पिता का करोड़ों का बिजनेस छोड़ गुजरात के जिस बेटे ने हिमाचल में मांजे बर्तन, उसे महिंद्रा से मिला ऑफर
गांधीनगर। गुजरात में पिता का करोड़ों का बिजनेस छोड़कर जो लड़का हिमाचल के होटल में बर्तन साफ करते मिला था, उसे महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने ऑफर दिया है। आनंद महिंद्रा ने उस लड़के की खबरें मीडिया में देखी थीं। जिसके बाद आनंद महिंद्रा ने ट्विटर किया- 'मैं इस युवा का प्रशंसक हूं, जो अपने दम पर आगे बढ़ना चाहता है। अभी ऐसा लगता है कि उसने सनक में घर छोड़ दिया, मगर फ्यूचर में वह एक सफल, आत्मनिर्भर उद्योगपति हो सकता है। मैं अपनी कंपनी में उसे इंटर्नशिप का ऑफर देकर खुश होऊंगा।'
वहीं, आनंद महिंद्रा के ऑफर से उत्साहित उस लड़के पिता ने कहा कि मेरे बेटे का केवल एक सपना है-खुद के प्रयासों से एक दिन बड़ा आदमी बनना।
1250 रुपए लेकर घर छोड़ा, घर वाले ढूंढते रहे
बता दें कि, वडोदरा के तेल व्यवसायी राकेश ठक्कर का बेटा द्वारकेश 1250 रुपए लेकर 14 अक्टूबर को अपने इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए घर से निकला था। हालांकि, वह कॉलेज न जाकर चुपचाप शिमला चला गया था। उसके शाम तक घर नहीं लौटने पर परिजनों को चिंता हुई। 15 अक्टूबर को परिजनों ने पादरा पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तीसरे दिन पुलिस ने उस रिक्शा ड्राइवर का पता लगाया, जिसने उसे अक्षर चौक छोड़ा था। वहीं, सीसीटीवी फुटेज में द्वारकेश वडोदरा के रेलवे स्टेशन पर दिखा।
4-5 नवंबर की रात शिमला में सड़क पर मिला
16 अक्टूबर को ही पुलिस ने द्वारकेश को अंकलेश्वर, सूरत समेत गुजरात के अन्य शहरों में खोजा। वहीं, 17 अक्टूबर को द्वारकेश दिल्ली होते हुए बस से शिमला पहुंच गया था। 4 नवंबर को उसने होटल में बर्तन मांजने का काम खोज लिया। वहीं, उस पर शक होने पर होटल मैनेजर ने गुजरात पुलिस को उसके बारे में सूचित किया। तब 4-5 नवंबर की रात द्वारकेश को पुलिस एवं उसके परिजनों ने शिमला में सड़क पर सोते पाया।
पिता ने कहा- वो घर भागा नहीं था, खुद को साबित किया
इस घटना के बारे में जहां तेजी से चर्चा फैल गई कि करोड़पति का बेटा पढ़ाई के डर से घर छोड़कर भाग गया। वहीं, उसके परिजनों का कहना है कि हमारा बेटा खुद को साबित करना चाहता था कि वह क्या कर सकता है। बेटे की ईमानदारी के बारे में पिता राकेश ठक्कर का कहना है कि द्वारकेश मात्र 1250 रुपए लेकर घर से निकला था। जिनमें से उसने 1070 रुपए टिकट लेने में और 20 रुपए पानी की बोतल खरीदने में खर्च किए। बाकी बचे हुए 160 रुपए लौटा दिए। आगे का खर्च उसने खुद मेहनत करके वहन किया। उसके पास हमें कुछ नहीं मिला। हमारा बेटा वाकई मेहनती है।''
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