स्टार्टअप्स के मॉडल फेल, गुजरात में 2000 से ज्यादा कंपनियां बंद होने के आसार
गांधीनगर। देश के स्टार्टअप मिशन में गुजरात के तीसरे नंबर पर आने का दावा फुस्स होता दिख रहा है। यहां स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स की स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि लगभग 2000 कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं। वे कंपनियां अपने प्रोजेक्ट्स में निष्क्रिय पाई गई हैं। इन कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के साथ रजिस्ट्रेशन कराया था। जो कि पिछले दो वर्षों में रजिस्टर्ड हुई थीं। इन कंपनियों के आंकड़े निराशाजनक तस्वीर दिखाते हैं।
2000 कंपनियों के लिए नोटिस जारी हुए
गुजरात में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स स्टार्टअप नीति की पहली घोषणा की गई थी और राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी बढ़-चढ़कर प्रमोशन में जुटे थे। मगर, करीब 2000 कंपनियों के लिए नोटिस जारी हुए तो काफी कंपनियां अक्टूबर में ही बंद हो गईं। जानकारों के मुताबिक, इन कंपनियों ने पिछले दो वर्षों में कोई प्रोग्रेस नहीं की थी। दरअसल, नियम है कि यदि कोई कंपनी निर्धारित समय के भीतर अपना कारोबार शुरू नहीं करती है, तो उस कंपनी को नोटिस दिया जाता है।
काफी कंपनियों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया
रजिस्टार आॅफ कंपनीज की ओ से राज्य की 1963 कंपनियों को नोटिस दिया जा चुका है। इन कंपनियों में से 1692 निजी कंपनियां हैं, जबकि 216 सार्वजनिक कंपनियां हैं। नोटिस के मुताबिक, इन कंपनियों ने पिछले दो साल में कारोबार शुरू नहीं किया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने अपना वार्षिक रिटर्न भी दाखिल नहीं किया। इसके अलावा, जिन कंपनियों को नोटिस मिला, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जिसके चलते कई कंपनियों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया है।
ऐसी 3430 कंपनियां, जो निष्क्रिय पाई गईं
आंकड़ों के अनुसार, 2013-15 के दौरान स्टार्टअप मिशन के तहत गुजरात में 1963 कंपनियां रजिस्टर्ड हुइ थी। जिनमें से 1171 कंपनियां ऐसी पाई गई हैं जिन्होंने वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान किसी भी तरह का कारोबार नहीं किया और रिटर्न दाखिल नहीं किया। पिछले साल, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज ने निष्क्रियता के लिए 7134 कंपनियों को बंद करने का फैसला किया, जिसमें 2012 के बाद शामिल 3430 कंपनियां थीं, जो निष्क्रिय पाई गईं।
गुजरात में स्टार्टअप कैसे असफल रहे हैं
गुजरात में स्टार्टअप्स की स्थिरता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सरकार को इस बात की परवाह नहीं है कि राज्य में स्टार्टअप कैसे असफल रहे हैं। राज्य के उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एमके दास का कहना है कि, सरकार ने 15 नीतियां बनाई हैं जिनसे उद्योग को लाभ मिलता है। सरकार ने छोटे और मझोले उद्यमों के लिए बिजली सस्ती कर दी है और अन्य प्रोत्साहन प्रदान किए हैं। कुछ स्टार्टअप प्रौद्योगिकी परिवर्तन के कारण बंद हो सकते हैं, लेकिन राज्य सरकार कमजोर स्टार्टअप की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है।
राज्य में बिजनेस मॉडल फेल हो रहा
दूसरी ओर उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि, गुजरात में हर साल 1.5 लाख से अधिक कंपनियां शामिल होती हैं, लेकिन कुछ कंपनियां पंजीकृत होने के बाद अपना व्यवसाय शुरू नहीं कर सकती हैं। विभिन्न कारणों से कुछ कंपनियां उत्पादन भी शुरू नहीं कर सकती हैं। गुजरात में स्टार्टअप ईकोसिस्टम और लॉजिस्टिक्स पूरे देश में सबसे अच्छा हैं लेकिन बिना मार्केट सर्वे के स्टार्टअप शुरू करने से राज्य में बिजनेस मॉडल फेल हो रहा है।
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