गुजरात जल संसाधन प्रबंधन में नं-1, लेकिन भूजल के नियंत्रण के लिए नहीं हैं कानून, ऐसे हो रहा दोहन
गांधीनगर। जल संसाधन प्रबंधन के लिये गुजरात ने पिछले कई वर्षों से अच्छा काम किया है। नीति आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह राज्य केंद्रीय स्तर पर पहले स्थान पर रखा गया। हालांकि, राज्य में भूजल के नियंत्रण के लिये अलग से कोई कानून या निर्देश नहीं आए, जो कि चिंता का विषय है। जहां-जहां नई बिल्डिंग्स बन रही हैं, लोग वहां बोरवेल तो बनाते हैं लेकिन रिचार्ज के लिये कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। अर्थात् ये कि लोग भूजल निकाल लेते हैं, लेकिन जमीन में पानी बचाए रखने के लिए कुछ नहीं कर रहे। कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। कहीं, पानी मिल भी जाता है किंतु वह पीने के योग्य नहीं है।
देश की 1.9 प्रतिशत बारिश गुजरात में होती है
संवाददाता के अनुसार, उत्तर गुजरात के क्षेत्रों में भूजल का इतना दोहन हो रहा है कि, अब बोरवेल और कुएं भी फेल हो रहे हैं। कुछ ऐसी जगह पायी गई हैं, जहां भूजल ही नहीं है। नीति आयोग ने गुजरात सरकार को सूचित किया है कि वह भूजल के अपनी नीति बनाएं औऱ उसका पालन करें। मानसून विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, गुजरात में देश की 1.9 प्रतिशत बारिश होती है। इस राज्य के पास देश के 5.3% भूजल की हिस्सेदारी है। साथ ही देश के कृषि उत्पादन में 4.5% योगदान है।
यह कहती है कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट
बहरहाल, पानी के संचयन के लिए कोई नई पहल तो नहीं हुई। मगर, गुजरात सरकार भूजल के उपयोग को विनियमित करने के लिए एक बिल का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में है। इस मसौदे में पीने का पानी, कृषि उपयोग का पानी और और वाणिज्यिक उपयोग के पानी के लिये नये कानून बनाने का लक्ष्य है। कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-हिमालयी राज्यों में 55 प्रतिशत भूजल संसाधनों के प्रबंधन के लिए एक नियामक तंत्र है, लेकिन गुजरात उन राज्यों में नहीं है। भूजल के विनियमन और नियंत्रण विकास और प्रबंधन के लिए मॉडल विधेयक 2005 सभी राज्यों को भेज दिया गया था, लेकिन गुजरात में भूजल उपयोग को विनियमित करने के लिए अभी कानून बनाना बाकी है।
राज्य के कई इलाके जलसंकट का सामना कर रहे
रिपोर्ट में कहा गया है, "गुजरात को भूजल कायाकल्प पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। राज्य के कई इलाके जलसंकट का सामना कर रहे हैं। भूजल के दोहन करने वाले रियल एस्टेट सेक्टर को कोई सूचना गुजरात सरकार की ओर से नहीं मिली है।"
भूजल की मात्रा कम हो रही, सरफेस जल का प्रबंध नहीं
जल विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि गुजरात में भूजल की मात्रा कम हो रही है। इसका सबसे ज्यादा दोहन कृषि सेक्टर में हो रहा है, उसके बाद रियल एस्टेट सेक्टर में हो रहा है। जहां सरफेस जल का प्रबंध नहीं है, ऐसे इलाकों में बारिश के पानी का उपयोग भूजल सिस्टम में किया जाना चाहिये।