'मनरेगा कर्मियों को आउट-सोर्सिंग में शामिल नहीं कर सकते', HC ने खारिज किया गुजरात सरकार का फैसला
गांधीनगर। गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें सरकार गुजरात में मनरेगा में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों का आउट सोर्सिंग नहीं कर सकती थी। इसके साथ ही इस योजना के कार्यान्वयन में आउटसोर्सिंग के आधार पर कर्मचारियों को बाहर नहीं निकाला जा सकता है। सरकार राज्य में मनरेगा के तहत लाखों मजदूरों को रोजगार देती है। हाल ही में, सरकार ने मनरेगा में काम करने वाले कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग में एक कार्यशील परिपत्र को कवर करने का निर्णय लिया था। उच्च न्यायालय ने इस परिपत्र को खारिज किया है और कहा है कि, सरकार द्वारा दिया गया आदेश अवैध है। अब कोर्ट ने इसे रद्द करने का आदेश भी दिया है।
सरकारी परिपत्र के कारण राज्य के हजारों कर्मचारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हाईकोर्ट के आदेश और प्रतिबंध से कर्मचारियों को राहत मिली है। अगर सरकार आउटसोर्सिंग कर रही है तो कर्मचारियों को वेतन और मनरेगा में कम दाम में काम करने के लिए मजबूर किया जा सकता है। किसी भी समय उनके काम को रोक के टर्मिनेट भी किया जा सकता है। कर्मचारी शोषित औऱ पीड़ित हो सकते हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने मनरेगा में काम करने वाले कर्मचारियों का आउट सोर्सिंग सिस्टम समाप्त करने करने की बात स्वीकारी है, क्योंकि आउट सोर्सिंग एजेंसियां कर्मचारी को कम दाम में ले सकती है औऱ अपना मुनाफा कमाती हैं। ग्रामीण रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, सहायक कार्यक्रम अधिकारी, विस्तार अधिकारियों की भरती राज्य में तालुका, जिला और राज्य स्तर पर 2014 में सरकार द्वारा की गई घोषणा के आधार पर की गई थी।
आउट सोर्सिंग में कर्मचारियों को टर्मिनेट करने का शुरू करने के बाद कुछ कर्मचारी संगठन ने गुजरात हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अदालत ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर 11 जून तक स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया।
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