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27 साल बाद गुजरात में लौटे बाघ, नाइट विजन कैमरे ने किया कैद, मौजूदगी का पता लगाने 5 टीमें जुटीं

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Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में करीब ढाई दशक बाद जंगल में बाघ देखा गया है। वनविभाग कर्मियों ने यहां महिसागर जिले में नाईट विजन कैमरे से बाघ की चहल-कदमी कैद की है। वहीं, दो दिन पहले एक शिक्षक द्वारा भी मोबाइल से एक बाघ की फोटो खींचे जाने की बात सामने आई है। इसके बाद से वन-विभाग गुजरात में बाघों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रहा है। साथ ही विशेषज्ञों ने टाइगर सेंचुरी स्थापित करने की सरकार से मांग की है।

1992 के बाद से नहीं दिखे थे बाघ

1992 के बाद से नहीं दिखे थे बाघ

मालूम हो कि नब्बे के दशक तक गुजरात देश में एकमात्र ऐसा राज्य था जहां शेर और बाघ दोनों बसते थे। हालांकि, 1992 के बाद से बाघों के दर्शन दुर्लभ हो गए। इसी साल आखिरी बार बनासकांठा के अंबाजी के जंगल इलाके में बाघ दिखा था। जिसके बाद बीते साल 25 जुलाई को गुजरात-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित तापी जिले के निज़र गाँव में बाघ के हमला किए जाने की चर्चा हुईं, हालांकि किसी ने बाघ देखा नहीं।

नाईट विजन कैमरे तैनात किए

नाईट विजन कैमरे तैनात किए

प्रधान मुख्य वन संरक्षक अक्षय सक्सेना ने स्थानीय वन विभाग को बाघों की खोज करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा उन्होंने महेश मेहरा द्वारा खींची गई तस्वीर की सच्चाई की भी जांच करने को कहा है। बाघों के पैरों के निशान और उनकी उपस्थिति के बारे में पता लगाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस जगह पर मौजूदगी का अहसास होने पर 3 नाइट विजन कैमरे भी लगाए गये हैं।

मध्य प्रदेश से गुजरात में आया बाघ, वनविभाग ने ऐसे की पुष्टि

मध्य प्रदेश से गुजरात में आया बाघ, वनविभाग ने ऐसे की पुष्टि

गुजरात वन विभाग की ओर से जारी एक नोट के मुताबिक, सूबे के जंगल बाघ को वन-कर्मियों ने संतरामपुर इलाके पाया। जब वन-कर्मी कैमरे के साथ वहां घूम रहे थे। वनविभाग का मानना है कि वह पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश से महिसागर जिले में और फिर यहां जंगल में पहुंचा।

 क्या आपने ऐसे भी ऐसे इंसान देखे हैं जो महज चाय पीकर ही अपना गुजारा कर लें, वो भी बिना अन्न-फल इत्यादि कुछ खाए? क्या आपने ऐसे भी ऐसे इंसान देखे हैं जो महज चाय पीकर ही अपना गुजारा कर लें, वो भी बिना अन्न-फल इत्यादि कुछ खाए?

बाघों की आबादी बढ़ाने के प्रयास करेंगे: वनमंत्री

बाघों की आबादी बढ़ाने के प्रयास करेंगे: वनमंत्री

बाघ देखे जाने की सूचना पर राज्य के वन मंत्री गणपत वसावा गदगद हो उठे। गणपत ने कहा है कि हम गुजरात के जंगल में बाघ का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। वन विभाग के सर्च ऑपरेशन में इस बाघ को नाइट विजन कैमरे में कैद किया गया है। उन्होंने कहा कि गुजरात के जंगल में शेर और तेंदुए की आबादी के साथ बाघों की आबादी बढ़ाने का प्रयास हम करेंगे।

शिक्षक का दावा-उसने भी देखा था बाघ

शिक्षक का दावा-उसने भी देखा था बाघ

पिछले दिनों पहले गुगलिया एलीमेंट्री स्कूल के​ शिक्षक ने दावा किया था कि उसने मोबाइल के कैमरे में बाघ को कैद किया। शिक्षक का नाम महेश मेहरा है। मेहरा का कहना है कि मैं शनिवार देर शाम स्कूल से घर लौट रहा था, तो अपनी कार से बाघ को गुजरते हुए देखा। वह बाघ जंगल में रास्ता पार कर रहा था। मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ था, लेकिन यह सच है कि वो बाघ ही था। सड़क किनारे गाड़ी रोककर मैंने अपने मोबाइल कैमरे से बाघ की फोटो ली। जिसके बाद मैंने स्थानीय लोगों को बताया कि इस क्षेत्र में एक बाघ है, तब उन्होंने भी बाघ होने की पुष्टि की थी।

पांच टीमें बाघ ढूंढने में लगाईं

पांच टीमें बाघ ढूंढने में लगाईं

जैसे ही डीसीएफ के अधिकारी को इस फोटो के बारे में जानकारी मिली, वे जंगल में चले गये।महिसागर के वन क्षेत्र में बाघों का पता लगाने के लिए वन विभाग द्वारा पांच टीमें बनाई गईं। लुनावाड़ा तालुका के जंगल में एक टीम ने बताया कि उन्हें बाघ के बाल और पैरों के निशान मिले हैं। बाघ पानम बांध क्षेत्र से संतरामपुर के जंगल की ओर चला गया है।

गुजरात और महाराष्ट्र के बीच बन सकते हैं गलियारे

गुजरात और महाराष्ट्र के बीच बन सकते हैं गलियारे

वहीं, बाघों की उपस्थिति के बारे में राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के कॉर्पोरेट मामलों के विभाग के अध्यक्ष और वन्यजीव प्रेमी परिमल नथवानी ने कहा है कि सरकार और वन विभाग के अधिकारियों को सतर्क हो जाना चाहिए। वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर, बाघों के अवशेषों और पंजा के निशान, आदि देखे जाने के आधार पर गुजरात और महाराष्ट्र के बीच बाघ के गलियारे की स्थापना की जा सकती है।'

इससे पहले जनवरी 2017 में गुजरात सरकार को लिखे पत्र में परिमल नथवाणी ने कहा था कि गुजरात-महाराष्ट्र सीमा पर चेकपोस्ट में महाराष्ट्र पुलिस के दो वाणिज्य दूतावासों ने भी गुजरात के जंगल क्षेत्र का दौरा किया और गुजरात के जंगल क्षेत्र में बाघ देखा था। नथवानी ने यह भी कहा कि यह सही समय है जब वन विभाग एशियाई शेरों के साथ बाघों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करे। इस राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के अलावा, वन्य जानवरों को अपने भोजन के लिए उष्णकटिबंधीय जानवरों की संख्या को बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपाय करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि यह गुजरात सरकार के लिए एक पर्यटन क्षेत्र विकसित करने का उज्ज्वल अवसर है।

Gujarat: Tiger returns to the state after 27 long years, caught in night vision camera

उन्होंने कहा, 'बाघों की मौजूदगी हमारे वन्यजीवों को और समृद्ध बनाएगी। यह सर्वदित है कि गुजरात में एशियाई शेरों की उपस्थिति ने पर्यटन क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन दिया है। यदि बाघों के लिये टाइगर सेंचुरी बनती है तो गुजरात में पर्यटन क्षेत्र बहुत अधिक ऊंचाई से आगे निकल जाएगा। नथवाणी ने गुजरात में बाघों के संरक्षण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के संबंधित विभाग को पत्र भी लिखा है।

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English summary
Gujarat: Tiger returns to the state after 27 long years, caught in night vision camera
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