराने प्रस्ताव पर विचार करे
इससे पहले 2016 में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, पूना बेंच ने विश्वामित्री रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के क्षेत्र में सभी कार्यों को बंद करने का आदेश दिया था। शहरी विकास विभाग के अधिकारी का यह भी कहना है कि विश्वामित्री नदी पर रिवरफ्रंट परियोजना का निर्माण संभव नहीं है। सरकार को 15 साल पुराने प्रस्ताव पर विचार करना चाहिए कि, कैसे विश्वामित्र का पानी महिसागर ले जाया जाए।