गुजरात में पटेल मूर्ति से पहले महात्मा मंदिर पर हुए करोड़ों खर्च, अब दोनों से हो रही कमाई
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल, इन दो के ऐसे स्थल हैं जहां से सरकार को इनकम आनी शुरू हो गई है। गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में सेमीनार, कॉन्फ्रेंस के अलावा बिजनेस से जुड़े प्रोग्राम्स होने के चलते इनकम हो रही है, तो वहीं केवडिया स्थित नर्मदा नदी के तट पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के टूरिस्ट्स से विभिन्न तरह के शुल्क वसूले जा रहे हैं।
करोड़ों की हुई इनकम
गुजरात सरकार के राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 31 करोड महात्मा मंदिर से और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से 12 करोड सरकार की तिजोरी में जमा हुए हैं। भारतवर्ष के दो महान सपूत के स्मारक बनाने के लिये सरकार ने काफी सारे पैसे खर्च किये थे। गांधीनगर में महात्मा मंदिर बनाने के लिये सरकार ने अब तक दो चरणों में 500 करोड़ का खर्च किया है, दूसरी ओर केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की लागत 3000 करोड़ रुपए हुई है।
महात्मा मंदिर की नींव 2010 में रखी
नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने 2010 में महात्मा मंदिर की नींव रखी थी। उनका आदेश कि ये मंदिर 182 दिनों में बन जाना चाहिये। तब एलएन्डटी कंपनी ने ये महात्मा मंदिर वक्त पर पूर्ण किया था। यही कंपनी ने गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति का भी निर्माण किया है। महात्मा मंदिर अब सरकार के लिए राजस्व का बडा स्रोत बन गया है। मोदी सरकार ने 2011 वाइब्रेंट समिट का आयोजन महात्मा मंदिर में किया था, उसके बाद मंदिर में पांच ग्लोबल वाइब्रेंट समिट का आयोजन किया गया। हालांकि, वाइब्रेंट समिट का किराया नहीं लिया जाता है।
पांच वर्षों में 110 से अधिक सरकारी कार्यक्रम हुए
राज्य के उद्योग विभाग ने कहा है कि गांधीनगर में महात्मा मंदिर की कुल लागत लगभग 500 करोड़ रुपये है। आज यह मंदिर गांधीनगर का आभूषण बन गया है और आय का साधन साबित हुआ है। इस मंदिर के मुख्य हॉल के अलावा, विभिन्न उद्योग समूह सेमिनार हॉल में सेमिनार आयोजित होते हैं। मंदिर में पिछले पांच वर्षों में प्रदर्शनी, सम्मेलन और संगोष्ठी हुई है। इन पांच वर्षों में 110 से अधिक सरकारी कार्यक्रम हुए हैं, और 90 से अधिक निजी कार्यक्रम किए गए हैं।
13,36,24,994 रुपये का राजस्व जुटाया
उद्योग विभाग ने पांच साल के सरकारी कार्यक्रमों में 13,36,24,994 रुपये का राजस्व जुटाया है। इसके अलावा निजी कार्यक्रम आयोजकों ने 18,39,62,611 रुपये का किराया सरकार में भरा है। अब सरकार ने महात्मा मंदिर के बगल में रेलवे स्टेशन को आधुनिक बनाने काम शुरू किया है और महात्मा मंदिर के पास पांच सितारा होटल भी बन रही है बनाए हैं।
मंदिर किसी भी आयोजक को किराए पर दिया जाता है
उद्योग विभाग के अधिकारी ने कहा कि महात्मा मंदिर किसी भी आयोजक को किराए पर दिया जाता है। सरकारी कार्यक्रम किए जाने पर भी किराया लगाया जाता है। यदि कोई आयोजक गुजरात में बड़ी परियोजनाओं का प्रदर्शन करना चाहता है, या कोई सेक्टर सेमिनार करना चाहता है, तो महात्मा मंदिर एक उत्कृष्ट स्थान है और किराया भी बहुत कम है। स्वेरफुट के हिसाब से किराया तय किया जाता है।