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गुजरात में 2 युवकों को आया ऐसा आइडिया, बासी फूलों से बनाने लगे खुशबूदार अगरबत्ती

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गांधीनगर। गुजरात में अहमदाबाद के दो छात्रों को ऐसा आइडिया आया कि उनसे हर कोई सीख सकता है। छात्रों ने मंदिरों, गुरुद्वारे, चर्च और मस्जिदों में जमा हुए फूलों के कचरे से खाद और अगरबत्ती बनाना शुरू किया है। यानी, उन्होंने वैस्टेज फ्लॉवर्स से कम्पोस्ट का स्टार्टअप शुरू किया है। जिसे उन्होंने बुक्स एंड ब्लूम्स नाम दिया है। फूलों के कचरे को तालाब या नदियों में फेंकने से बचाने के लिए और कचरा बढ़ने से रोकने के लिए छात्रों के इस प्रयास की राज्यभर में सराहना हो रही है।

बासी फूलों से छात्रों ने शुरू किया खास स्टार्टअप

बासी फूलों से छात्रों ने शुरू किया खास स्टार्टअप

संवाददाता के अनुसार, वे छात्र सूखे-मुरझाए और फेंके गए फूलों को रिसाइकिल किए जाने के बाद उनसे खेतों में डाला जाने वाला खाद बना रहे हैं। इसके अलावा वे भगवान की पूजा में इस्तेमाल होने वाली अगरबत्ती भी बना रहे हैं। वे कहते है। कि फूलों को पानी में बहाने से जल प्रदूषित होता है। अगर इन फूलों के कचरे का सही इस्तेमाल करके कुछ प्रोडक्ट्स बनाए जाएं तो लोगों के काम आ सकते हैं और किसी तरह की गंदगी भी नहीं होगी।

सरकार भी मदद को आगे आई, 86 मंदिर सौंपे गए

सरकार भी मदद को आगे आई, 86 मंदिर सौंपे गए

ये दोनों छात्र हैं यश भट्ट और अर्जुन ठक्कर। उनकी उम्र 22 वर्ष है और जीटीयू (गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी) के तहत इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। वे 'ब्रूक्स एंड ब्लूम्स' प्रोजेक्ट के माध्यम से मंदिरों में इस्तेमाल होने वाले फूलों से खाद और अगरबत्ती-धूप इत्यादि बना रहे हैं। इसके लिए उन्हें इनोवेशन पोलिसी यानी एसएसआइपी के तहत दो लाख रुपये की मदद भी मिली है। तीन महिनों के दौरान एलडी एंजीनियरिंग के कैम्पस के पिछवाड़े में इन दोनों युवाओं ने स्टार्टअप शुरू किया। बाद में इन छात्रों के स्टार्टअप में तेजी आई और नगर निगम से अगस्त 2018 में एमओयु साइन कर लिया गया। अब इन युवाओं को शहर के 86 मंदिर सौंपे गए हैं और अहमदाबाद के विक्टोरिया गार्डन में एक वाहन भी आवंटित किया गया है।

हर दिन 1000 किलो फूल आते हैं, 100 किलो खाद बनती है

हर दिन 1000 किलो फूल आते हैं, 100 किलो खाद बनती है

यश भट्ट और अर्जुन ठक्कर बताते हैं कि खाद बनाने के लिये तीन मशीनों का उपयोग होता है। थ्रेडर, माइक्रोस्कोप और सेविंग मशीन का उपयोग किया जाता है 30-दिन की प्रक्रिया के बाद खाद बन जाता है। हर दिन 1000 किलोग्राम फूलों के कचरे से 100 किलोग्राम खाद बनता है। मंदिरों में एक बार फूल चढ़ाने के बाद फूलों को एक साथ इकट्ठा किया जाता है। वे खासतौर पर गलगोट और गुलाब के फूलों का उपयोग कर रहे हैं।

3 मशीनों से करते हैं ये काम

3 मशीनों से करते हैं ये काम

3 मशीनों का उपयोग फूल से उर्वरक और धूप बनाने की प्रक्रिया में किया जाता है। जिसमें थ्रेडर, मिकशर और सेविंग मशीन शामिल हैं। थ्रेडर जिसमें फूल छोटे भागों में अलग हो जाते हैं। मिकशर, जिसे पानी और उत्तेजक पदार्थों के साथ मिलाया जाता है। उसके बाद, सेविंग मशीन में 30 दिनों के बाद शुद्ध उर्वरक प्राप्त करने की प्रक्रिया की जाती है।

हर महीने बेचा जा रहा 3,000 किलोग्राम खाद

हर महीने बेचा जा रहा 3,000 किलोग्राम खाद

हर महीने 3,000 किलोग्राम खाद विभिन्न मंदिरों में बेचे जाते हैं। अनुबंध के तहत खाद का 50% हिस्सा नगर निगम को दिया जाता है। लोग ऑनलाइन पोर्टल पर खाद औऱ अगरबतीयां पा सकते हैं। 1 किलो खाद और 1 पैकेट धूप की कीमत 60 रुपये रखी है। यह परियोजना अभी अहमदाबाद में शुरू की गई है।

छात्रों को रोजगार भी दिलाया

छात्रों को रोजगार भी दिलाया

इस स्टार्टअप में दो युवाओं द्वारा दो अन्य छात्रों को रोजगार दिया गया है। इस परियोजना के तहत 50% खाद नगर निगम के बगीचे में मुफ्त में प्रदान किया जाता है। शेष 50% खाद की बिक्री की जाती है। मंदिरों के बाहर महिलाओं को धूप का पैकेट भी दिया जाता है।

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English summary
Gujarati students Make organic compost from temple's waste Flowers
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