जल संरक्षण परियोजनाओं में देश में नं.- 1 रहा गुजरात, यहां 9700 झीलें बारिश से ही भर गईं
गांधीनगर। जल संरक्षण परियोजनाओं वाले राज्यों में केंद्र सरकार ने गुजरात को नंबर-1 की पोजीशन पर रखा है। इस राज्य को केंद्र के नीति आयोग की रिपोर्ट में लगातार तीसरे वर्ष जल संरक्षण के लिए पहला स्थान मिला है। राज्य के विभिन्न जिलों में दो वर्षों में भंडारण क्षमता में 23,553 लाख घन फीट की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं, यहां की 97,00 झीलें बारिश के पानी से ही भर गईं। जबकि, 5775 चेकडैम भी बहाल हुए हैं।
गुजरात में जल संग्रहण क्षमता में 23553 लाख घन फीट की वृद्धि
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने जानकारी देते हुए बताया कि 'सुजलाम सुफलाम' जल अभियान क्रांति को दो साल पूरे हो गए हैं। नीति आयोग द्वारा घोषित समग्र जल प्रबंधन सूचकांक में, गुजरात को इस अभियान के परिणामस्वरूप लगातार तीसरे वर्ष पहली रैंक मिली है। जन भागीदारी द्वारा प्रायोजित इस अभियान ने जल संग्रहण क्षमता के साथ भूजल स्तर में 5 से 7 फीट की वृद्धि की है। खास बात यह भी है कि राज्य के 33 जिलों में 12279 झीलें ऊंची की जा चुकी हैं। यानी इन झीलों के मरम्मत कार्य के चलते इनमें पानी भरा।
राज्य में इस अभियान से जुड़े 30,416 कार्य पूरे हुए
झीलों के अलावा राज्य के 4600 चेक डैम में पानी भरा गया है। इस अभियान में कुल 30,416 कार्य पूरे हुए। जिससे 100 लाख मानव-दिवस रोजगार सृजित हुए। राज्य के 14,000 से अधिक गांवों के कुओ में पानी का स्तर पांच से सात फूट तक उभरा। इस अभियान में 4669 जेसीबी और 15,280 ट्रैक्टर और डंपर का इस्तेमाल किया गया।
गुजरात में इस साल 95 बारिश हुई
मानसून सीज में इस बार गुजरात में 95 प्रतिशत से अधिक वर्षा हुई। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा और नागरिकों के लिए पीने के पानी की समस्या खत्म हो गई।
पहला प्रयोग गांधीनगर से किया जाएगा
गुजरात में जल संरक्षण अभियान से जुड़ी मुख्यमंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उप मुख्यमंत्री नीतिन पटेल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव कैलाशनाथन और राज्य के मुख्य सचिव डो जेएन सिंघ समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि, जलसंचय से साथ जल बचाव के लिये गुजरात सरकार पूरे गुजरात में पानी के मीटर लगाने के लिये तैयार है। हालांकि, पहला प्रयोग गुजरात की राजधानी गांधीनगर से किया जाएगा।
सरकार ने जल संरक्षण अभियान में 110 करोड़ खर्चे
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने इस अभियान के लिए 110 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। सरकार ने सार्वजनिक भागीदारी की हिस्सेदारी को बढ़ा दिया है। पहले सरकार का हिस्सा 50 प्रतिशत रहता था, जो अब 60 प्रतिशत किया गया है। सार्वजनिक भादीदारी में संस्थान का हिस्सा 50 प्रतिशत के घटकर 40 प्रतिशत हुआ है।
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