आयुर्वेद की पांडुलिपियों का डिजिटलाइजेशन: देश में पहली बार यहां 7500 में से 515 पांडुलिपि हुईं डिजिटल
गांधीनगर। इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद, जामनगर में विभिन्न विषयों की 7500 पांडुलिपियां हैं, जो लाइब्रेरी, गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर में उपलब्ध हैं। जिनमें से 515 आयुर्वेदिक पांडुलिपियां (1 लाख पृष्ठ) डिजिटल कर दी गई हैं। सरकार ने यह अभियान इसलिए शुरू किया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी उनका अध्ययन कर सकें। छात्रों की रिसर्च को बढ़ावा मिल सके। एक अधिकारी के मुताबिक, आयुर्वेद की पांडुलिपियों के डिजिटलाइजेशन को लेकर केंद्र के आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा मंत्रालय ने विवरण पेश किया है।
विभाग ने लोकसभा में कहा, ''आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय के सहयोग से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL) की स्थापना की गई है। दवाओं के भारतीय पारंपरिक प्रणाली के ज्ञान की रक्षा करने और उसके दुरुपयोग को रोकने के लिए यह लाइब्रेरी काम कर रही है।
TKDL
में
भारतीय
पारंपरिक
चिकित्सा
ज्ञान
है
जो
सार्वजनिक
रूप
से
आयुर्वेद,
यूनानी
और
सिद्ध
से
संबंधित
शास्त्रीय
एवं
पारंपरिक
ग्रंथों
से
डिजिटाइज्ड
प्रारूप
में
उपलब्ध
है
और
यह
पांच
अंतरराष्ट्रीय
भाषाओं
(अंग्रेजी,
फ्रेंच,
जर्मन,
स्पेनिश
और
जापानी)
में
उपलब्ध
है।
TKDL
डेटाबेस
में
लगभग
3.6
लाख
फॉर्मूलेशन
ट्रांसफर
किए
गए
हैं।
TKDL
डेटाबेस
तक
पहुंच
वर्तमान
में
गैर-प्रकटीकरण
एक्सेस
समझौतों
के
माध्यम
से
दुनिया
भर
में
13
पेटेंट
कार्यालयों
को
प्रदान
की
जाती
है।
आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली को संरक्षित करने और आयुर्वेद में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए, जयपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एनआईए) ने आयुर्वेद के लिए विश्व का पहला ऑडियो-विजुअल म्यूजियम ऑफ साइंटिफिक हिस्ट्री विकसित किया है और प्रचार करने के लिए हाल ही में एक पांडुलिपि यूनिट स्थापित की गई है।
यह पांडुलिपियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाओं का संचालन करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित है। पांडुलिपि इकाई ने देश के विभिन्न हिस्सों से पुराने कागज़-निर्मित 35 दुर्लभ पांडुलिपियाँ एकत्र की हैं और 120 पांडुलिपियाँ और प्रकाशन डिजिटल किए गए हैं।
आयुर्वेदिक विज्ञान, नई दिल्ली में सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च ने पांडुलिपियों, प्राचीन पुस्तकों और अन्य स्रोतों में उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाओं के ज्ञान के प्रसार और संरक्षण के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं और इसके परिणाम के रूप में प्राचीन पांडुलिपियों के साथ दुर्लभ ग्रंथों से विभिन्न ग्रंथों को प्रकाशित किया है।
ऐसी कैसी शान! बर्थडे मनाने के लिए युवक ने सरेराह कार के बोनट पर तलवार से काटे 8 केक, VIDEO