गुजरात में एम्स किसे मिले इस पर गर्माई सियासत, वडोदरा के 8 विधायकों ने ठोका दावा
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में एम्स किसको मिले इस मुद्दे पर यहां दो शहरों राजकोट ओर वडोदरा के बीच राजनीति गरमा गई है। दोनों इलाके के विधायकों ने अपने दावे ठोके हैं। इस बीच मुख्यमंत्री विजय रूपाणी इतना ही बोल पाये कि "एम्स कहां और किसको देनी है, इसका फैसला गुजरात सरकार नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार करती है। आपकी जो चिंता है, वह मैं बस ऊपर तक पहुंचा दूंगा।"
एम्स पर नेताओं ने अपने-अपने इलाके के लिए दावे ठोके
बता दें कि अकेले वडोदरा जिले के 8 विधायकों ने एम्स को लेकर दावा ठोका है। जसदण सीट के बाय-इलेक्शन के दो दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जीतु वाघाणी एवं अन्य नेताओं ने एलान कर दिया था कि एम्स राजकोट को देने का फैसला मोदी सरकार ने ले लिया है, उसका फाइनल अनाउंसमेन्ट दसदण चुनाव के बाद होगा। जिसका ऊर्जा मंत्री सौरभ पटेल ने भी समर्थन किया था।
एम्स की अनाउंसमेन्ट ही झूठी तो नहीं?
वहीं, अभी तक इलेक्शन के बाद एम्स की कोई अनाउंसमेंट नहीं की गई। कुछ लोगों का कहना है कि वह जसदण बाय इलेक्शन जीतने की भाजपा की महज एक चाल थी। जिस में चुनाव आयोग ने भी संहिता भंग की शिकायत तो दर्ज की थी, लेकिन कोई फैसला नहीं सुनाया। वहीं, वडोदरा के विधायकों की मानें तो एम्स गुजरात में आना ही है, यह कहां आएगा इसके लेकर वे रूपाणी से मिल भी चुके हैं। उन्होंने अपने इलाके के लिए मांग की थी।
रूपाणी ने दी ये सफाई
रूपाणी ने 20 मिनट तक इन विधायकों की बात सुनी और फिर उन्हें बताया कि यह बहुत बड़ी बात है कि गुजरात को वड़ोदरा या राजकोट में एम्स मिल रहा है, लेकिन किस को मिलेगी इसका फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। रूपाणी को मिलने वाले भाजपा विधायकों में योगेश पटेल, मधु श्रीवास्तव, केतन इनामदार, मनिषा वकील, शैलेश मेहता, सी. के. राउलजी समेत आठ विधायक थे। इन विधायकों का कहना था कि हम राजकोट या किसी अन्य प्रांत के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अगर वडोदरा में एम्स मिलती है, तो आदिवाली लोगों को भी उनका लाभ मिल लकता है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लोग भी वडोदरा आकर इलाज आसानी से करा सकेंगे।
मध्य गुजरात के विधायक नाराज
गौरतलब है कि दिसंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 99 सीटों के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन मध्य गुजरात के विधायकों को कैबिनेट में कोई जगह नहीं दी। उसके बाद, मध्य गुजरात के विधायकों ने मुख्यमंत्री से सालभर पहले हंगामा खडा कर दिया। वडोदरा इलाके के सभी विधायक सरकार के रवैये से सख्त नाराज हैं।
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एम्स
को
लेकर
ऐसे
चली
खींच-तान
योगेश
पटेल
लगातार
छह
बार
वडोदरा
में
भाजपा
की
सीट
के
लिए
चुने
गए
हैं,
लेकिन
पांच
महीने
पहले
जब
वो
गांधीनगर
आये
तो
मंत्रीगण
और
अफसर
वर्ग
ने
उनकी
एक
नहीं
सुनी।
उन्होंने
सरकार
के
सामने
विरोध
व्यक्त
किया
था
कि
मंत्रीगण
और
अफसर
लोग
विधायकों
की
बातें
सुनते
नहीं
हैं।
योगेश
पटेल
के
साथ
मधु
श्रीवास्तव
और
केतन
इनामदार
भी
जुड़े
थे।
उन
लोगों
का
कहना
था
कि
निर्वाचित
प्रतिनिधियों
की
अनदेखी
की
जाती
है।
वरिष्ठ
अफसर
भ्रष्टाचार
करते
हैं।
उस
समय
सरकार
ने
उन्हें
कार्यवाही
करने
का
आश्वासन
दिया
था,
लेकिन
कोई
कार्रवाई
नहीं
की।
अब
ये
एम्स
के
मामले
में
फिर
से
सरकार
के
सामने
खड़े
हुए
हैं।
मोदी
के
एलान
से
पहले
होगी
घोषण?
जानकारों
का
मानना
है,
चूंकि
लोकसभा
में
सौराष्ट्र
का
पलड़ा
कांग्रेस
की
ओर
जा
रहा
है
और
राज्य
के
मुख्यमंत्री
भी
राजकोट
से
हैं,
तो
ऐसा
लगता
है
कि
एम्स
राजकोट
ही
जायेगी।
वहीं,
इसका
एक
कारण
यह
भी
बताया
जा
रहा
है
कि
सौराष्ट्र
में
लोकसभा
की
7
सीटें
हैं
और
मोदी
ये
सीटें
हारना
नहीं
चाहते
हैं।
संभावना
है
कि
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
वाइब्रेंट
समिट
का
उद्धाटन
करें,
इससे
पहले
एम्स
की
घोषणा
होगी।
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